मुंबई: लॉकडाउन की वजह से महिलाओं में बढ़ें टीबी के मामले, चौंकाने वाले हैं यह आंकड़ें

मुंबई में कोरोना के मामले काफी तेजी से बढ़े थे जिस वजह से यहां प्रतिबंधों का दौर शुरू हुआ, वहीं, अब लॉकडाउन की वजह से मुंबई के निजी और सार्वजनिक दोनों ही क्षेत्रों के अस्पतालों में टीबी मरीजों में महिलाओं की संख्या बढ़ी है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 25, 2022 8:38 PM

Mumbai TB cases increase: कोरोना से बचने के लिए लगाए गए लॉकडाउन भी बीमारियों के बढ़ने की वजह बनी है. दरअसल कोरोना की पहली, दूसरी और तीसरी लहर ने देश की आर्थिक राजधानी मुंबई के निवासियों को काफी परेशान किया है. प्रमुख शहरों में से एक रहने की वजह से मुंबई में कोरोना के मामले काफी तेजी से बढ़े थे, जिससे यहां सरकार ने ज्यादा से ज्यादा और अधिक दिनों के लिए प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया था, लेकिन अब यही प्रतिबंध लोगों में बीमारियों के बढ़ाने की वजह बन रहा है. दरअसल मुंबई में निजी और सार्वजनिक दोनों ही क्षेत्रों के अस्पतालों में महिलाओं में टीबी के मामले काफी बढ़ें हैं. जिसके पीछे लॉकडाउन वजह बताई जा रही है.

क्या कहते हैं आंकड़ें

टाइम्स ऑफ इंडिया मे छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक बीएमसी के जन स्वास्थ्य अधिकारियों ने प्रदेश में टीबी रोगी पूल में महिलाओं के बढ़ते प्रतिशत पर चिंता जताई है. 11-15 आयु वर्ग में लड़कियों का प्रतिशत लड़कों की संख्या का लगभग तीन गुना है. बीएमसी अधिकारियों ने आंकड़ों को समझाते हुए कहा कि 2021 में 11 से 15 आयु वर्ग के मरीजों में महिला मरीज 75 फीसदी थी, जबकि पुरूष मरीजों की संख्या 25 फीसदी थी. आंकड़ों का ये चलन पिछले 4 सालों से ऐसे ही बना हुआ है. वहीं, 6 से 10 आयु वर्ग में 67 फीसदी रोगी लड़कियां थी. जबकि 16 से 20 आयु वर्ग में भी 58 फीसदी रोगी महिलाएं है.

क्या रही वजह

विशेषज्ञों का कहना है कि आंकड़ों में होने वाले इस बदलाव के कारणों का अध्ययन करना होगा. इसके पीछे की वजह पोषक तत्वों की कमी से लेकर घर के अंदर रहने तक हो सकते हैं. खासकर महिलाओं में टीबी के मामले बढ़ने की आशंका तब और भी बढ़ जाती है अगर घर में पहले से ही टीबी का मरीज हो.

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निजी क्षेत्रों में भी बढ़ें मामले

निजी क्षेत्र में भी, टीबी के मरीजों में महिलाओं की संख्या पिछले दो सालों में 20 फीसदी बढ़ोतरी है, बीएमसी की तरफ से संचालित शताब्दी अस्पताल चेंबूर में पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ विकास ओसवाल ने कहा, “परंपरागत रूप से, हम अधिक पुरुष टीबी रोगियों को देखते थे, लेकिन पिछले कुछ सालों में अधिक महिलाओं के आने के साथ प्रवृत्ति(trend) बदलने लगी.

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