पिछले दिनों पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए जिसमें से तीन राज्यों में बीजेपी ने कांग्रेस को पटखनी दी और सरकार बनाने में सफल रही. इसके बाद तीनों राज्यों के मुख्यमंत्री को लेकर मंथन जारी है. इन तीनों राज्यों में से एक राज्य छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा हो चुकी है. जी हां…छत्तीसगढ़ में विधायक दल का नेता चुनने के लिए बीजेपी के नवनिर्वाचित 54 विधायकों की अहम बैठक हुई जिसमें विष्णुदेव साय को प्रदेश का सीएम बनाने पर सहमति बनी. इसके बाद अब सबके मन में सवाल उठ रहा है कि क्या किसी नये फेस को बीजेपी शेष बचे दोनों राज्यों में प्रदेश की कमान सौंपेगी. इस बीच एक बड़ी खबर मध्य प्रदेश से आ रही है. खबरों की मानें तो मध्य प्रदेश में बीजेपी के नवनिर्वाचित विधायक सोमवार को विधायक दल का नेता चुनने के लिए बैठक करने वाले हैं.
नये चेहरे को बीजेपी चुनेगी मध्य प्रदेश का सीएम
छत्तीसगढ़ के बाद अब ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं मध्य प्रदेश में भी बीजेपी नये चेहरे को मुख्यमंत्री पद की कमान सौंप सकती है. सीएम पद की रेस में कई नाम हैं. शिवराज चौहान का नाम भी इस रेस में शामिल है. चौहान की तरह ओबीसी समुदाय के प्रह्लाद पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री और दिमनी के नवनिर्वाचित विधायक नरेंद्र तोमर, इंदौर के कद्दावर नेता कैलाश विजयवर्गीय, राज्य इकाई के प्रमुख वी डी शर्मा और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी मुख्यमंत्री पद के दावेदार बताए जा रहे हैं. साल 2003 के बाद से, मध्य प्रदेश में बीजेपी के सभी तीन मुख्यमंत्री, जैसे उमा भारती, बाबूलाल गौर और चौहान, अन्य पिछड़ा वर्ग से रहे हैं.
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मध्य प्रदेश की बात करें तो यहां ओबीसी की आबादी करीब 48 फीसदी है. पटेल, तोमर, विजयवर्गीय, शर्मा और सिंधिया पहले ही नयी दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री और बीजेपी के प्रमुख रणनीतिकार अमित शाह से मुलाकात करते नजर आ चुके हैं. उन्होंने पार्टी अध्यक्ष जे.पी.नड्डा से भी मुलाकात की है.
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पीएम मोदी की गारंटी पर मध्य प्रदेश को भरोसा
आपको बता दें कि बीजेपी ने 17 नवंबर को हुए विधानसभा चुनाव में 230 सदस्यीय विधानसभा में 163 सीट जीतकर मध्य प्रदेश में सत्ता बरकरार रखी, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस 66 सीट के साथ दूसरे स्थान पर रही. इस जीत के बाद बीजेपी के हौसले बुलंद हैं. बीजेपी ने चुनाव में मुख्यमंत्री पद के चेहरे के तौर पर किसी को पेश नहीं किया था. इस बार चुनाव पीएम मोदी के फेस पर लड़ा गया. मोदी के फेस पर जनता ने भरोसा जताया और फिर एक बार बीजेपी सत्ता में लौटी. एक तरह से पूरा प्रचार अभियान प्रधानमंत्री नेरंद्र मोदी की गारंटी पर टिका था.