नारद स्टिंग केस में गिरफ्तार टीएमसी के चार बड़े नेताओं के हाउस अरेस्ट से जुड़ी याचिका की मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से याचिका वापस लेने और अपील के लिए कलकत्ता हाईकोर्ट का रूख करने को कहा. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई ने अपनी याचिका वापस ली. टीएमसी के चार बड़े नेताओं के हाउस अरेस्ट पर कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से रोक की गुहार लगाई थी. हाईकोर्ट ने नारद केस में सीएम ममता बनर्जी सरकार में मंत्री फिरहाद हकीम, सुब्रत मुखर्जी, टीएमसी के विधायक मदन मित्रा, कोलकाता के पूर्व मेयर शोभन चटर्जी को नजरबंद का आदेश दिया था.
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सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई की याचिका पर जस्टिस विनीत शरण और जस्टिस बीआर गवई ने सुनवाई की. सीबीआई की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और बंगाल सरकार की तरफ से विकास सिंह ने मामले की पैरवी की. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से सवाल किया कि गिरफ्तारी से पहले आरोपी को नोटिस दिया गया था? हमने धरने का समर्थन नहीं किया है. अगर सीएम धरने पर बैठी हैं तो उसका खामियाजा आरोपी को भुगतना पड़ेगा? हम किसी का समर्थन नहीं करते. आप हाईकोर्ट पर आरोप लगा रहे हैं, वो लिबर्टी के लिए है.
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नारद स्टिंग केस की जांच के दौरान 17 मई को सीबीआई ने टीएमसी के चार दिग्गज नेताओं को गिरफ्तार किया था. इसके बाद पश्चिम बंगाल में सियासी घमासान तेज होता जा रहा है. पिछले दिनों नारद स्टिंग केस में सीबीआई की कार्रवाई पर टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को निशाने पर लिया था. उन्होंने कहा था राज्यपाल जगदीप धनखड़ के इशारे पर सीबीआई काम कर रही है. इस पर राज्यपाल जगदीप धनखड़ का बयान भी सामने आया था. जगदीप धनखड़ ने कहा था कि वो इस मामले पर फैसला पश्चिम बंगाल की जनता के विवेक पर छोड़ते हैं. बता दें नारद स्टिंग ऑपरेशन केस की जांच सीबीआई के पास है.