National Campaign: लिंग आधारित हिंसा के खिलाफ चलेगा राष्ट्रीय अभियान
लिंग आधारित हिंसा के खिलाफ एक महीने तक चलने वाले राष्ट्रीय अभियान ‘नयी चेतना-पहल बदलाव की’ के तीसरे संस्करण का शुभारंभ सोमवार को किया गया. यह अभियान 23 दिसंबर 2024 तक सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चलेगा.
National Campaign: महिला को पूरी तरह से सशक्त करना है तो महिला का सामाजिक सशक्तिकरण, राजनीतिक सशक्तिकरण और शैक्षिक सशक्तिकरण करना जरूरी है. ग्रामीण विकास मंत्रालय के तत्वावधान में दीनदयाल अंत्योदय योजना- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) द्वारा लिंग आधारित हिंसा के खिलाफ एक महीने तक चलने वाले राष्ट्रीय अभियान की शुरुआत सोमवार को की गयी, ‘नयी चेतना-पहल बदलाव की’ के तीसरे संस्करण के शुभारंभ के साथ ही 13 राज्यों में 227 नये जेंडर रिसोर्स सेंटरों का शुभारंभ किया गया. यह अभियान 23 दिसंबर 2024 तक सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चलेगा. डीएवाई-एनआरएलएम के देशभर में फैले स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) नेटवर्क के नेतृत्व में यह पहल जन आंदोलन बनेगा.
नयी चेतना अभियान का उद्देश्य जमीनी स्तर की पहल के माध्यम से लिंग आधारित हिंसा के खिलाफ जागरूकता बढ़ाना और लक्षित कार्रवाई को बढ़ावा देना है. नयी चेतना 3.0 के उद्देश्यों में लिंग आधारित हिंसा के सभी रूपों के बारे में जागरूकता बढ़ाना, हिंसा के खिलाफ समुदायों को आवाज उठाने और कार्रवाई की मांग करने के लिए प्रोत्साहित करना, समय पर सहायता के लिए समर्थन प्रणालियों तक पहुंच प्रदान करना और स्थानीय संस्थाओं को निर्णायक रूप से कार्य करने के लिए सशक्त बनाना शामिल है. अभियान का नारा, “एक साथ, एक आवाज़, हिंसा के खिलाफ,” है. केंद्रीय ग्रामीण विकास और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी, ग्रामीण विकास राज्य मंत्री कमलेश पासवान और डॉ. चंद्रशेखर पेम्मासानी व सचिव शैलेश कुमार भी कार्यक्रम में शामिल हुए.
हर गांव तक पहुंचेगा यह अभियान
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस अवसर पर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में महिला सशक्तिकरण का काम एक अभियान के रूप में चल रहा है. नई चेतना जैसे कार्यक्रमों को समाज में ले जाना होगा क्योंकि हिंसा तो आज भी होती है और ये केवल गांव में ही नहीं हैं निर्भया जैसी घटनायें शहर में होती हैं. आज भी कितनी बेटियों को निर्भया बनना पड़ता है. रूबिका पहाड़ी और अंकिता सेन जैसी बेटियां टुकड़े-टुकड़े कर फेंक दी जाती हैं. मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने देखा कि 90 प्रतिशत दुष्कर्म के मामले परिचितों द्वारा किये जाते हैं. समाज में व्यापक जनजागरण करना पड़ेगा. महिला स्वयं सहायता समूहों ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक नई क्रांति की है. महिला स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से हर गांव में इस अभियान को ले जाना पड़ेगा.
इस अभियान को और प्रभावी बनाने के लिए इसकी एक बार समीक्षा होगी कि हर गांव व शहर में इस अभियान को किस तरह से पहुंचाया जाये. क्योंकि इस अभियान की आवश्यकता शहरों में ज्यादा महसूस की जा रही है. यह अभियान “संपूर्ण सरकार” दृष्टिकोण की भावना में एक सहयोगात्मक प्रयास है और इसमें 9 मंत्रालय व विभाग जिसमें, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग, गृह मंत्रालय, पंचायती राज मंत्रालय, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, युवा मामले और खेल मंत्रालय, सूचना और प्रसारण मंत्रालय और न्याय विभाग शामिल है.