डीके शिवकुमार होंगे कर्नाटक के नये मुख्यमंत्री? समर्थकों ने समर्थन में की नारेबाजी
डीके शिवकुमार ने जहां खुद मुख्यमंत्री बनने के संकेत दे दिये हैं, वहीं उनके समर्थकों ने विधायक दल की बैठक से पहले जमकर नारेबाजी की. समर्थकों ने बेंगलुरू में पार्टी की सीएलपी बैठक से पहले 'डीके शिवकुमार बतौर सीएम' के नारे लगाए.
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की बड़ी जीत के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर पार्टी के अंदर मंथन जारी है. इधर प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने यह कहते हुए मुख्यमंत्री पद की दौड़ में बने रहने का संकेत दिया कि वह सभी को साथ लेकर चले और उन्होंने अपने लिए कभी कुछ नहीं मांगा. उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के साथ उनका मतभेद होने की अटकलों को भी खारिज किया.
शिवकुमार के समर्थन में नारेबाजी
डीके शिवकुमार ने जहां खुद मुख्यमंत्री बनने के संकेत दे दिये हैं, वहीं उनके समर्थकों ने विधायक दल की बैठक से पहले जमकर नारेबाजी की. समर्थकों ने बेंगलुरू में पार्टी की सीएलपी बैठक से पहले ‘डीके शिवकुमार बतौर सीएम’ के नारे लगाए.
शिवकुमार ने कहा, कर्नाटक में कांग्रेस को वापसी कराने में किया मेहनत
जनता द्वारा पसंद किए जाने वाले लोगों के बजाय मेहनत करने वाले लोगों को तरजीह दिए जाने के सवाल पर शिवकुमार ने कहा कि जब 2019 के उपचुनाव में पार्टी की शिकस्त के बाद सिद्धरमैया और दिनेश गुंडु राव ने क्रमश: कांग्रेस विधायक दल के नेता तथा प्रदेश इकाई के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया था, तो कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उन पर विश्वास जताया था तथा उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया था. शिवकुमार ने यह भी कहा कि जब वह धन शोधन के एक मामले में जेल में बंद थे, तो सोनिया गांधी अपना समर्थन जताने के लिए उनसे मिलने आयी थीं. कनकपुरा से विधानसभा चुनाव जीतने वाले शिवकुमार ने कहा कि उन्होंने सभी को साथ लेकर चलते हुए दिन-रात मेहनत की है.
#WATCH | Supporters of Karnataka Congress president DK Shivakumar raise slogans of 'DK Shivakumar as CM' ahead of the party's CLP meeting in Bengaluru pic.twitter.com/fraFp9CTSe
— ANI (@ANI) May 14, 2023
सिद्धरमैया के साथ मतभेद की खबर को किया खारिज
शिवकुमार ने कहा, हर कोई कह रहा है कि मेरे और सिद्धरमैया के बीच मतभेद हैं, लेकिन मैं आपको बता दूं कि रत्ती भर भी मतभेद नहीं है. मैंने किसी को मौका ही नहीं दिया. मैंने अपने आप को जमीन से जुड़ा हुआ रखा तथा अपने रास्ते पर चलता गया. कांग्रेस ने कर्नाटक विधानसभा की 224 में से 135 सीट जीतकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को सत्ता से बाहर कर दिया. भाजपा ने महज 66 सीट पर जीत दर्ज की.
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