कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023 में कांग्रेस ने धमाकेदार जीत दर्ज की है और बीजेपी को सत्ता से बाहर कर दिया है. कांग्रेस 136 सीटों के साथ कर्नाटक में वापसी की है, तो बीजेपी के खाते में केवल 65 सीटें आयीं. कर्नाटक में कांग्रेस की वापसी के साथ अब मुख्यमंत्री पद को लेकर चर्चा तेज हो गयी है. इस पद के लिए कांग्रेस से दो नाम सामने आ रहे हैं. एक पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, तो दूसरा नाम कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार. दोनों कांग्रेस के दिग्गज नेता हैं. सिद्धारमैया 2013 से 2018 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं, जबकि शिवकुमार की अगुआई में कांग्रेस ने शानदार जीत दर्ज की है. अब देखना है कि कांग्रेस किसको अपना चेहरा मनाती है.
सिद्धारमैया मुख्यमंत्री पद के सबसे प्रबल दावेदार
सिद्धरमैया को कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद का सबसे प्रबल दावेदार माना जा रहा है. हालांकि इससे पहले उन्होंने कहा था, यह मेरा अंतिम चुनाव है. मैं चुनावी राजनीति से संन्यास ले लूंगा. हालांकि अब उन्होंने संकेत दिया कि उनकी निगाहें भविष्य की संभावनाओं पर टिक गई हैं. मुख्यमंत्री पद पर काबिज होने की इच्छा जता चुके सिद्धरमैया अब आगे होने वाले घटनाक्रम का इंतजार कर रहे हैं. सिद्धरमैया 2013 से 2018 तक मुख्यमंत्री के रूप में राज्य की बागडोर संभाल चुके हैं.
2006 में सिद्धारमैया कांग्रेस में हुए थे शामिल
करीब ढाई दशक से ‘जनता परिवार’ से जुड़े रहे और कांग्रेस विरोधी रुख के लिए पहचाने जाने वाले सिद्धरमैया 2006 में कांग्रेस में शामिल हुए थे. वर्ष 2004 में खंडित जनादेश के बाद कांग्रेस और जनता दल (सेक्युलर) ने कर्नाटक में गठबंधन सरकार बनाई थी, जिसमें कांग्रेस नेता एन. धर्म सिंह मुख्यमंत्री जबकि तत्कालीन जद (एस) नेता सिद्धरमैया को उपमुख्यमंत्री बनाया गया था. सिद्धरमैया कुरुबा समुदाय से ताल्लुक रखते हैं और यह समुदाय राज्य में तीसरी सबसे बड़ी आबादी है. सिद्धरमैया 1983 में लोकदल के टिकट पर चामुंडेश्वरी विधानसभा सीट से जीत हासिल कर पहली बार विधानसभा पहुंचे। उन्होंने इस सीट से पांच बार जीत हासिल की और तीन बार पराजय का स्वाद चखा.
कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में डीके शिवकुमार का नाम भी सबसे आगे
कर्नाटक के अगले मुख्यमंत्री के रूप में एक और नाम सबसे तेजी से उभरकर सामने आ रहा है. कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार का नाम भी तेजी से मुख्यमंत्री के रूप में सामना आ रहा है. शिवकुमार ने अपने अगुआई में कर्नाटक में कांग्रेस को सत्ता पर वापस काबिज कराया है. उन्हें गांधी परिवार और अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का करीबी बताया जाता है. इसके साथ ही राज्य में उनकी बड़ी पहचान भी है. 2024 लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर कांग्रेस उनपर अपना दांव लगा सकती है.