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भारत में ‘नकली दवा’ पर जीरो टॉलरेंस नीति, मनसुख मंडाविया ने कहा- 71 फार्मा कंपनियों को नोटिस

स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि देश में गुणवत्तापूर्ण दवाओं का उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए लगातार व्यापक विश्लेषण किया जाता है और सरकार तथा नियामक हमेशा यह सुनिश्चित करने के लिए सतर्क रहते हैं कि नकली दवाओं के कारण किसी की मौत न हो.

नई दिल्ली : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने मंगलवार को कहा कि नकली दवाओं के मामले में भारत ‘कतई बर्दाश्त नहीं करने’ की नीति का पालन करता है. उन्होंने कहा कि खांसी रोकने के लिए भारत में बनाए गए कफ सीरप के कारण तथाकथित तौर पर हुई मौतों के बारे में कुछ हलकों में चिंता व्यक्त किए जाने के बाद 71 कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है. उन्होंने कहा कि जिन 71 कंपनियों को नोटिस जारी किया गया है, उनमें से 18 को बंद करने को कहा गया है.

गुणवत्तापूर्ण दवाओं के उत्पादन को लेकर भारत सतर्क

समाचार एजेंसी भाषा से एक खास बातचीत में स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि देश में गुणवत्तापूर्ण दवाओं का उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए लगातार व्यापक विश्लेषण किया जाता है और सरकार तथा नियामक हमेशा यह सुनिश्चित करने के लिए सतर्क रहते हैं कि नकली दवाओं के कारण किसी की मौत न हो. उन्होंने कहा कि हम दुनिया की फार्मेसी हैं और हम सभी को आश्वस्त करना चाहते हैं कि हम ‘दुनिया की गुणवत्ता वाली फार्मेसी’ हैं.

भारत के कफ सीरप से गाम्बिया और उज्बेकिस्तान में 84 बच्चों की मौत

एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, इस साल की फरवरी में तमिलनाडु की ग्लोबल फार्मा हेल्थकेयर ने आंखों की अपनी दवाई की पूरी खेप को वापस ले लिया था. इससे पहले, आरोप लगा था कि पिछले साल खांसी रोकने लिए भारत में बनाए गए कफ सीरप से गाम्बिया और उज्बेकिस्तान में 84 बच्चों की मौत हो गई. इसमें गाम्बिया के 66 और उज्बेकिस्तान के 18 बच्चे शामिल हैं.

भारत से 2022 में 17.6 अरब डॉलर का कफ सीरप का निर्यात

एजेंसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने 2022-23 में 17.6 अरब अमेरिकी डॉलर के कफ सीरप का निर्यात किया, जबकि 2021-22 में यह निर्यात 17 अरब अमेरिकी डॉलर का था. कुल मिलाकर भारत वैश्विक स्तर पर जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है, जो विभिन्न टीकों की वैश्विक मांग का 50 फीसदी से अधिक, अमेरिका में लगभग 40 फीसदी जेनेरिक मांग और ब्रिटेन में लगभग 25 फीसदी दवाओं की आपूर्ति करता है.

कोई भी तथ्य नहीं कर सका पेश

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि जब भी भारतीय दवाओं के बारे में कुछ सवाल उठाए जाते हैं, तो हमें तथ्यों में शामिल होने की आवश्यकता होती है. उदाहरण के लिए गाम्बिया में, यह कहा गया था कि 49 बच्चों की मौत हुई है. डब्ल्यूएचओ में किसी ने यह कहा था और हमने उन्हें लिखा था कि तथ्य क्या हैं. कोई भी हमारे पास तथ्यों के साथ नहीं आया. उन्होंने कहा कि हमने एक कंपनी के नमूनों की जांच की. हमने मौत की वजह जानने की कोशिश की और पाया कि बच्चे को अतिसार था. अगर किसी बच्चे को अतिसार हुआ, तो उस बच्चे के लिए कफ सीरप की सलाह किसने दी?

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24 नमूनों में से केवल चार हुए फेल

स्वास्थ्य मंत्री मंडाविया ने कहा कि कुल 24 नमूने लिए गए, जिनमें से चार विफल रहे. उन्होंने कहा कि सवाल यह है कि अगर निर्यात के लिए सिर्फ एक बैच बनाया गया था और अगर वह विफल रहता है, तो सभी नमूने विफल हो जाएंगे. यह संभव नहीं है कि 20 नमूने पास हो जाएं और चार नमूने विफल हो जाएं. फिर भी, हम सतर्क हैं. हम हमारे देश में दवाओं का गुणवत्तापूर्ण उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए जोखिम-आधारित विश्लेषण जारी रखे हुए हैं.

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