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जोहानिसबर्ग में आमने-सामने होंगे नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग, क्या अब बॉर्डर पर कायम होगी शांति?

विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने सोमवार को कहा कि जोहानिसबर्ग में ब्रिक्स शिखर बैठक से इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की द्विपक्षीय बैठकों के कार्यक्रमों को अभी अंतिम रूप दिया जा रहा है.

Narendra Modi And Xi Jinping : विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने सोमवार को कहा कि जोहानिसबर्ग में ब्रिक्स शिखर बैठक से इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की द्विपक्षीय बैठकों के कार्यक्रमों को अभी अंतिम रूप दिया जा रहा है. उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच बैठक की संभावना के बारे में पूछे गए सवालों का हालांकि कोई सीधा जवाब नहीं दिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दक्षिण अफ्रीका के शहर में 22 से 24 अगस्त तक आयोजित होने वाले 15वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने जायेंगे. उनकी यह यात्रा दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति साइरिल रामफोसा के निमंत्रण पर होगी.

ब्रिक्स नेताओं की पहली भौतिक उपस्थिति में होने वाली बैठक

यह कोविड-19 के बाद ब्रिक्स (ब्राजील-रूस-भारत-चीन-दक्षिण अफ्रीका) नेताओं की पहली भौतिक उपस्थिति में होने वाली बैठक (इन पर्सन समिट) होगी. यह पूछे जाने पर कि क्या मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच ब्रिक्स शिखर बैठक से इतर चर्चा होगी, विदेश सचिव क्वात्रा ने संवाददाताओं से कहा कि प्रधानमंत्री की द्विपक्षीय बैठकों को अभी अंतिम रूप दिया जा रहा है. अगर यह द्विपक्षीय बैठक होती है तो मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में सीमा पर गतिरोध के बाद यह इनके बीच पहली बैठक होगी. मोदी और शी का पिछले वर्ष नवंबर में बाली में जी-20 शिखर बैठक में थोड़ी देर के लिए आमना सामना हुआ था.

तीन साल से अधिक समय से टकराव की स्थिति

इस बीच, भारतीय सेना और चीनी पीएलए के बीच विश्वास बहाली कदमों के तहत स्थानीय कमांडर स्तरीय वार्ता पूर्वी लद्दाख के देपसांग और डेमचोक में जारी रही है. भारतीय और चीनी सैनिक पूर्वी लद्दाख में गतिरोध के कुछ बिंदुओं पर तीन साल से अधिक समय से टकराव की स्थिति में हैं. हालांकि दोनों पक्षों ने व्यापक राजनयिक और सैन्य वार्ता के बाद कई क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी पूरी कर ली है. भारत और चीन ने 19वें भारत-चीन कोर कमांडर-स्तरीय बैठक 13-14 अगस्त को भारतीय सीमा पर चुशुल-मोल्डो सीमा बैठक बिंदु पर आयोजित की थी. संयुक्त बयान में कहा गया था, “दोनों पक्षों ने पश्चिमी क्षेत्र में एलएसी पर शेष मुद्दों के समाधान पर सकारात्मक, रचनात्मक और गहन चर्चा की.”

विश्वास बहाली पर ध्यान केंद्रित किया गया

घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले सूत्रों के अनुसार, समझा जाता है कि मेजर जनरल स्तर की वार्ता शुक्रवार को शुरू हुई और इसमें मुख्य रूप से विश्वास बहाली पर ध्यान केंद्रित किया गया. इससे पहले, 24 जुलाई को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने चीन के वरिष्ठ राजनयिक वांग यी से जोहानिसबर्ग में ब्रिक्स की एक बैठक से इतर मुलाकात की थी.

2020 में संबंध कमजोर हुए

बैठक के संबंध में अपने बयान में विदेश मंत्रालय ने कहा था कि डोभाल ने यह अवगत कराया कि 2020 से भारत-चीन सीमा के पश्चिमी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्थिति से सामरिक विश्वास का क्षरण हुआ है तथा संबंध कमजोर हुए हैं. वहीं, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पिछले महीने जकार्ता में पूर्वी एशियाई शिखर बैठक से इतर चीनी राजनयिक वांग यी से बातचीत की थी.

शांति कायम नहीं होने तक चीन के साथ संबंध सामान्य नहीं हो सकते

भारत लगातार कहता रहा है कि जब तक सीमावर्ती इलाकों में शांति कायम नहीं होती, चीन के साथ उसके संबंध सामान्य नहीं हो सकते. पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक झड़प के बाद पांच मई, 2020 को पूर्वी लद्दाख सीमा पर गतिरोध शुरू हो गया था. गलवान घाटी में जून 2020 में हुई झड़प के बाद दोनों देशों के संबंध काफी प्रभावित हुए.

सोर्स : भाषा इनपुट

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