त्रिपुरा में टिपरा मोथा पार्टी के प्रमुख प्रद्योत किशोर माणिक्य देबबर्मा ने आरोप लगाया कि क्षेत्रीय पार्टी के कार्यकर्ताओं में फूट डालने की साजिश रची जा रही है. उन्होंने राज्य सरकार पर भी निशाना साधा और दावा किया कि त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद के लिए बजटीय खर्च का सिर्फ दो प्रतिशत आवंटित किया गया है.
देबबर्मा ने पश्चिम त्रिपुरा के माधबबाड़ी में शनिवार को सभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘समुदाय में ‘थांसा’ (एकता) में खलल डालने के प्रयास किए जा रहे हैं. हममें से कई लोग उपाध्यक्ष, महासचिव, मंत्री या कार्यकारी सदस्य बनना चाहते हैं, लेकिन हम अगर सिर्फ निजी महत्वाकांक्षाओं के बारे में सोचेंगे, तो हमारी अगली पीढ़ी का क्या होगा?’’
त्रिपुरा के राजघराने से ताल्लुक रखने वाले देबबर्मा ने यह भी कहा कि वह पार्टी में पद हासिल करने के लिए लोगों को उन्हें ‘ब्लैकमेल’ करने की अनुमति नहीं देंगे. उन्होंने कहा, ‘‘कई लोगों ने मुझसे फोन पर बात की है और पार्टी में पद की मांग की है. उन्होंने मुझे धमकी भी दी है कि अगर मैंने उनकी मांग नहीं मानी, तो वे पार्टी छोड़ देंगे. मैंने उनसे कहा है कि अगर वे जहां जाना चाहते हैं, तो चले जाएं. अगर उनमें दम है, तो वे उन लोगों को ‘ब्लैकमेल’ करें, जो कोकबोरोक की जगह बांग्ला लिपी थोपते हैं.’’ कोकबोरोक त्रिपुरा की एक जनजातीय भाषा है.
जनजातीय क्षेत्र परिषद के लिए ‘कम’ बजट आवंटन को लेकर राज्य सरकार की निंदा करते हुए देबबर्मा ने सवाल किया, ‘‘क्या यही ‘सबका साथ, सबका विकास’ का उदाहरण है?’’ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अक्सर ‘सबका साथ, सबका विकास’ नारे का इस्तेमाल करती है.
त्रिपुरा के वित्त मंत्री प्रणजीत सिंह रॉय ने शुक्रवार को राज्य विधानसभा में मौजूदा वित्त वर्ष के लिए 27,654 करोड़ रुपये का बजट पेश किया था. देबबर्मा ने ‘टिपरासा’ (जातीय मूल के लोगों) को आश्वस्त किया कि वह मरते दम तक उनके साथ रहेंगे. उन्होंने कहा कि 15 जुलाई से पार्टी के दो दिवसीय पूर्ण अधिवेशन के बाद टिपरा मोथा वृहद ‘टिपरालैंड’ की मांग को लेकर एक आंदोलन शुरू करेगी.