कोहिमा/गुवाहाटी/नयी दिल्ली : नगालैंड (Nagaland News Today Live In Hindi) के मोन जिले में गुस्सायी भीड़ ने रविवार को असम राइफल्स के शिविर और कोन्याक यूनियन के कार्यालय में कथित तौर पर तोड़फोड़ की. जिले में सुरक्षा बलों की कथित गोलीबारी में 14 आम नागरिकों की मौत के बाद हालात नाजुक बने हुए हैं. नगालैंड की सरकार ने घटना की जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) बनाने के आदेश दे दिये हैं. वहीं, सेना ने कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी के आदेश दिये हैं और इस घटना पर गहरा खेद जताया है.
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि भीड़ ने तोड़फोड़ करते हुए 14 लोगों की मौत में शामिल सुरक्षा बलों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की. तोड़फोड़ का वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहा है, जबकि प्राधिकारियों ने जिले में इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया है. अभी यह पता नहीं चला है कि क्या तोड़फोड़ की इन घटनाओं में कोई हताहत हुआ है.
दरअसल, नगालैंड के मोन जिले (Nagaland News Mon District) में एक के बाद एक गोलीबारी की तीन घटनाओं में सुरक्षा बलों की गोलियों से कम से कम 14 लोगों की मौत हो गयी, जबकि 11 अन्य घायल हो गये. पुलिस ने रविवार को बताया कि गोलीबारी की पहली घटना संभवत: गलत पहचान का मामला थी. इसके बाद हुए दंगों में एक सैनिक की भी मौत हो गयी.
नगालैंड में सेना के साथ तीन जगह आम लोगों की हुई झड़प
सेना की गोली से 14 लोगों की मौत के बाद आफस्पा हटाने की मांग
14 लोगों की मौत की ‘कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी’ के सेना ने दिये आदेश
गोलीबारी की पहली घटना तब हुई, जब शनिवार शाम कुछ कोयला खदान कर्मी एक पिकअप वैन में सवार होकर गाना गाते हुए घर लौट रहे थे. सेना के जवानों को प्रतिबंधित संगठन नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड-के (NSCN-K) के युंग ओंग धड़े के उग्रवादियों की गतिविधि की सूचना मिली थी. इसी गलतफहमी में इलाके में अभियान चला रहे सैन्यकर्मियों ने वाहन पर कथित रूप से गोलीबारी की, जिसमें 6 मजदूरों की जान चली गयी.
Also Read: नगालैंड में सेना की गोली से 13 नागरिकों की मौत पर गुस्से में राहुल, पूछा- गृह मंत्रालय कर क्या रहा हैपुलिस के अधिकारियों ने बताया कि जब मजदूर अपने घर नहीं पहुंचे, तो स्थानीय युवक और ग्रामीण उनकी तलाश में निकले. इन लोगों ने सेना के वाहनों को घेर लिया. इस दौरान हुई धक्का-मुक्की व झड़प में एक सैनिक मारा गया और सेना के वाहनों में आग लगा दी गयी. इसके बाद सैनिकों द्वारा आत्मरक्षार्थ की गयी गोलीबारी में 7 और लोगों की जान चली गयी.
Nagaland govt has formed a Special Investigation Team (SIT) to probe into the firing incident that took place on Saturday evening in Mon district,in which 13 civilians and a jawan lost their lives, an order issued by state home department signed by Chief Secretary J Alam said
— ANI (@ANI) December 5, 2021
इस घटना के खिलाफ उग्र विरोध और दंगों का दौर रविवार को भी जारी रहा. गुस्सायी भीड़ ने आज कोन्याक यूनियन (Nagaland News Konyak) और असम राइफल्स (Assam Rifles) कैंप के कार्यालयों में तोड़फोड़ की और उसके कुछ हिस्सों में आग लगा दी. सुरक्षा बलों द्वारा हमलावरों पर की गयी गोलीबारी में कम से कम एक और नागरिक की मौत हो गयी, जबकि दो अन्य घायल हो गये.
नगालैंड सरकार ने एक अधिसूचना के जरिये ‘भड़काऊ वीडियो, तस्वीरों या लिखित सामग्री के प्रसार’ को रोकने के लिए जिले में मोबाइल इंटरनेट और डेटा सेवाओं के साथ-साथ एक साथ कई एसएमएस करने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है. जिले में इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध के बावजूद, हालांकि भीड़ द्वारा मोन में कोन्याक यूनियन कार्यालय और असम राइफल्स कैंप में तोड़फोड़ करने के वीडियो सोशल मीडिया में प्रसारित हो रहे हैं.
रविवार को दिल्ली से लौटे मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो सोमवार को प्रभावित जिले का दौरा करेंगे. पुलिस ने कहा कि इस गोलीबारी में मारे गये लोगों का पोस्टमॉर्टम मोन में कराया जा रहा है. उन्होंने आशंका जतायी की मृतकों की संख्या बढ़ सकती है, क्योंकि घायलों में से दो की हालत गंभीर है. उन्हें बेहतर उपचार के लिए असम भेजा गया है, जबकि शेष का उपचार नगालैंड में ही चल रहा है.
अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश सरकार ने आईजीपी नगालैंड की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है. रक्षा जनसंपर्क अधिकारी (कोहिमा) लेफ्टि. कर्नल सुमित के शर्मा ने कहा, नगालैंड में मोन जिले के तिरु में उग्रवादियों की संभावित गतिविधियों की विश्वसनीय खुफिया जानकारी के आधार पर इलाके में एक विशेष अभियान चलाये जाने की योजना बनायी गयी थी. यह घटना और इसके बाद जो हुआ, वह अत्यंत खेदजनक है.’
मोन जिला म्यांमार की सीमा के पास स्थित है, जहां से एनएससीएन-के का युंग ओंग धड़ा अपनी उग्रवादी गतिविधियां चलाता है. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे को घटना की जानकारी दी गयी है. असम और नगालैंड के राज्यपाल जगदीश मुखी ने शांति की अपील करते हुए एक बयान में कहा कि एसआईटी सभी कोणों से घटना की जांच करेगी, जबकि इसमें शामिल सैन्यकर्मियों के खिलाफ कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी का गठन किया गया है.
गृह मंत्री अमित शाह ने भी शोक प्रकट किया और ट्वीट कर घटना में जान गंवाने वालों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की. उन्होंने कहा, ‘राज्य सरकार द्वारा गठित एक उच्चस्तरीय एसआईटी इस घटना की गहन जांच करेगी, ताकि शोक संतप्त परिवारों के लिए न्याय सुनिश्चित किया जा सके.’
कांग्रेस नेता राहुल गांधी और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त की. राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘यह हृदय विदारक है. भारत सरकार को सही-सही जवाब देना चाहिए. गृह मंत्रालय वास्तव में क्या कर रहा है, जब न तो आम नागरिक और न ही सुरक्षाकर्मी हमारी अपनी ही सरजमीं में सुरक्षित हैं?’
This is heart wrenching. GOI must give a real reply.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) December 5, 2021
What exactly is the home ministry doing when neither civilians nor security personnel are safe in our own land?#Nagaland pic.twitter.com/h7uS1LegzJ
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने घटना पर चिंता व्यक्त करते हुए ट्वीट किया, ‘नगालैंड से चिंताजनक खबर. शोक संतप्त परिवारों के प्रति हार्दिक संवेदना. मैं घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करती हूं. हमें घटना की विस्तृत जांच सुनिश्चित करनी चाहिए. हमें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी पीड़ितों को न्याय मिले.’
‘ईस्टर्न नगालैंड पीपुल्स ऑर्गेनाइजेशन’ (ईएनपीओ) ने इस घटना के विरोध में क्षेत्र के 6 जनजातीय समुदायों से राज्य के सबसे बड़े पर्यटन कार्यक्रम ‘हॉर्नबिल’ महोत्सव से भागीदारी वापस लेने का आग्रह किया. ईएनपीओ ने छह जनजातियों से राज्य की राजधानी के पास किसामा में हॉर्नबिल महोत्सव स्थल ‘नगा हेरिटेज विलेज’ में अपने-अपने ‘मोरुंग’ में घटना के खिलाफ काले झंडे लगाने को कहा.
नगालैंड की घटना के बाद पूर्वोत्तर से सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम,1958 (AFSPA) को वापस लेने की मांग रविवार को नये सिरे से जोर पकड़ने लगी है. नागरिक संस्था समूह और अधिकार कार्यकर्ता व क्षेत्र के राज नेता वर्षों से अधिनियम की आड़ में सुरक्षा बलों द्वारा ज्यादती का आरोप लगाते हुए ‘कठोर’ कानून को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. आफस्पा असम, नगालैंड, मणिपुर (इंफाल नगर परिषद क्षेत्र को छोड़कर), अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग, लोंगडिंग और तिरप जिलों के साथ असम की सीमा से लगे अरुणाचल प्रदेश के जिलों के आठ पुलिस थाना क्षेत्रों में आने वाले इलाकों में लागू है.
Posted By: Mithilesh Jha