Narendra Modi Birthday: चायवाला से PM बनने तक, संघर्षों से भरा है नरेंद्र मोदी का सफर
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 72 साल के हो गये. उनके जन्मदिन के अवसर पर पूरा देश उन्हें शुभकामनायें दे रहा है. नरेंद्र मोदी का जीवन संघर्षों से भरा है. उन्होंने महज 6 साल की उम्र में अपने पिता के साथ गुजरात के वडनगर रेलवे स्टेशन पर चाय बेची.
नरेंद्र मोदी (Narendra Modi ) एक नाम ही नहीं, बल्कि एक पूरी संघर्ष की कहानी है. जिसमें गोते लगाकर हर कोई उससे प्रेरणा ले सकता है. नरेंद्र मोदी की जिंदगी का सफर गुजरात राज्य के वडनगर से होती है. नरेंद्र भाई दामोदरदास मोदी का जन्म 17 सितंबर 1950 को दामोदरदास मोदी और हीराबेन के घर में हुआ. तब उस समय कौन जानता था कि बेहद साधारण गुजराती परिवार में जन्म लेने वाला छोटा बालक एक दिन देश का प्रधानमंत्री बनेगा. हम यहां पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संघर्ष की कहानी आपसे साझा कर रहे हैं.
छोटे से घर में गुजरा मोदी का बचपन
नरेंद्र मोदी का बचपन काफी गरीबी और परेशानियों में बिता. बताया जाता है, मोदी वडनगर के जिस घर में रहते थे, वो काफी छोटा हुआ करता है. खपरैल मकान में डेढ़ कमरे के घर में नरेंद्र मोदी अपने माता-पिता और भाई-बहनों के साथ रहते थे.
नरेंद्र मोदी ने पिता के साथ स्टेशन में चाय बेची
नरेंद्र मोदी जब 6 साल के थे उस समय उनके सामने पैसे कमाने की जिम्मेवारी आ गयी थी. वो छोटी उम्र में अपने पिता के साथ वडनगर के रेलवे स्टेशन में चाय बेचा करते थे. स्टेशन में नरेंद्र मोदी के पिता की एक छोटी से दुकान हुआ करती थी. आज भी वडनगर स्टेशन में वह दुकान मौजूद है.
8 साल की उम्र में ही आरएसएस से जुड़ गये थे नरेंद्र मोदी
नरेंद्र मोदी का छोटी उम्र से ही आरएसएस से जुड़ाव हो गया था. जिस समय वह आरएसएस से जुड़े उस समय उनकी उम्र केवल 8 साल की हुआ करती थी. 1958 में आरएसएस के पहले प्रांत प्रचारक लक्ष्मण राव इनामदार ने नरेंद्र भाई मोदी को बाल स्वयंसेवक के रूप में शपथ दिलायी थी. उसी समय से वो आरएसएस की शाखाओं में जाने लगे थे.
नरेंद्र मोदी की शिक्षा-दीक्षा
नरेंद्र मोदी की प्रारंभिक पढ़ाई-लिखाई वडनगर में पूरी की. आरएसएस में प्रचारक रहते हुए 1980 में गुजरात विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में एमए की डिग्री ली. अपने पिता के 6 संतानों में तीसरे पुत्र नरेंद्र मोदी एक औसत दर्जे के छात्र थे. उनके स्कूली शिक्षक के अनुसार मोदी पढ़ने में कुछ खास नहीं थे, लेकिन उन्हें वाद-विवाद और नाटक प्रतियोगिताओं में उसकी बेहद रुचि थी. साथ ही राजनीति में भी उनकी बहुत रूची थी. अपने पढ़ाई के दौरान मोदी छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े और भ्रष्टाचार विरोधी नव निर्माण आन्दोलन में हिस्सा भी लिया.
13 साल की उम्र में ही हो गयी थी नरेंद्र मोदी की सगाई
नरेंद्र मोदी की महज 13 साल की उम्र में जशोदाबेन चमनलाल के साथ सगाई हो गयी थी और जब शादी हुई तो, केवल 17 साल के थे. मोदी की जीवनी लिखने वालों के अनुसार मोदी ने भले ही जशोदाबेन के साथ शादी की, लेकिन कभी साथ में नहीं रहे. 17 साल की उम्र में ही मोदी ने घर का त्याग कर दिया.
महज 17 साल की उम्र में मोदी ने छोड़ दिया था घर
नरेंद्र भाई मोदी जब 17 साल के थे उस समय अपने परिवार वालों को बिना बताये ही घर से चले गये और फिर दो साल तक घर नहीं लौटे. इस दौरान उन्होंने भारत की यात्रा की. देश के धार्मिक केंद्रों का दौरा भी किया. 1969 या 1970 में नरेंद्र मोदी वापस गुजरात लौटे. फिर 1971 में आरएसएस के पूर्णकालिक कार्यकर्ता बन गये.
आपातकाल के दौरान नरेंद्र मोदी रहे अज्ञातवास पर
जब देश में पहले इंदिरा गांधी के कार्यकाल में 1975 में आपातकाल लगा था, तब उस समय नरेंद्र मोदी भी उन शीर्ष नेताओं में शामिल थे, जिन्हें अज्ञातवास में समय गुजारना पड़ा था.
1985 में भाजपा से जुड़े नरेंद्र मोदी
1971 में आरएसएस के पूर्णकालिक कार्यकर्ता बनने के बाद नरेंद्र मोदी 14 साल तक देशभर में भ्रमण कर आरएसएस के लिए काम किया. सक्रिय राजनीति में आने से पहले मोदी आरएसएस के प्रचारक रहे. फिर 1985 में उन्होंने भाजपा ज्वाइन कर लिया.
14 साल तक नरेंद्र मोदी रहे गुजरात के मुख्यमंत्री
नरेंद्र मोदी 7 अक्टूबर 2001 को गुजरात के मुख्यमंत्री बने. फिर लगातार 14 साल तक सीएम पद पर बने रहे. इस दौरान उन्होंने गुजरात को देश के टॉप राज्यों में शामिल कर लिया. आज भी मोदी के गुजरात मॉडल की चर्चा की जाती है. 22 मई 2014 तक मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री रहे.
नरेंद्र मोदी के लिए 2001 रहा टर्निंग प्वाइंट
नरेंद्र मोदी भाजपा ज्वाइन करने के बाद कई पदों पर काम किये. 1988-89 में उन्हें भाजपा की गुजरात ईकाई का महासचिव बनाया गया. जब पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ-अयोध्या रथ यात्रा की थी, उस समय नरेंद्र मोदी ने अहम भूमिका निभायी थी. उसी समय से मोदी की पहचान बड़े नेताओं में होने लगी. हालांकि मोदी के लिए 2001 का साल टर्निंग प्वाइंट वाला रहा. उस साल गुजरात में विनाशकारी भूकंप आयी थी, जिसमें 20 हजार से अधिक लोगों की मौत हुई थी. राजनीति दबाव के कारण गुजरात के तात्कालीन मुख्यमंत्री केशूभाई पटेल को इस्तीफा देना पड़ा और उनकी जगह पर नरेंद्र मोदी को पहली बार गुजरात का मुख्यमंत्री बनाया गया. मोदी भी शायद इसी की प्रतिक्षा में थे, उन्होंने उसके बाद फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा. साल 2012 आते-आते नरेंद्र भाई मोदी का कद इतना बड़ा हो गया कि उन्हें प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पार्टी देखने लगी थी.
2014 में नरेंद्र मोदी बने देश के प्रधानमंत्री
गुजरात को शीर्ष राज्यों में शामिल कर प्रसिद्धि प्राप्त कर चुके नरेंद्र मोदी को बीजेपी ने प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया. उनके नेतृत्व में बीजेपी ने प्रचंड जीत दर्ज कर केंद्र में बहुमत की सरकार बनायी. 2014 में नरेंद्र मोदी देश के 14वें प्रधानमंत्री बने. फिर 2019 में भी उन्होंने शानदार जीत दर्ज कर बहुमत के साथ केंद्र में दोबारा प्रधानमंत्री बने.