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तलाक के लिए समान आधार के खिलाफ न्यायालय पहुंचा मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड

उपाध्याय ने अपनी अर्जी में तलाक के लिए समान आधार तय करने का अनुरोध करते हुए कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21 और 44 पर पर्सनल लॉ खरा नहीं उतरता है. अपनी अर्जी में किए गए अनुरोध को लागू करने की मांग करते हुए उपाध्याय ने कहा, ‘‘आवेदक यह निवेदन करना चाहता है कि संविधान के अनुच्छेद 13 की भावना और ‘परंपरा और उपयोग' धार्मिक भावना के आधार पर पर्सनल लॉ को शामिल नहीं करता है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 13, 2021 7:43 PM

संविधान और अंतरराष्ट्रीय समझौतों की मूल भावनाओं को ध्यान में रखते हुए देश के सभी नागरिकों के लिए ‘तलाक के सामान आधार’ रखने का अनुरोध वाली याचिका के खिलाफ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने उच्चतम न्यायालय में अर्जी दी है. बोर्ड ने भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर याचिका का विरोध किया है.

उपाध्याय ने अपनी अर्जी में तलाक के लिए समान आधार तय करने का अनुरोध करते हुए कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21 और 44 पर पर्सनल लॉ खरा नहीं उतरता है. अपनी अर्जी में किए गए अनुरोध को लागू करने की मांग करते हुए उपाध्याय ने कहा, ‘‘आवेदक यह निवेदन करना चाहता है कि संविधान के अनुच्छेद 13 की भावना और ‘परंपरा और उपयोग’ धार्मिक भावना के आधार पर पर्सनल लॉ को शामिल नहीं करता है.”

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याचिका में कहा गया है, ‘‘संविधान सभा को ‘पर्सनल लॉ’ और ‘परंपरा एवं उपयोग’ के बीच का फर्क पता था और उन्होंने सोच-समझ कर संविधान के अनुच्छेद-13 से पर्सनल लॉ को बाहर रखने और उसमें परंपरा एवं उपयोग को शामिल करने का निर्णय लिया.”

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बोर्ड ने अपनी अर्जी में कहा है कि हिन्दुओं में भी विवाह और तलाक से जुड़े कानून समान नहीं हैं और ऐसे में वैधानिक रूप से परंपराओं की रक्षा की गई है. शीर्ष अदालत ने पिछले साल 16 दिसंबर को उपाध्याय की अर्जी पर केन्द्र को नोटिस जारी किया था.

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