पाकिस्तान ने आखिरकार मान ही लिया कि मुंबई आतंकी हमले में उसकी जमीन का इस्तेमाल हुआ था और वहां से ही आए आतंकियों ने तबाही मचाने का काम किया था. दरअसल पाकिस्तान लगातार आतंकियों पर कार्रवाई कर रहा है. यदि वह ऐसा नहीं करेगा तो उसपर आर्थिक संकट का खतरा और ज्यादा बढ जाएगा. गुरुवार को पाकिस्तान ने 1,210 अति वांछित आतंकवादियों की सूची जारी की है जिसमें मुंबई आतंकी हमले में संलिप्त दहशतगर्द भी शामिल हैं.
यह सूची संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) की आतंकवाद रोधी इकाई ने जारी की है. दिलचस्प बात यह है कि सूची में लंदन में रहने वाले मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट (एमक्यूएम) के नेता अल्ताफ हुसैन और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज़ (पीएमएल-एन) के कार्यकर्ता नासिर बट्ट का भी नाम है. इस सूची को पीटीआई ने देखा है, जिसमें 2008 के मुंबई हमले में संलिप्त लोगों के नाम और पते भी हैं.
सूची में आतंकवादी का नाम, पिता का नाम और आखिरी ज्ञात पता है. साथ में अगर कोई इनाम घोषित किया गया है तो उसकी भी जानकारी है. इसमें शामिल पहले 19 नाम किसी न किसी तरह मुंबई आतंकी हमले से जुड़े हैं. पहला नाम अजमद खान का है. वह लश्कर ए तैयबा का पूर्व सदस्य है. उसने अल फौज़ नौका खरीदी थी जिसका इस्तेमाल मुंबई हमले के दौरान किया गया था. दूसरा नाम इफ्तिखार अली का है. इसकी पहचान लश्कर के पूर्व सदस्य के तौर पर हुई है.
विवरण के मुताबिक, इसने मुंबई हमले को अंजाम देने वाले आतंकवादियों से बात करने के लिए वॉयस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल (वीओआईपी) कनेक्शन हासिल किया था. सूची में पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ और प्रधानमंत्री शौकत अज़ीज़ पर हमले के संदिग्धों के नाम भी शामिल हैं.
…तो इसलिए मजबूर हैं इमरान खान : पाकिस्तान खुद को कैसे भी एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर निकालने का लगातार प्रयास कर रहा है. इसके लिए उसे आतंकवादियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करके दिखानी होगी जो वह करने की कोशिश लगातार कर रहा है. यही वजह है कि पाकिस्तान ने संभवत: दिखावे के खातिर इन आतंकवादियों पर कार्रवाई करने के संकेत दिये हैं. यदि पाकिस्तान ग्रे लिस्ट से बाहर नहीं निकल पाता है तो उसकी आर्थिक स्थिति चौपट हो जाएगी.
एफएटीएफ के बारे में जानें : फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स यानी एफएटीएफ (FATF) एक अंतर-सरकारी निकाय है जिसे फ्रांस की राजधानी पेरिस में जी7 समूह के देशों द्वारा 1989 में स्थापित करने का काम किया था. इसके काम की बात करें तो ये अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग), सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार और आतंकवाद के वित्तपोषण पर पैनी नजर रखता है. इसके अलावा एफएटीएफ वित्त विषय पर कानूनी, विनियामक और परिचालन उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन को बढ़ावा भी देने का काम करता है. एफएटीएफ का निर्णय लेने वाला निकाय को एफएटीएफ प्लेनरी कहा जाता है जिसकी बैठक एक साल में तीन बार आयोजित होती है.
भाषा इनपुट के साथ
Posted By : Amitabh Kumar