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गुजरात में साइबर क्रिमिनल सक्रिय : एक साल में कार्ड के जरिए ठगे जा चुके हैं 14,000 लोग

गुजरात के अहमदाबाद में अकेले 3,997 शिकायतें हेल्पलाइन नंबर 1930 पर दर्ज कराई गई हैं. इसके बाद दूसरे नंबर पर गुजरात का सूरत शहर आता है, जहां पिछले एक साल के दौरान करीब 2,197 शिकायतें दर्ज कराई गई हैं.

अहमदाबाद : भारत के पश्चिमी राज्य गुजरात में साइबर क्रिमिनल सक्रिय नजर आ रहे हैं. यही वजह है कि पिछले एक साल के दौरान गुजरात के करीब 14,000 से अधिक लोग कार्ड धोखाधड़ी के शिकार हुए हैं. अंग्रेजी के अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की वेबसाइट पर 5 अप्रैल 2023 को प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2022 की शुरुआत से ही गुजरात में धोखाधड़ी वाले क्रेडिट और डेबिट कार्ड से लेनदेन में बढ़ोतरी दर्ज की गई. सीआईडी गुजरात की ओर से अपडेट किए गए आंकड़ों के हवाले से खबर लिखी गई है कि गुजरात के करीब 14, 725 लोगों ने इन धंधेबाजों की वजह से अपनी मेहनत की जमापूंजी से हाथ धो दिया.

अहमदाबाद में सबसे अधिक शिकायत दर्ज

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि गुजरात के अहमदाबाद में अकेले 3,997 शिकायतें हेल्पलाइन नंबर 1930 पर दर्ज कराई गई हैं. इसके बाद दूसरे नंबर पर गुजरात का सूरत शहर आता है, जहां पिछले एक साल के दौरान करीब 2,197 शिकायतें दर्ज कराई गई हैं. इसी प्रकार, साइबर धोखाधड़ी के मामले में वडोदरा शहर तीसरे स्थान पर है, जहां साइबर ठगी की करीब 1,339 शिकायतें दर्ज कराई गई हैं. हालांकि, राजकोट में सबसे कम 612 मामले दर्ज किए गए हैं.

राजस्थान, पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर के राज्य सबसे अधिक प्रभावित

सीआईडी अपराध गुजरात साइबर सेल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हमने डार्क नेट पर डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी, फर्जी बीमा पॉलिसी बिक्री को लेकर डेटा लीक से संबंधित एक वर्गीकरण तैयार किया है. उन्होंने कहा कि कुछ मामलों में साइबर ठग पीड़ितों को रिमोट एक्सेस ऐप डाउनलोड करने के लिए कहते हैं और फिर पीड़ित का फोन हाईजैक कर लेते हैं. उन्होंने कहा कि राजस्थान, पश्चिम बंगा और कुछ पूर्वोत्तर के राज्य इस प्रकार के धोखेबाजी से सबसे अधिक प्रभावित हैं.

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बीमा पॉलिसी लेने वाले ग्राहकों को जाल में फंसाते हैं ठग

गुजरात सीआईडी अपराध के साइबर सेल के अपराध सलाहकार ने बताया कि साइबर ठगों का गिरोह बैंकों के ग्राहकों का ब्यारो हासिल करते हैं, जो व्हाट्सऐप और टेलीग्राम ग्रुपों पर मौजूद रहते हैं. इन दोनों सोशल मंचों पर करीब 55 ऐसे ग्रुप सक्रिय हैं, जो जहां से वे बैंक ग्राहकों का डेटा एकत्र करते हैं और बाद में उसे ठगी के लिए इस्तेमाल करते हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्रीय खुफिया एजेंसियों और जयपुर पुलिस के साइबर ऑपरेशन सलाहकार मुकेश चौधरी ने बताया कि धोखाधड़ी के कई तरीके हैं. इसमें सबसे अहम बीमा ग्राहकों का डेटा लीक होना शामिल है. बता दें कि मुकेश चौधरी देश के कई राज्यों में डेबिट और क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी करने वाले साइबर क्रिमिनलों पर निगरानी रख रहे हैं.

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