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भारत के राइस मैन को मिलेगा भारत रत्न, जानें वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन के बारे में

भारत सरकार ने शुक्रवार को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव, चौधरी चरण सिंह और वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न देने का एलान किया है. पीएम मोदी ने इसका एलान किया है. एमएस स्वामीनाथन भारतीय कृषि वैज्ञानिक थे जिनका जन्म 7 अगस्त, 1925 को हुआ था.

भारत सरकार ने शुक्रवार को 3 दिग्गजों को भारत रत्न देने का एलान किया है. इसमें भारत के पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव, चौधरी चरण सिंह और वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन का नाम शामिल है. पीएम मोदी ने इसका एलान अपनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर किया है. पीएम मोदी ने इन्हें लेकर कई तरह की जानकारी साझा की है. आइये जानते हैं भारते के मशहूर वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन के बारे में जिनको भारत के राइस मैन के नाम से भी जाना जाता है. आइये जानते हैं विस्तार से इनके बारे में…

कृषि के क्षेत्र में लाई थी क्रांति

एमएस स्वामीनाथन भारतीय कृषि वैज्ञानिक थे जिनका जन्म 7 अगस्त, 1925 को हुआ था. कृषि विज्ञान के क्षेत्र में इनके काम ने खेती में क्रांति ला दी. इनके कार्यो ने भारत में खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भरता लाई थी. स्वामीनाथन महात्मा गांधी की मान्यताओं और भारत के स्वतंत्रता संग्राम से काफी प्रभावित थे. उनका जन्म भारत के तमिलनाडु के कुंभकोणम में हुआ था. स्वामीनाथन की जिंदगी में 1942-1943 के बंगाल अकाल के समय से टर्निंग प्वाइंट आया जिसके बाद अपने पूरे जीवन को भारत के कृषि उद्योग को बढ़ाने की ओर लगाने का निर्णय किया.

हरित क्रांति के जनक

स्वामीनाथन को देश में गेहूं और चावल की उच्च उपज देने वाली किस्मों को पेश करने और इस खेती को विकसित करने में उनके नेतृत्व और सफलता के लिए “भारत में हरित क्रांति के जनक” के रूप में जाना जाता है. भारत में कृषि में अधिक उपज वाली गेहूँ और चावल की किस्मो, गेहूं की किस्मों को विकसित करने में कार्य से स्वामीनाथन ने क्रांति लाई थी. इससे भारत खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भर हो गया और अकाल का खतरा टल गया. स्वामीनाथन ने कृषक वर्गों के कल्याण के लिए कृषि उपज के लिये उचित मूल्य और धारणा तय करने में भी अमिट योगदान दिया है.

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भारत रत्न की घोषणा

उनके लिए भारत रत्न की घोषणा होने से पहले उन्हें कई पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है. कृषि में उनके योगदान के लिये उन्हें कई पुरस्कार और सराहना मिली. उन्हें साल 1987 में प्रथम विश्व खाद्य पुरस्कार विजेता चुना गया. इसके बाद पद्म श्री (1967), पद्म भूषण (1972) और पद्म विभूषण (1989) से भी सम्मानित किया गया. रेमन मैग्सेसे पुरस्कार (1971) और अल्बर्ट आइंस्टीन विश्व विज्ञान पुरस्कार (1986) सहित कई तरह के अंतर्राष्ट्रीय सम्मान दिया गया है.

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