National Space Day: अगले एक दशक में भारत का स्पेस क्षेत्र 44 बिलियन डॉलर का होगा
भारत ने मार्स ऑर्बिटर मिशन, एस्ट्रोसैट, चंद्रयान 2 और चंद्रयान 3 जैसे कई मिशन को सफलतापूर्वक लांच किया है. आने वाले समय में आदित्य-एल 1 सोलर मिशन, एक्सपो सेट, एक्स रे एस्ट्रोनॉमी जैसे कई मिशन लांच करने की योजना है.
National Space Day: स्पेस क्षेत्र में भारत ने उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है. चंद्रयान 3 की सफलता के बाद दुनिया में स्पेस क्षेत्र में भारत की ताकत का लोहा माना है. भारत स्पेस क्षेत्र में लंबी छलांग लगाने की तैयारी में जुटा हुआ है और वर्ष 2040 तक चांद पर भारतीय को उतारने का लक्ष्य रखा गया है. भारत ने मार्स ऑर्बिटर मिशन, एस्ट्रोसैट, चंद्रयान 2 और चंद्रयान 3 जैसे कई मिशन को सफलतापूर्वक लांच किया है. आने वाले समय में आदित्य-एल 1 सोलर मिशन, एक्सपो सेट, एक्स रे एस्ट्रोनॉमी जैसे कई मिशन लांच करने की योजना है. पहले स्पेस दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय स्पेस राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि पिछले 6 दशक में स्पेस क्षेत्र ने आम लोगों के जीवन में बदलाव लाने के साथ ही चांद पर पहुंचने में कामयाबी हासिल की है. अमेरिका के अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग वर्ष 1969 में चांद पर उतरने में कामयाब हुए थे और उस समय भारत ने स्पेस क्षेत्र में कदम रखा था. लेकिन वैज्ञानिकों के मेहनत और लगन के कारण आज भारत स्पेस क्षेत्र में बड़ी ताकत बनने में सफल हुआ है. चांद के दक्षिणी हिस्से पर पहुंचने वाला भारत पहला देश बना है.
आने वाले समय में देश की स्पेस अर्थव्यवस्था 44 बिलियन डॉलर की होगी
जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व के कारण वर्ष 2014 के बाद स्पेस क्षेत्र ने कई शानदार उपलब्धि हासिल की है. स्पेस क्षेत्र में रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए निजी क्षेत्र के लिए खोला गया. आज सिर्फ स्पेस क्षेत्र में काम करने वाली 300 स्टार्टअप कंपनियां काम कर रही है. मौजूदा समय में देश की स्पेस अर्थव्यवस्था 8 बिलियन डॉलर की है और अगले एक दशक में यह 44 बिलियन डॉलर के होने की संभावना है. मौजूदा समय में स्पेस क्षेत्र के प्रति आम लोगों में भी जागरुकता बढ़ी है. चंद्रयान 3 की लैंडिंग को देश की जनता से बड़े उत्साह के साथ देखा और इस उपलब्धि को सराहा. इस दौरान स्पेस क्षेत्र के लिए विजन 2047 पेश किया है. स्पेस क्षेत्र में कामयाबी के कारण मत्स्य पालन, कृषि, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, आपदा प्रबंधन, सैटेलाइट कम्युनिकेशन में भारत आत्मनिर्भर बन रहा है.