MP Election Results 2023 : जनता जनार्दन की जय बोल रहें शिवराज सिंह चौहान का सियासी सफर
MP Election Results 2023 : मध्यप्रदेश में 17 नवंबर को हुए विधानसभा चुनाव में राज्य के कई बड़े नेताओं की सियासी ईवीएम में कैद किस्मत का आज फैसला है. एमपी में चार बार राज्य की कमान संभाल चुके शिवराज सिंह चौहान क्या पांचवी बार भी कुर्सी पर काबिज होंगे या नहीं इसपर सबकी नजर है
MP Election Results 2023 :मध्य प्रदेश के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले शिवराज सिंह चौहान सीहोर जिले के बुधनी सीट से चुनाव के मैदान में हैं उन्होंने चनाव परिणाम के रुझानों पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए जनता जनार्दन की जय का नारा बुलंद किया है . उन्होंने बीजेपी के सभी प्रत्याशियों को बधाई दी है. वे चौथी बार बुधनी से चुनावी मैदान में हैं जहां कांग्रेस के विक्रम मस्तान से उनका सामना है.हालांकि इस बार बीजेपी ने उन्हें सीएम पद का चेहरा घोषित नहीं किया है. इधर इस बार राज्य की 230 सीटों पर भाजपा के शिवराज सिंह चौहान को भरोसा है कि इस चुनाव में भी जनादेश उनके पक्ष में मिलेगा. भरोसा यह भी है कि केंद्र की कल्याणकारी योजनाओं के साथ राज्य सरकार की लाडली बहना योजना जैसी योजनाओं का लाभ भरोसे में तब्दील होगा.
शिवराज सिंह चौहान का सियासी सफर
शिवराज सिंह चौहान के राजनीतिक सफर पर नजर डालें तो तेरह साल का एक नवयुवक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघसंघ में जुड़ा . उन्होंने अपने जीवन का पहला चुनाव 10वीं कक्षा में लड़ा था. 11वीं में पहली बार चुनाव जीत कर छात्र संघ के अध्यक्ष बने थे. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल का शिवराज सिंह चौहान ने जोरदार विरोध किया था, इस दौरान वह साल 1976-77 में जेल भी गए थे. 1990 में पहली बार विधायक बने और 1991 में वह पहली बार विदिशा सीट से चुनाव जीत संसद भवन पहुंचे थे.
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाई गई इमरजेन्सी के समय बहुत से नेता उभर कर देश के सामने आए थे. उन्हीं में से एक शिवराज सिंह चौहान भी हैं. शिवराज सिंह चौहान ने आपातकाल का पुरजोर विरोध किया था, जिसके कारण उन्हें 1976-77 में जेल भी हुई थी. जेल से निकलने के बाद वह एबीवीपी के संयोजक, महासचिव और राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य भी बनाए गए थे. 1988 में उन्हें भारतीय जनता युवा मोर्चा का अध्यक्ष बनाया गया था.
शिवराज सिंह चौहान पहली बार संसद भवन विदिशा सीट से चुनाव जीतकर पहुंचे थे. इसकी वजह अटल बिहारी वाजपेयी का इस्तीफा था. दरअसल हुआ ये कि 1991 के लोकसभा चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी 2 सीट से चुनाव लड़े थे, विदिशा और लखनऊ. चुनाव में इन दोनों ही सीटो पर उनकी जीत हुई थी, जिसके बाद उन्होंने लखनऊ को प्राथमिकता देते हुए विदिशा सीट से इस्तीफा दे दिया था. इसी वजह से बीजेपी ने शिवराज सिंह चौहान को विदिशा से उपचुनाव लड़ाया और शिवराज सिंह चौहान 1991 से लेकर 2005 तक विदिशा से सांसद बनते आए. अब तक वह पांच बार विदिशा सीट से जीत कर संसद जा चुके हैं. इस दौरान उन्हें मानव संसाधन विकास मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति, शहरी और ग्रामीण विकास समिति, मानव संसाधन विकास मंत्रालय की सलाहकार समिति, हिन्दी सलाहकार समिति एवं श्रम और कल्याण समिति जैसी अहम समितियों का सदस्य नियुक्त किया गया था.
बतौर सीएम शिवराज सिंह चौहान ने बनाए कई रिकॉर्ड
शिवराज सिंह चौहान भाजपा के सबसे अनुभवी मुख्यमंत्री हैं. शिवराज सिंह चौहान पहली बार 2005 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे. तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर के इस्तीफा देने के बाद उन्हें राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया था. शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा ने 2008 और 2013 के विधानसभा चुनाव को भारी बहुमत से जीता था जिसके बाद वह मुख्यमंत्री पद पर बरकरार रहे थे. 2018 में कांग्रेस ने चुनाव जीत कमल नाथ को मध्य प्रदेश का नया मुख्यमंत्री बनाया पर वह सरकार दो साल भी पूरे नहीं कर पाई. जिसके बाद भाजपा दोबारा से 2020 में सत्ता में आई और शिवराज सिंह चौहान ने चौथी बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली.अब इस बार जनता ‘मामा ‘ को अपना नेता मानती है या नहीं इसका इंतजार है
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