वाजपेयी ने पोखरण-2 परमाणु परीक्षण के लिए बनाई थी गुप्त योजना, पीएम मोदी ने वैज्ञानिकों को किया सलाम
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस पूरी योजना का नाम या कोडवर्ड 'बुद्ध मुस्कुराए' रखा था. हालांकि, पोरखन-2 परमाणु परीक्षण के बाद अमेरिका समेत कई पश्चिमी देशों ने भारत पर प्रतिबंधों की झड़ी लगा दी थी. केवल इजरायल ही था, जो भारत के साथ खड़ा था.
नई दिल्ली : आज राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस है और आज ही के दिन भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने पोखरण-2 परमाणु परीक्षण कर पूरी दुनिया को चौंका दिया था. आज से करीब 24 साल पहले पोखरण में 11 और 12 मई 1998 को परमाणु परीक्षण किया गया था. इस परमाणु परीक्षण के लिए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने देश के वैज्ञानिकों के साथ बैठक कर एक गुप्त योजना बनाई थी और इसके लिए उन्होंने इसके लिए कोडवर्ड ‘बुद्ध मुस्कुराए’ तय किया था. पोखरण परमाणु परीक्षण की सालगिरह पर बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर देश के वैज्ञानिकों को सलाम किया है. इसके साथ ही उन्होंने इस मौक पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को भी याद किया. उन्होंने वाजपेयी जी के राजनीतिक साहस और अभूतपूर्व प्रयासों की प्रशंसा की.
पीएम मोदी ने ट्वीट कर वाजपेयी के राजनीतिक साहस को किया याद
पोखरण परमाणु परीक्षण की वर्षगांठ और राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस पर आज हम अपने उत्कृष्ट वैज्ञानिकों और उनके प्रयासों के प्रति आभार व्यक्त करते हैं. उनके प्रयासों से 1998 में हमें पोखरण परमाणु परीक्षण में सफलता हासिल हुई.’ उन्होंने कहा कि हम अटल जी के कुशल नेतृत्व को भी गर्व के साथ याद करते हैं, जिन्होंने उत्कृष्ट राजनीतिक साहस और राजनीतिक कौशल का परिचय दिया.
11 मई को पोखरण परीक्षण कर भारत बन गया परमाणु संपन्न देश
बताते चलें कि भारत के वैज्ञानिक कौशल और तकनीकी प्रगति को चिह्नित करने के लिए 1999 से 11 मई के दिन को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस के रूप में मनाया जाता है. वर्ष 1998 में आज ही के दिन भारत ने वाजपेयी के नेतृत्व में पोखरण-2 में पांच परमाणु परीक्षणों में से पहला परीक्षण किया था. भारत यह उपलब्धि हासिल कर परमाणु सम्पन्न देशों में शामिल होने वाला छठा देश बना था. भारत ने आज ही के दिन स्वदेश निर्मित हंस-3 विमान और छोटी दूरी की मिसाइल ‘त्रिशूल’ का भी सफल परीक्षण किया था, जो देश के लिए एक कीर्तिमान साबित हुआ. इन परीक्षणों से भारत ने पूरे विश्व में अपनी ताकत का प्रदर्शन किया.
अमेरिका और उसके उपग्रह भी खा गए थे गच्चा
सबसे बड़ी बात यह है कि पोखरण-2 परमाणु परीक्षण करने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने पूरे व्यूह रचना और इसकी योजना को पूरी तरह से गुप्त रखा था. चौंकाने वाली बात यह है कि उनकी इस चक्रव्यूह और गुप्त योजना के आगे अमेरिका और उसके उपग्रह तक गच्चा खा गए थे. भारत समेत पूरी दुनिया में किसी को कानोंकान इस बात की खबर नहीं थी कि अटल बिहारी वाजपेयी किसी योजना पर काम कर रहे हैं.
वाजपेयी ने दिया था जय जवान, जय किसान और जय विज्ञान का नारा
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस पूरी योजना का नाम या कोडवर्ड ‘बुद्ध मुस्कुराए’ रखा था. हालांकि, पोरखन-2 परमाणु परीक्षण के बाद अमेरिका समेत कई पश्चिमी देशों ने भारत पर प्रतिबंधों की झड़ी लगा दी थी. केवल इजरायल ही था, जो भारत के साथ खड़ा था. सफल परमाणु परीक्षण के बाद तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था, ‘आज भारत ने पोखरण में भूमिगत परीक्षण किया.’ उस समय अटल बिहारी वाजपेयी ने ‘जय जवान, जय किसान और जय विज्ञान’ का नारा दिया था.
पोखरण-2 परीक्षण से मिसाइलमैन बने डॉ एपीजे अब्दुल कलाम
वर्ष 1998 के पोखरण-2 परमाणु परीक्षण में तत्कालीन रक्षा वैज्ञानिक और मिसाइलमैन डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की भूमिका अहम थी. देश के लिए उनके इस योगदान को देखते हुए वर्ष 2002 में वे देश के 11वें राष्ट्रपति के तौर पर निर्वाचित किए गए. डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को वाम दलों के अलावा सभी बड़ी पार्टियों ने वोट देकर भारत का राष्ट्रपति बनाया. डॉ एपीजे अब्दुल कलाम भारत के सर्वाधिक पसंदीदा राष्ट्रपतियों में एक रहे. डॉ एपीजे कलाम वैज्ञानिक होने के साथ एक प्रोफेसर भी थे. इस चुनाव में उन्हें सबसे अधिक 9,56,290 वोट मिले थे. कहा यह भी जाता है कि डॉ कलाम को राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बनाने के लिए सपा के संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने उनके नाम की सिफारिश की थी.
हरदीप सिंह पुरी ने निभाई थी दुभाषिये की भूमिका
पोखरण-2 परमाणु परीक्षण के समय आज के केंद्रीय उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी रक्षा मंत्रालय में संयुक्त सचिव थे और उस समय के रक्षा मंत्री मुलायम सिंह यादव थे. 17 अक्टूबर 2021 को इंडियन इस्लामिक कल्चरल सेंटर द्वारा आयोजित तीसरे डॉ एपीजे अब्दुल कलाम व्याख्यान के दौरान केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा, ‘पोखरण-2 परमाणु परीक्षण के दौरान उन्होंने दुभाषिये की भूमिका निभाई थी.’ उन्होंने कहा था कि डॉ एपीजे अब्दुल कलाम और तत्कालीन रक्षा मंत्री के बीच बातचीत के दौरान वे दुभाषिये की भूमिका निभाई. बता दें कि हरदीप सिंह पुरी वर्ष 1997 से लेकर 1999 के बीच रक्षा मंत्रालय में संयुक्त सचिव के पद आसीन थे और डॉ एपीजे अब्दुल कलाम 1992 से लेकर 1999 तक रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार थे.