मुस्लिम बच्चे सूर्य नमस्कार के कार्यक्रमों में शामिल न हों, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का फरमान
पर्सनल लॉ बोर्ड के सेक्रेटरी मौलाना खालिद सैफ़ुल्लाह रह़मानी ने यह भी कहा कि सरकार को इससे जुड़ा दिशानिर्देश वापस लेकर देश के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों का सम्मान करना चाहिए.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने आज कहा है कि सूर्य नमस्कार के कार्यक्रमों में मुसलमान बच्चों को शामिल ना किया जाये. बोर्ड का कहना है कि मुस्लिम समुदाय के बच्चों को सूर्य नमस्कार में शामिल नहीं होना चाहिए, क्योंकि सूर्य की उपासना करना इस्लाम के अनुरूप नहीं है.
पर्सनल लॉ बोर्ड के सेक्रेटरी मौलाना खालिद सैफ़ुल्लाह रह़मानी ने यह भी कहा कि सरकार को इससे जुड़ा दिशानिर्देश वापस लेकर देश के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों का सम्मान करना चाहिए. मौलाना रहमानी ने एक बयान में कहा, भारत एक धर्मनिरपेक्ष, बहु-धार्मिक और बहु-सांस्कृतिक देश है. इन्हीं सिद्धान्तों के आधार पर हमारा संविधान बनाया गया है.
All India Muslim Personal Law Board opposes Govt directive to organize 'Surya Namaskar' program in schools between Jan 1-Jan 7 on the 75th anniversary of Independence Day; says 'Surya Namaskar' is a form of Surya puja and Islam does not allow it pic.twitter.com/KcUq2xAGIm
— ANI (@ANI) January 4, 2022
मौलाना ने कहा कि संविधान हमें धार्मिक स्वतंत्रता की आजादी देता है और हमें इस बात की अनुमति नहीं देता है कि सरकारी शिक्षण संस्थानों में किसी धर्म विशेष की शिक्षा दी ये या उसके अनुसार आचरण सभी धर्मों के बच्चों से करवाया जाये.
मौलाना खालिद सैफ़ुल्लाह रह़मानी ने आरोप लगाया कि सरकार संविधान की सोच से विपरीत आचरण कर रही है, यह दुर्भाग्यपूर्ण है सरकार बहुसंख्यक समुदाय के आचरण को सबपर थोपने का प्रयास कर रही है, जो संविधान की आत्मा के विपरीत है.
गौरतलब है कि भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने 75वें स्वतन्त्रता दिवस के अवसर पर 30 राज्यों में सूर्य नमस्कार की एक परियोजना चलाने का निर्णय किया है, जिसमें 30 हज़ार स्कूलों को पहले चरण में शामिल किया जायेगा. 1 जनवरी से 7 फरवरी 2022 तक के लिए यह कार्यक्रम प्रस्तावित है और 26 जनवरी को सूर्य नमस्कार पर एक संगीत कार्यक्रम भी आयोजित किया जा रहा है.
मौलाना खालिद सैफ़ुल्लाह रह़मानी का कहना है कि सूर्य नमस्कार सूर्य की पूजा का एक रूप है, इस्लाम और देश के अन्य अल्पसंख्यक न तो सूर्य को देवता मानते हैं और न ही उसकी उपासना को सही मानते हैं, इसलिए सरकार को अपना निर्देश वापस लेना चाहिए, ताकि संविधान की आत्मक की रक्षा हो सके.
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गौरतलब है कि शिक्षा मंत्रालय ने 16 दिसंबर, 2021 को एक पत्र जारी किया जिसमें आजादी का अमृत महोत्सव के बैनर तले राष्ट्रीय योगासन खेल परिसंघ ने फैसला किया है कि एक जनवरी से सात फरवरी, 2022 तक 75 करोड़ सूर्य नमस्कार कराया जायेगा जिसका ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड विरोध कर रहा है.