हिजाब पर हाईकोर्ट के फैसले का विरोध, परीक्षा का बहिष्कार कर एग्जाम हॉल के बाहर आ गयीं छात्राएं
कर्नाटक में हिजाब विवाद को लेकर हाई कोर्ट के फैसले के बाद एक ओर जहां कई मुस्लिम नेता इसकी आलोचना करते दिखें. वहीं, अब इसमें छात्राएं भी कूद गई हैं. दरअसल, कर्नाटक हाई कोर्ट का फैसला आने के बाद राज्य के एक शहर में एग्जाम हॉल से परीक्षा दिए बगैर बाहर आने का मामला प्रकाश में आया है.
Hijab Verdict कर्नाटक में हिजाब विवाद को लेकर हाई कोर्ट के फैसले के बाद एक ओर जहां कई मुस्लिम नेता इसकी आलोचना करते दिखें. वहीं, अब इसमें छात्राएं भी कूद गई हैं. दरअसल, कर्नाटक हाई कोर्ट का फैसला आने के बाद राज्य के एक शहर में एग्जाम हॉल से परीक्षा दिए बगैर बाहर आने का मामला प्रकाश में आया है. इंडिया टुडे की खबर के अनुसार, कर्नाटक के यादगिर के सुरापुरा तालुका के केम्बावी सरकारी कॉलेज की छात्राओं परीक्षा का बहिष्कार किया और वे बाहर आ गईं. ये सभी छात्राएं कॉलेज में हिजाब पहनकर ही परीक्षा देने पहुंची थीं.
परीक्षा कक्ष से बाहर आ गईं छात्राएं
बताया गया कि परीक्षा मंगलवार सुबह 10 बजे शुरू हुई थी, जो 1 बजे खत्म होने वाली थी. खबर में कहा गया है कि कॉलेज की प्राचार्य शकुंतला ने परीक्षा का बहिष्कार करने वाली छात्राओं से कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेश का पालन करने को कहा. हालांकि उनकी बातों को नहीं माना गया है छात्राएं परीक्षा कक्ष से बाहर आ गईं. प्राचार्य के अनुसार करीब 35 छात्राओं ने परीक्षा का बहिष्कार किया. उक्त छात्राओं ने कहा है कि वे अपने अभिभावकों से चर्चा करने के बाद तय करेंगी कि वे बगैर हिजाब के कक्षा में हाजिर होंगे या नहीं.
हिजाब पहनकर ही देंगे परीक्षा : छात्राएं
रिपोर्ट के मुताबिक, एक छात्रा ने यह भी कहा कि हम हिजाब पहनकर ही परीक्षा देंगे और अगर इसे उतारने के लिए कहा गया तो परीक्षा नहीं देंगे. बीते दिनों कर्नाटक में हिजाब पहनने को लेकर विवाद काफी गहराया था. कर्नाटक के कई शहरों व कस्बों में इसे लेकर तनाव फैल गया था.आखिरकार मामला हाईकोर्ट पहुंचा और अब फैसला आया.
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा…
कर्नाटक हाई कोर्ट ने कक्षा में हिजाब पहनने की अनुमति देने का अनुरोध करने वाली उडुपी स्थित गवर्नमेंट प्री-यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज की मुस्लिम छात्राओं के एक वर्ग की याचिकाएं मंगलवार को खारिज कर दीं और कहा कि हिजाब पहनना इस्लाम धर्म में आवश्यक धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है. तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि स्कूल की वर्दी का नियम एक उचित पाबंदी है और संवैधानिक रूप से स्वीकृत है, जिस पर छात्राएं आपत्ति नहीं उठा सकती.