प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मैसूर विश्वविद्यालय के शताब्दी दीक्षांत समारोह को वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से संबोधित किया. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि ‘‘अगर राष्ट्रीय शिक्षा नीति देश के शिक्षा क्षेत्र का भविष्य सुनिश्चित कर रही है, तो ये युवाओं को भी सशक्त कर रही है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति के फायदों के बारे में छात्रों को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा यह ‘‘प्री नर्सरी से लेकर पीएचडी” तक देश की पूरी शिक्षा व्यवस्था में मौलिक बदलाव लाने वाला एक बहुत बड़ा अभियान है.
उन्होंने कहा, ‘‘भारत को उच्च शिक्षा के लिए एक वैश्विक केन्द्र और हमारे युवाओं को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए सभी स्तरों पर प्रयास किए जा रहे हैं. ‘स्किलिंग’, ‘रिस्किलिंग’ और ‘अपस्किलिंग’ आज की जरूरत और राष्ट्रीय शिक्षा नीति इसी पर केन्द्रित है.” प्रधानमंत्री ने कहा कि बीत छह सालों में देश को उच्च शिक्षा के केंद्र के रूप में स्थापित करने का हर स्तर पर प्रयास हो रहा है. इसी को ध्यान में ध्यान में रखते हुए देश में प्रबंधन, चिकित्सा और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में संस्थानों और उनमें सीटों की संख्या बढ़ाई गई है.
उन्होंने कहा कि छह सालों के भीतर सात नए भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम), 15 अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), हर साल एक नया भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) और 16 नए भारतीय सूचना और प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईआईटी) की स्थापना की गई है. उन्होंने कहा, ‘‘वर्ष 2014 से पहले देश में 13 आईआईएम ही थे. इसी तरह करीब छह दशक तक देश में सिर्फ सात एम्स देश में सेवाएं दे रहे थे. साल 2014 के बाद इससे दोगुने यानि 15 एम्स देश में या तो स्थापित हो चुके हैं या फिर शुरु होने की प्रक्रिया में हैं.
आज़ादी के इतने वर्षों के बाद भी साल 2014 से पहले तक देश में 16 आईआईटी और नौ आईआईआईटी थे.” प्रधानमंत्री ने कहा कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे प्रयास सिर्फ नए संस्थान खोलने तक ही सीमित नहीं है. इन संस्थाओं के प्रशासन में सुधार से लेकर लैंगिक और सामाजिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए भी काम किया गया है. इन संस्थानों को ज्यादा अधिकार भी दिए गए हैं और इनमें पारदर्शिता भी लाई गई है.
उन्होंने कहा कि चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में पारदर्शिता की कमी थी और उसे दूर करने के लिए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग बनाया जा चुका है. उन्होंने कहा, ‘‘भारत के जीवन में यह दशक बहुत बड़ा मौका लेकर आया है. देश के युवा आत्मनिर्भर बनेंगे तो देश भी आत्मनिर्भर बनेगा.” प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते छह सालों में देश में चौतरफा सुधार हुए हैं और पिछले कुछ महीनों से इसकी गति और दायरे दोनों को बढ़ाया गया है ताकि 21वीं सदी भारत की हो. कृषि के क्षेत्र में किए गए हालिया सुधारों, शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिए लाई गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, मजदूरों के लिए लाए गए श्रम सुधार सहित अन्य सुधारों की चर्चा करते हुए मोदी ने कहा कि ये सुधार इसलिए किए जा रहे है ताकि यह दशक भारत का दशक बने.
उन्होंने कहा, ‘‘पिछले छह-सात महीने से सुधार की गति और दायरा दोनों बढ़ रहा है. खेती हो या अंतरिक्ष, रक्षा का क्षेत्र हो या उड्डयन का क्षेत्र, श्रम हो या फिर कोई और क्षेत्र, हर क्षेत्र में जरूरी बदलाव किए जा रहे हैं.” अगर खेती से जुड़े सुधार किसानों को सशक्त कर रहे हैं, तो श्रम सुधार मजदूरों और उद्योगों दोनों को विकास और सुरक्षा दे रहे हैं.” प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कर्नाटक में बाढ़ और भारी बारिश से अस्त व्यस्त हुए जनजीवन और नुकसान की भी चर्चा की और पीड़ित परिवार के प्रति संवेदनाएं प्रकट की.
उन्होंने कहा कि केन्द्र और कर्नाटक सरकार राज्य में बाढ़ प्रभावित लोगों को राहत पहुंचाने के लिए हर संभव कदम उठा रही है. कर्नाटक के राज्यपाल वजूभाई वाला और कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री सीएन अश्वथ नारायण भी इस कार्यक्रम में सम्मिलित हुए. ज्ञात हो कि मैसूर विश्वविद्यालय की स्थापना 27 जुलाई, 1916 को हुई थी. यह देश का छठा विश्वविद्यालय और कर्नाटक राज्य में पहला विश्वविद्यालय था. विश्वविद्यालय की स्थापना तत्कालीन मैसूर रियासत के दूरदर्शी महाराजा, नलवाड़ी कृष्णराज वाडियार और तत्कालीन दीवान सर एम.वी. विश्वेश्वरैया ने की थी.
Posted By: Pawan Singh