बेटे को दसवीं की परीक्षा दिलाने साइकिल से 106 किलोमीटर ले गया यह पिता, कुछ यूं मिला आंनद महिन्द्रा का साथ
माता पिता हमेशा अपने बच्चों के लिए बड़ा और बेहतर सपना देखते हैं. वो हमेशा अपने बच्चो के भविष्य को बेहतर बनाने के लिए बहुत मेहनत भी करते हैं. महिंद्रा ग्रूप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने एक ऐसे ही पिता की मेहनत को सराहा है. साथ ही उस बच्चे की पूरी पढ़ाई का खर्च भी उठाने के लिए तैयार हैं. इसकी जानकारी खुद आंनद महिन्द्रा ने ट्वीट कर दी है.
माता पिता हमेशा अपने बच्चों के लिए बड़ा और बेहतर सपना देखते हैं. वो हमेशा अपने बच्चो के भविष्य को बेहतर बनाने के लिए बहुत मेहनत भी करते हैं. महिंद्रा ग्रूप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने एक ऐसे ही पिता की मेहनत को सराहा है. साथ ही उस बच्चे की पूरी पढ़ाई का खर्च भी उठाने के लिए तैयार हैं. इसकी जानकारी खुद आंनद महिन्द्रा ने ट्वीट कर दी है.
अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा है कि एक वीर माता-पिता, जो अपने बच्चों के लिए बड़े सपने देखते है, ये वे आकांक्षाएं हैं जो देश की प्रगति को बढ़ावा देती हैं. पर @MahindraRise हम इसे एक उदय कहानी कहते हैं. हमारे फाउंडेशन को आशीष की आगे की शिक्षा का समर्थन करने के लिए विशेषाधिकार प्राप्त होगा. क्या पत्रकार हमें कनेक्ट कर सकता है?
अपने द्वीट में आंनंद महिंद्रा ने अपने ट्वीट के साथ एक न्यूजपेपर की कटिंग भी पोस्ट की है. जिसमें मध्यप्रदेश की एक खबर का जिक्र है. खबर के मुताबिक मध्य प्रदेश के धार शहर में एक पिता अपने बेटे को दसवीं की परीक्षा दिलाने के लिए साइकिल से 106 किलीमीटर का सफर तय करते है ताकि उसके बेटे का सपना पूरा हो सके.
A heroic parent. One who dreams big for his children. These are the aspirations that fuel a nation’s progress. At @MahindraRise we call it a Rise story. Our Foundation would be privileged to support Aseesh’s further Education. Could the journalist please connect us? pic.twitter.com/KsVVy6ptMU
— anand mahindra (@anandmahindra) August 20, 2020
इस शख्स का नाम शोभाराम है जो एक दैनिक मजदूर है. जो अपने गांव से धार मनावर शहर तक 106 किलोमीटर तक साइकिल चला कर आया ताकि उसका बेटा आशीष दसवीं की गणित और समाजिक विज्ञान की परीक्षा में शामिल हो सके. खाने के लिए घर से ही रोटी लेकर आये थे.
शोभाराम ने कहा कि वो दैनिक मजदूर हैं लेकिन वो चाहते है कि उनका बेटा अच्छी जिंदगी जिये, और अगर उसे मौका मिल रहा है तो मैं उसे पूरा करने के लिए कुछ भी करूंगा. बता दें कि आशीष ने दसवीं की परीक्षा में तीन विषयों में फेल किया था, जिसके बाद उसने फेल हुए विषयों की परीक्षा देने के लिए मध्य प्रदेश सरकार की योजना रूक जाना नहीं के तहत अपना निंबधन कराया था.
शोभाराम ने बताया कि उनका बेटा किसी भी तरह दसवीं पास करना चाहता था, पर समस्या यह थी कि उसका परीक्षा केंद्र उनके गांव से 106 किलोमीटर दूर था. लॉकडाउन के कारण बसें नहीं चल रही है और कार बुक करने के पैसे नहीं थे. इस लिए अपने एक दोस्त से 500 रूपये उधार लिया और साइकिल से ही बेटे को परीक्षा दिलाने के लिए निकल पड़ा.
Posted By: Pawan Singh