गुजरात चुनाव 2022: 11 प्रतिशत मुस्लिम वोट किसके साथ ? क्या है अल्पसंख्यक समुदाय के पास विकल्प
Gujarat Election 2022 : गुजरात की कुल 6.5 करोड़ की आबादी में मुस्लिमों की संख्या तकरीबन 11 प्रतिशत है. लगभग 25 विधानसभा क्षेत्रों में उनकी खासी तादाद देखने को मिलती है. करीब 27 साल से गुजरात में राज कर रही भाजपा को मुस्लिम मतदाताओं की पसंद नहीं माना जाता है.
Gujarat Election 2022 : गुजरात में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज हो चली है. इस क्रम में कांग्रेस ने शनिवार को मेनिफेस्टो जारी किया है और कई तरह के वादे जनता से किये हैं. इस बीच मुस्लिम वोट बैंक पर हर पार्टी की नजर है, खासकर कांग्रेस की जिसे वर्षों से मुस्लिम वोट मिलते आये हैं. अल्पसंख्यक समुदाय की बात करें तो उसके पास भाजपा शासित राज्य में वोट देने के लिए अब कई ‘‘धर्मनिरपेक्ष” दलों का विकल्प नजर आ रहा है. पहले के चुनावों में कांग्रेस को गुजरात में मुस्लिम वोटों के लिए इकलौता प्रमुख दावेदार माना जाता था लेकिन इस बार मुख्य विपक्षी दल अल्पसंख्यक मतदाताओं को रिझाने के लिए छोटे-छोटे दलों से जूझना पड़ रहा है.
कांग्रेस के सामने कौन हैं चुनौती
गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सामने ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम), अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) और कुछ अन्य दल चुनौती पेश कर रहे हैं जो उसके लिए परेशानी का सबब बन चुकी है. 2017 के विधानसभा चुनाव पर नजर डालें तो इस चुनाव में केवल तीन मुस्लिम विधायक जीते थे और तीनों कांग्रेस के थे. हालांकि, 2012 विधानसभा चुनाव के मुकाबले यह संख्या बेहतर कही जा सकती है क्योंकि इस साल केवल दो मुस्लिम विधायक जीते थे.
मुस्लिमों की संख्या तकरीबन 11 प्रतिशत
गुजरात की कुल 6.5 करोड़ की आबादी में मुस्लिमों की संख्या तकरीबन 11 प्रतिशत है. लगभग 25 विधानसभा क्षेत्रों में उनकी खासी तादाद देखने को मिलती है. करीब 27 साल से गुजरात में राज कर रही भाजपा को मुस्लिम मतदाताओं की पसंद नहीं माना जाता है. वहीं कांग्रेस ने 2017 में राज्य में छह मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिये थे. भाजपा आमतौर पर किसी भी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट नहीं देती है. इस साल की शुरुआत में कांग्रेस ने अल्पसंख्यक समुदाय के वोट हासिल करने की कवायद के तौर पर वांकानेर से अपने विधायक मोहम्मद पीरजादा को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया था.
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जगदीश ठाकोर ने क्या किया
इधर, कांग्रेस की गुजरात इकाई के अध्यक्ष जगदीश ठाकोर ने मुस्लिम मतदाताओं को पार्टी से जोड़े रखने के लिए 2006 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के उस बयान को दोहराया कि अल्पसंख्यकों को देश के संसाधनों पर ‘‘सबसे पहले दावा” जताना चाहिए. ठाकोर की जुलाई में की गयी इस टिप्पणी की दक्षिणपंथी संगठनों ने आलोचना की थी और उन पर वोटों के लिए तुष्टीकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया था.
‘आप’ और एआईएमआईएम की नजर मुस्लिम वोट पर
यहां चर्चा कर दें कि इस बार गुजरात में विधानसभा चुनाव त्रिकोणीय होता नजर आ रहा है. चुनावी मैदान में कांग्रेस और भाजपा के अलावा आम आदमी पार्टी यानी ‘आप’ भी मैदान में हैं. वहीं एआईएमआईएम प्रमुख और लोकसभा सदस्य असदुद्दीन ओवैसी मुस्लिम मतदाताओं को लुभाने के लिए अक्सर गुजरात का दौरा करते दिख चुके हैं. उनकी पार्टी ने कहा था कि वह गुजरात में 30 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और उसने छह प्रत्याशियों की घोषणा भी कर दी है. ‘आप’ इस समुदाय को लुभाने के लिए चुपचाप काम कर रही है.
भाषा इनपुट के साथ