National Education Policy: सांकेतिक भाषा के लिए पीएम-ई-विद्या डीटीएच चैनल का होगा शुभारंभ
भारतीय सांकेतिक भाषा को बढ़ावा देने के लिए समर्पित पीएम-ई-विद्या चैनल की परिकल्पना आईएसएल को एक भाषा के साथ-साथ एक स्कूली विषय के रूप में बढ़ावा देने के लिए की गयी है, ताकि बड़ी आबादी को भाषा सीखने की सुविधा मिल सके.
National Education Policy: राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) तहत भारतीय सांकेतिक भाषा (आईएसएल) के लिए पीएम ई-विद्या डीटीएच चैनल का शुभारंभ किया जायेगा. एनईपी में इस बात का प्रावधान किया गया है कि भारतीय सांकेतिक भाषा (आईएसएल) को पूरे देश में मानकीकृत किया जाएगा. साथ ही श्रवण-बाधित छात्रों के लिए राष्ट्रीय एवं विभिन्न राज्यों के पाठ्यक्रमों की विषय-सामग्री तैयार की जाएगी. स्थानीय सांकेतिक भाषाओं का सम्मान किया जाएगा और जहां संभव और प्रासंगिक होगा, वहां पढ़ाया भी जाएगा.
इसका ध्यान रखते हुए सरकार ने इस दिशा में कदम बढ़ाया है. केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान शुक्रवार को भारतीय सांकेतिक भाषा (आईएसएल) के लिए पीएम ई-विद्या डीटीएच चैनल नंबर 31 का शुभारंभ करेंगे. यह महत्वपूर्ण पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के उद्देश्यों के तहत लायी जा रही है. एनईपी में सभी के लिए समावेशी शैक्षिक वातावरण को बढ़ावा देने के लिए भारतीय सांकेतिक भाषा को बढ़ावा देने की सिफारिश की गई है.
सांकेतिक भाषा को स्कूली विषय के रूप में बढ़ावा
भारतीय सांकेतिक भाषा को बढ़ावा देने के लिए समर्पित पीएम-ई-विद्या चैनल की परिकल्पना आईएसएल को एक भाषा के साथ-साथ एक स्कूली विषय के रूप में बढ़ावा देने के लिए की गयी है, ताकि बड़ी आबादी को भाषा सीखने की सुविधा मिल सके. यह चैनल स्कूली बच्चों (केंद्रीय और राज्यों के पाठ्यक्रम), शिक्षकों, शिक्षक प्रशिक्षकों और अन्य हितधारकों के लिए करियर संबंधी मार्गदर्शन, कौशल प्रशिक्षण, मानसिक स्वास्थ्य, कक्षा-वार पाठ्यक्रम सामग्री, संवाद कौशल के क्षेत्र में शिक्षण सामग्री का प्रसार करेगा.
इससे हिन्दी, अंग्रेजी आदि जैसी मौखिक भाषाओं की तरह सांकेतिक भाषा को भाषा के एक विषय के रूप में बढ़ावा मिलेगा.इस अवसर पर केंद्रीय कौशल विकास और उद्यमिता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी तथा श्रवण-बाधित (एचआई) बच्चे, उपलब्धियां प्राप्त करने वाले श्रवण-बाधित व्यक्ति, विशेष शिक्षक, आईएसएल प्रमाणित दुभाषिए और श्रवण- बाधित समुदाय को मुख्यधारा में लाने के लिए काम करने वाले संगठन भी उपस्थित रहेंगे.