देहरादून : ‘नमामि गंगे’ को देश का सबसे बड़ा और विस्तृत नदी संरक्षण कार्यक्रम बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि आज देश उस दौर से निकल चुका है जब पैसा पानी की तरह बह जाता था, लेकिन नतीजे नहीं मिलते थे . अब पैसा पानी की तरह नहीं बहता, बल्कि पाई-पाई पानी पर लगाया जाता है .
महत्त्वाकांक्षी ‘नमामि गंगे’ परियोजना के तहत उत्तराखंड में हरिद्वार, ऋषिकेश, मुनि की रेती और बद्रीनाथ में सीवरेज शोधन संयंत्र (एसटीपी) और गंगा संग्रहालय समेत छह परियोजनाओें का नयी दिल्ली से डिजिटल तरीके से लोकार्पण करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने ये बातें कहीं. उन्होंने कहा, ‘‘आज देश उस दौर से बाहर निकल चुका है जब पैसा पानी की तरह बह जाता था लेकिन नतीजे नहीं मिलते थे. आज पैसा न पानी की तरह बहता है, न पानी में बहता है, बल्कि पाई-पाई पानी पर लगाया जाता है.”
Inaugurating development projects in Uttarakhand. #NamamiGange https://t.co/EK2OCwISrI
— Narendra Modi (@narendramodi) September 29, 2020
मोदी ने कहा कि बीते दशकों में गंगा की निर्मलता को लेकर बडे-बडे अभियान शुरू किए गये जिनमें न तो जनभागीदारी थी और न ही दूरदर्शिता और उसका नतीजा यह हुआ कि गंगा का पानी कभी साफ ही नहीं हो पाया . उन्होंने कहा, ‘अगर गंगाजल की शुद्धता को लेकर वही पुराने तौर तरीके अपनाए जाते तो आज भी हालत उतनी ही बुरी रहती . लेकिन हम नयी सोच से आगे बढे .
हमने नमामि गंगे मिशन को केवल गंगा की साफ-सफाई तक सीमित नहीं रखा, बल्कि इसे देश का सबसे बडा और विस्तृत नदी संरक्षण कार्यक्रम बनाया .’ प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने चारों दिशाओं में एक साथ काम आगे बढाया . पहला, गंगा में गंदा पानी रोकने के लिए एसटीपी का जाल बिछाना शुरू किया, दूसरा, ऐसे एसटीपी बनाए जो अगले 10-15 साल की जरूरत भी पूरी कर सकें .
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उन्होंने कहा कि तीसरा कार्य गंगा के किनारे बसे 100 बड़े शहरों और 5000 गांवों को खुले में शौच से मुक्त करना और चौथा गंगा की सहायक नदियों में भी प्रदूषण रोकने के लिए पूरी ताकत लगाना है . मोदी ने कहा कि आज 30,000 करोड़ रुपये की लागत से गंगा परियोजनाओं पर काम चल रहा है या पूरा हो चुका है .
उत्तराखंड का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य में इस अभियान के तहत बडी परियोजनाएं करीब-करीब पूरी हो चुकी हैं और पिछले छह वर्षों में ही उत्तराखंड में एसटीपी की क्षमता चार गुना हो चुकी है . प्रधानमंत्री ने कहा कि गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ से लेकर हरिद्वार तक गंगा नदी में 130 नाले गिरते थे जिनमें से अधिकतर को रोक दिया गया है. इनमें ऋषिकेश से सटे मुनि की रेती क्षेत्र का चंद्रेश्वर नगर नाला भी शामिल है . उन्होंने कहा कि आज से चंद्रेश्वर नगर में देश का पहला चार मंजिला सीवरेज संयंत्र शुरू हो चुका है .
हरिद्वार में भी ऐसे 20 से ज्यादा नालों को बंद किया जा चुका है . मोदी ने कहा कि प्रयागराज की तरह ही अगले साल हरिद्वार में होने वाले कुंभ के दौरान भी श्रद्धालुओं को निर्मल गंगा का अनुभव होगा . उन्होंने कहा कि नमामि गंगे के तहत गंगा के किनारे सैकड़ों घाटों का सौंदर्यीकरण किया जा रहा है और गंगा विहार के लिए आधुनिक रिवरफ्रंट भी तैयार किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि हरिद्वार में तो गंगा रिवर फ्रंट बनकर तैयार है और गंगा म्यूजियम के बनने से हरिद्वार का आकर्षण और बढ़ जाएगा . प्रधानमंत्री ने कहा कि नमामि गंगे अभियान को अब एक नए स्तर पर ले जाया जा रहा है, जहां गंगा की स्वच्छता के अलावा अब गंगा से सटे पूरे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था और पर्यावरण पर भी फोकस है . इस संबंध में उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सहित सभी राज्यों के किसानों को जैविक और आयुर्वेदिक खेती का लाभ दिलाने के लिए एक व्यापक योजना बनाई गई है, जिसमें गंगा के दोनों ओर पेड़-पौधों को लगाने के अलावा ऑर्गेनिक कॉरिडोर भी विकसित किया जा रहा है .
उन्होंने कहा कि गंगा जल को बेहतर बनाने के लिए इन कार्यों से मैदानी इलाकों में ‘मिशन डॉल्फिन’ को मदद मिलने वाली है और इससे डॉल्फिन संवर्धन के कार्य को और मजबूती मिलेगी . उन्होंने कहा कि जलशक्ति मंत्रालय का गठन किए जाने के बाद से एक साल में ही दो करोड़ से ज्यादा परिवारों तक पीने का पानी पहुंचाया गया है और हर दिन करीब एक लाख परिवारों को शुद्ध जल पहुंच रहा है .
इस संबंध में उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार की प्रशंसा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उसने तो एक कदम आगे बढकर एक रुपये में पानी का कनेक्शन देने का बीड़ा उठाया है . उन्होंने इस बात पर खुशी जतायी कि कोरोना काल में भी सरकार ने 50000 घरों तक पानी पहुंचाया और वर्ष 2022 तक राज्य सरकार ने हर घर में पीने का पानी पहुंचाने का लक्ष्य रखा है जो उसकी प्रतिबद्धता को दिखाता है . जलशक्ति मंत्रालय के ‘जलजीवन मिशन’ को महत्वपूर्ण बताते हुए उन्होंने कहा कि गांवों में पानी की योजनाओं की प्लानिंग से लेकर रखरखाव तक की पूरी व्यवस्था ग्राम पंचायतों को दे दी गयी है .
उन्होंने कहा कि यह कार्य पानी समितियां करेंगी और इनमें भी 50 फीसदी महिलाएं होंगी . मिशन के तहत दो अक्टूबर से 100 दिन का एक नया अभियान शुरू करने जा रहा है जिसके तहत देश के हर स्कूल और हर आंगनवाड़ी में नल से जल सुनिश्चित किया जाएगा . इस संबंध में उन्होंने राज्य सरकारों से भी इस अभियान को सफल बनाने के काम को पूरा करने में सहयोग देने का आग्रह किया
Posted By – Pankaj Kumar Pathak