National News : Indo-Russia Relation : नये दौर में भारत-रूस संबंध

भारत-रूस संबंध आपसी साझेदारी, परस्पर विश्वास व मित्रता पर आधारित हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया दौरे से इसके नये दौर में प्रवेश करने की उम्मीद है. जानते हैं रक्षा और सुरक्षा, विज्ञान व प्रौद्योगिकी तथा परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में दोनों के बीच हुई साझेदारियों व सहयोग के बारे में.

By Aarti Srivastava | July 10, 2024 2:47 PM
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National News : Indo-Russia Relation : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया रूस यात्रा से भारत-रूस संबंध के नये दौर में प्रवेश करने की आशा है. दोनों देश लंबे समय से एक-दूसरे के साझीदार और मित्र रहे हैं. कठिन दौर में दोनों देश एक-दूसरे का साथ देते आ रहे हैं. भारत और रूस के बीच संबंध केवल आर्थिक नहीं है, बल्कि दोनों देश रक्षा और सुरक्षा क्षेत्र में भी एक-दूसरे का सहयोग करते हैं. दोनों देशों के संबंध को प्रगाढ़ करने में विज्ञान व प्रौद्योगिकी ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है. परमाणु ऊर्जा में भी दोनों देशों की अहम भागीदारी है. जानते हैं, कैसे हैं उपरोक्त क्षेत्रों में भारत-रूस संबंध.

रक्षा और सुरक्षा क्षेत्र में सहयोग

रक्षा सहयोग, भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है. यह सहयोग सैन्य और सैन्य तकनीकी सहयोग पर भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग (आईआरआईजीसी-एम एंड एमटीसी) तंत्र के तहत चलता है. इसकी अध्यक्षता दोनों देशों के रक्षा मंत्री करते हैं. 20वीं आईआरआईजीसी-एम एंड एमटीसी बैठक दिसंबर 2021 में, दिल्ली में आयोजित हुई थी. इतना ही नहीं, भारत और रूस तीनों सेनाओं के द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सैन्य अभ्यासों में भी भाग लेते हैं. वर्ष 2021 में द्विपक्षीय अभ्यास इंद्रा (आईएनडीआरए) आयोजित किया गया था. सितंबर 2022 में रूस में आयोजित वोस्तोक 2022 जैसे बहुपक्षीय अभ्यासों में भी दोनों देशों ने भाग लिया था. भारत-रूस अनेक द्विपक्षीय परियोजनाओं पर भी मिलकर काम कर रहे हैं. वर्तमान में चल रही द्विपक्षीय परियोजनाओं में टी-90 टैंकों और एसयू-30 एमकेआई विमानों के लाइसेंस का उत्पादन, मिग-29 और कामोव हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति, मिग-29 विमानों का उन्नयन आदि शामिल है. बीते कुछ वर्षों में दोनों देशों के बीच सैन्य तकनीकी क्षेत्र में सहयोग क्रेता-विक्रेता संबंध से विकसित होकर संयुक्त अनुसंधान, डिजाइन विकास और अत्याधुनिक सैन्य प्लेटफॉर्मों के उत्पादन में बदल गया है. जिसका एक उदाहरण ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल का उत्पादन है. इसके साथ ही, इंडो-रूस राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड (आईआरआरपीएल) नामक संयुक्त उद्यम स्थापित किया गया है और इसने ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत भारत में एके-203 राइफलों का उत्पादन शुरू कर दिया है.

विज्ञान व प्रौद्योगिकी निभाती है महत्वपूर्ण भूमिका

भारत के स्वतंत्र होने के बाद के आरंभिक दिनों में भारत-रूस द्विपक्षीय संबंधों में गर्माहट लाने में
विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में होने वाली साझेदारी ने विशेष रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है. यह साझेदारी समय के साथ मजबूत होती गयी और आज भारत एवं रूस मूलभूत विज्ञान, पदार्थ विज्ञान, गणित और अत्याधुनिक क्षेत्रों जैसे भारत के मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम (गगनयान), नैनो प्रौद्योगिकी और क्वांटम कंप्यूटिंग आदि में मिलकर काम कर रहे हैं. विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के लिए नये रोडमैप तैयार करने और विज्ञान व प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए दिसंबर 2021 में नयी दिल्ली में 21वें वार्षिक शिखर सम्मेलन के दौरान दोनों देशों के बीच समझौता हुआ था. जनवरी 2023 में, विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर रूस-भारत कार्य समूह की 12वीं बैठक दोनों देशों के संबंधित मंत्रालयों, विश्वविद्यालयों और वैज्ञानिकों के प्रतिनिधियों के साथ हुई थी.

परमाणु ऊर्जा में अहम भागीदार है रूस

परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में भी रूस भारत का अहम भागीदार है. यह भारत को उन्नत परमाणु प्रौद्योगिकी वाले एक जिम्मेदार देश के रूप में मान्यता देता है. जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते के बाद भारत अपनी ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन दायित्वों को पूरा करने के लिए परमाणु ऊर्जा को एक महत्वपूर्ण स्रोत मानता है. इस कारण ने दोनों देशों को और नजदीक ला दिया है. भारत का तमिलनाडु स्थित कुडानकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र, जो भारत का सबसे बड़ा परमाणु ऊर्जा स्टेशन है, किसी अन्य देश के साथ मिलकर स्थापित होने वाला देश का एकमात्र परमाणु ऊर्जा संयंत्र है. इस परमाणु संयंत्र की स्थापना रूसी कंपनी रोसाटॉम और एनपीसीआइएल की साझेदारी में हुई है.

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