Namami Ganga: गंगा और अन्य नदियों को स्वच्छ और निर्मल बनाने के लिए केंद्र सरकार कई कदम उठा रही है. नमामि गंगा योजना के तहत नदियों को स्वच्छ करने का काम किया जा रहा है. इस कड़ी में भारत और डेनमार्क के बीच हरित रणनीतिक साझेदारी के तहत वाराणसी में स्वच्छ नदियों पर स्मार्ट प्रयोगशाला (एसएलसीआर) की स्थापना की गयी है. यह साझेदारी भारत सरकार के जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग, आईआईटी-बीएचयू और डेनमार्क सरकार के बीच एक अनोखी त्रिपक्षीय समझौता किया गया है. समझौते का मकसद छोटी नदियों के संरक्षण और प्रबंधन को बेहतर बनाना है. इसके लिए रिचार्ज साइट की पहचान होगी और हाइड्रोलॉजिकल मॉडल तैयार किया जायेगा.
वरुणा नदी के संरक्षण का होगा काम
समझौते के तहत वरुणा नदी का संरक्षण करना है. संरक्षण के लिए सरकारी निकायों, शैक्षणिक संस्थान और स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर स्वच्छ नदी जल के लिए समाधान के लिए एक मंच तैयार किया जायेगा. इस पहल में आईआईटी-बीएचयू में एक हाइब्रिड लैब मॉडल और वरुणा नदी पर ऑन-फील्ड लिविंग लैब की स्थापना की जायेगी. राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी), केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी), केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी), आईआईटी-बीएचयू और डेनमार्क के शहरी क्षेत्र परामर्शदाता के सदस्यों वाली परियोजना समीक्षा समिति (पीआरसी) देश में नदियों के संरक्षण के कामकाज की निगरानी करेगी. जिला मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में गठित समिति केंद्रीय और राज्य एजेंसियों के बीच समन्वय का काम करेगी. एनएमसीजी और आईआईटी-बीएचयू के सहयोग से स्थापित सचिवालय रोजाना की गतिविधियों और परियोजना विकास का काम करेगा. इस सचिवालय को जल शक्ति मंत्रालय से 16.80 करोड़ रुपये और डेनमार्क से 5 करोड़ रुपये का अनुदान मिलेगा. समझौते के तहत फिलहाल चार परियोजनाओं को मंजूरी दी गयी है. समझौते के तहत आधुनिक तकनीक का प्रयोग किया जायेगा और दो-तीन साल के अंदर नदियों को स्वच्छ करने का लक्ष्य रखा गया है. ताकि इलाके का सामाजिक और आर्थिक विकास हो सके.