MP Election 2023: बीजेपी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि महिला सशक्तीकरण, सीएम शिवराज ने खास बातचीत में कही ये बात
MP Election 2023: महिला सशक्तीकरण रेबड़ी पॉलिटिक्स नहीं है. पहले राज्य में 1000 बेटों पर 912 बेटियां पैदा होती थीं, आज यह रेशियो 956 पर आ गया है. हम वह दिन देखना चाहते हैं जब बेटे और बेटियों का अनुपात बराबर हो. सीएम शिवराज ने खास बातचीत में कही ये बात
इस साल जिन पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, उनमें मध्य प्रदेश भी है. इन चुनावों को अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा है. लिहाजा, भाजपा और कांग्रेस, दोनों के लिए ये चुनाव बेहद अहम हैं. विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की भी असली परीक्षा होनी है. इन चुनौतियों से भाजपा कैसे निपटेगी, इसे लेकर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रभात खबर के नेशनल ब्यूरो प्रमुख अंजनी कुमार सिंह से विशेष बातचीत की. पेश है मुख्य अंश.
सशक्त नारी, सशक्त समाज आपकी सरकार की थीम है. महिला सशक्तीकरण की दिशा में कितना परिवर्तन आया है?
महिला सशक्तीकरण पर हमारी सरकार पहले से ही काम कर रही हैं. 2006 में सत्ता में आने के बाद हम लाडली लक्ष्मी योजना लेकर आये. आज 40 लाख बेटियां इससे जुड़ी हैं. पहले राज्य में लिंगानुपात बहुत ही खराब था. बेटियां कोख में मारी जाने लगी थीं. उन्हें बोझ समझा जाता था. इस तकलीफ को मैंने बचपन से ही देखा था. सरकार में आने पर हमने तय किया कि प्रदेश की धरती पर बेटियां लखपति होंगी. अब उसको बढ़ा कर कॉलेज, मेडिकल कॉलेज सहित शिक्षण संस्थानों में भी लागू कर दिया. हमने कन्या विवाह योजना बनायी. स्थानीय निकाय चुनाव में 50 फीसदी आरक्षण महिलाओं को दिया. पुलिस भर्ती में महिलाओं के लिए 30 फीसदी आरक्षण दिया. आज पुलिस यूनिफॉर्म में बेटियां कानून-व्यवस्था बखूबी संभाल रही हैं. शिक्षक भर्ती में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण दिया गया. महिलाओं के नाम पर संपत्ति खरीदने पर स्टांप ड्यूटी एक फीसदी कर दी गयी. परिणाम यह रहा कि आज 45% संपत्ति मप्र में महिलाओं के नाम पर खरीदी जाती है. लाडली योजना के तहत महिलाओं को रोजगार देना, लखपति बनाना, सेल्फ हेल्प ग्रुप से जोड़ना, सुरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि की व्यवस्था के साथ ही उन सभी चीजों को शामिल किया गया है, जिससे महिलाएं स्वावलंबी और सशक्त बनें.
चुनाव आते ही रेबड़ी पॉलिटिक्स शुरू हो गयी है. इससे राज्य के वित्तीय सेहत पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
महिला सशक्तीकरण रेबड़ी पॉलिटिक्स नहीं है. पहले राज्य में 1000 बेटों पर 912 बेटियां पैदा होती थीं, आज यह रेशियो 956 पर आ गया है. हम वह दिन देखना चाहते हैं जब बेटे और बेटियों का अनुपात बराबर हो. अब टोल टैक्स महिलाएं चलायेंगी और वसूली का 30% हिस्सा उन्हें मिलेगा. मेरा कमिटमेंट है कि प्रति महिला को कम से कम 10 हजार प्रति माह की आमदनी हो.
कांग्रेस की ओर से भी काफी घोषणाएं की जा रही है?
कांग्रेस को कुछ करना-धरना है नहीं. उनको सिर्फ वोट लेना है. इसलिए उसके मन में जाे आता है, उसकी घोषणा कर देती है.
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पिछली बार आपने जन्म से लेकर मृत्यु तक हर व्यक्ति के लिए कोई न कोई स्कीम की घोषणा की थी, फिर भी आपको पूर्ण बहुमत नहीं मिला.
आप लोगों से बात कर देखिये, इसका जवाब आपको मिल जायेगा. पिछली बार कांग्रेस की ओर से कर्ज माफी सहित कुछ ऐसी घोषणाएं की गयी थीं, जिनका कुछ समय के लिए लोगों पर प्रभाव पड़ा, पर सभी जानते हैं कि वोट भाजपा को ज्यादा पड़ा.
आप लंबे समय से सीएम है, लेकिन अब कलेक्टिव लीडरशिप की बात हो रही है.
यह अच्छा है. उप्र में भी कलेक्टिव लीडरशिप में चुनाव लड़ा गया. कर्नाटक में भी पांच यात्राएं कलेक्टिव लीडरशिप में निकलीं. यहां भी कलेक्टिव लीडरशिप में निकल रही हैं, तो इसमें बुराई क्या है?
इससे सीएम के फेस को लेकर कंफ्यूजन तो नहीं होगा?
कोई कन्फ्यूजन नहीं होगा. हमारा काम है जनता की सेवा करना. पार्टी के अनुशासित कार्यकर्ता के नाते जो भी काम दिया जाता है, उसे पूरे मनोयोग से करता हूं.
चुनाव नजदीक आते ही बहुत सारे कथावाचक उभरकर सामने आ रहे हैं. कांग्रेस के लोग भी जुड़ते जा रहे हैं. कांग्रेस सॉफ्ट हिंदुत्व की तरफ झुकती दिख रही है.
कथावाचकों की परंपरा इस देश में बहुत पुरानी है. यह खुशी की बात है कि कथा की पुरानी परंपरा आगे बढ़ रही. पहले हिंदू कहना अपराध था. आज पीएम नरेंद्र मोदी ने देश के राजनीतिक एजेंडे को बदल दिया. कांग्रेस सिर्फ वोट पाने के लिए ऐसा कुछ दिखावा कर रही है.
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कांग्रेस से भाजपा में आये कई लोगों में असंतोष है. कई लोग पार्टी छोड़ रहे हैं.
यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है. चुनाव के दौरान किये वादे और वचन को नहीं निभाया. इस वादाखिलाफी के कारण कांग्रेस के लोगों ने पार्टी छोड़ सिंधिया जी के नेतृत्व में भाजपा में आ गये. कई लोग हमारे साथ आये.
कांग्रेस ने आपकी सरकार पर कई आरोप लगाये हैं. कर्नाटक में भी कांग्रेस ने ऐसा ही किया और भाजपा को वहां चुनाव में काफी नुकसान उठाना पड़ा. ऐसे में ‘इंडिया’ गठबंधन की चुनौती को आप किस रूप में देखते हैं?
कांग्रेस गंदगी पर उतर आयी है. वह राज्य में भाजपा के पक्ष में जनसैलाब देख घबरा गयी है. उसे लगता है कि एक झूठ को बार-बार बोलने से वह सच हो जायेगा, पर जनता सब जानती है.
इंडिया गठबंधन ने साझा उम्मीदवार देने की घोषणा की है.
भाजपा को पूर्ण जनादेश मिलेगा. विपक्ष की न ही कोई विचारधारा, न ही सोच, न ही कोई कॉमन एजेंडा है. ये एकजुट इसलिए हुए हैं कि पीएम मोदी के पक्ष में देश में सैलाब है. दूसरा यह डर भी है कि मोदी जी ने कह दिया है कि न खाऊंगा और न ही खाने दूंगा. विपक्ष के नेताओं के मन में जेल जाने का डर बैठ गया है.
आपकी छवि एक सॉफ्ट नेता की रही है, लेकिन बीच में आप भी काफी हार्ड और कड़ाई से पेश आ रहे हैं.
देखिए, जब मैं सीएम बना था, तो यहां डकैत और नक्सली बड़े पैमाने पर थे. मैंने आते ही कहा था कि प्रदेश में या तो डकैत रहेंगे या शिवराज रहेगा. छह महीने के अंदर डकैतों ने या तो सरेंडर कर दिया या फिर मारे गये. मैं सज्जनों के लिए फूल से ज्यादा कोमल और दुष्टों के लिए बज्र से ज्यादा कठोर हूं.
वन नेशन वन इलेक्शन पर आपके विचार?
जो पार्टी के विचार हैं, वही विचार मेरे भी हैं, क्योंकि बार-बार चुनाव होने से विकास का काम प्रभावित होता है.
ओबीसी आरक्षण पर रोहिणी कमीशन की रिपोर्ट आयी है. इसे आप किस रूप में देखते हैं?
इस पर पार्टी का जो फैसला होगा, उसी के साथ हूं.
आप अपने मेनिफेस्टो में यूसीसी का जिक्र करेंगे?
पार्टी जो तय करेगी, वही हम अपने मेनिफेस्टो में लायेंगे.
कांग्रेस कर्नाटक के मॉडल को मप्र में लाने की बात कह रही है.
यहां पर कोई मॉडल काम नहीं करेगा. सिर्फ विकास का मॉडल काम करेगा, जो यहां पहले से काम कर रहा है.
चुनाव में मुख्य मुद्दा क्या होगा?
दो ही फैक्टर है- विकास और जनकल्याण.
लोकसभा चुनाव में मप्र में पार्टी को कितनी सीटें मिलने की उम्मीद है?
पिछली बार 29 में से 28 सीटें मिली थीं. इस बार 29 की 29 मिलेंगी.
विधानसभा चुनाव को लेकर आपका क्या आकलन है?
हम सबसे ज्यादा सीट प्राप्त करेंगे. भाजपा को पूर्ण बहुमत मिलेगा.
मध्य प्रदेश में पलायन अब भी समस्या है.
मध्य प्रदेश की पहले प्रति व्यक्ति आय 11 हजार रुपये थी, आज एक लाख रुपये है. राज्य में विभिन्न क्षेत्रों में काफी प्रगति हुई है. रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं. इसलिए राज्य में पलायन की समस्या नहीं है. हां, बढ़िया मजदूरी के लिए लोग इधर-उधर जाते हैं.
अगले पांच साल में आप देश की राजनीति में खुद को कहां पाते है?
पार्टी जहां रखेगी, वहां रहूंगा. पार्टी जो तय करेगी, वही काम मुझे करना है.