नई दिल्ली : भारत में कोरोना संक्रमण का दायरा कम होने की बजाय धीरे-धीरे बढ़ता ही दिखाई दे रहा है. यह बात दीगर है कि राष्ट्रीय स्तर पर रोजाना सामने आने वाले कोरोना संक्रमण के मामलों में कुछ गिरावट दर्ज जरूर की गई है, मगर स्थानीय स्तर पर स्थिति अब भी गंभीर बनी हुई है. स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी की गई एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश के करीब 400 जिलों को रेड जोन में एक बार फिर शामिल कर दिया गया है. चिंताजनक बात यह भी है कि जिन पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, उनके तकरीबन 52 जिलों में संक्रमण की स्थिति बेहद गंभीर बनी हुई है.
भारत में पॉजिटिविटी रेट घटी है, मगर कोरोना का दायरा बढ़ा है. स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से बुधवार सुबह जारी किए गए ताजा आंकड़ों के अनुसार, पिछले 24 घंटों के दौरान कोरोना संक्रमण के 2,85,914 नए मामले सामने आए हैं, जबकि 2,99,073 रिकवरी दर्ज की गई है. चिंताजनक बात यह है कि इस दौरान कोरोना संक्रमण से करीब 665 लोगों की मौत हो गई है. देश में कोरोना के कुल सक्रिय मामले 22,23,018 दर्ज किए गए हैं. राहत की बात यह है कि देश में दैनिक पॉजिटिविटी रेट कम होकर 16.16 फीसदी रह गई है. मंगलवार की शाम तक देश में कोरोना रोधी टीके की 1,63,58,44,536 खुराक लोगों को लगा दी गई है.
स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से पिछली 17 से 23 जनवरी के बीच देश के प्रत्येक जिला की समीक्षा करने के बाद तैयार रिपोर्ट के अनुसार, भारत के 403 जिलों में कोरोना की साप्ताहिक संक्रमण दर 10 फीसदी से कहीं अधिक है. यहां औसतन संक्रमण दर 17.23 फीसदी है. इससे पहले के सप्ताह में अति गंभीर श्रेणी के जिलों की संख्या 325 थी.
स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, चुनावी राज्यों में से पंजाब के 18 और मणिपुर के 12 जिलों में सबसे अधिक संक्रमण फैला है. उत्तर प्रदेश के नौ, उत्तराखंड के 11 और गोवा के दो जिले में संक्रमण दर 20 फीसदी से भी ऊपर देखने को मिली है. रेड जोन में शामिल जिलों के लिए अगले दो सप्ताह काफी महत्वपूर्ण हैं. जिला प्रशासन को हालात की जानकारी दे दी गई है.
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उधर, स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने मंगलवार को नौ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य मंत्रियों के साथ बैठक में टेलीकंसल्टेशन पर जोर देने का निर्देश दिया है. उन्होंने कहा कि होम आइसोलेशन में मरीजों की निगरानी राष्ट्रीय कोरोना दिशानिर्देश के मुताबिक ही होना चाहिए. बैठक में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, चंडीगढ़ और दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री शामिल थे. मांडविया ने राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों से इस मॉडल को अपनाने का अनुरोध किया और कहा कि इससे लाभार्थियों को जिले में बैठे विशेषज्ञों से परामर्श मिलने में सुविधा होगी.