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अटल बिहारी वाजपेयी से जुड़ी ये दिलचस्प बातें शायद ही जानते होंगे आप, अपने हों या पराये सभी थे उनके मुरीद

अटल बिहारी वाजपेयी के लिए अर्थ नहीं, भावना पूंजी रही है. वे क्षमा के सागर थे. राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान बम विस्फोट की धमकी देने वाले एक युवक के लिए अटल जी ने जो किया, वो शायद ही कोई करता. अपने हों या पराये सभी उनके मुरीद थे. मनमोहन सिंह ने तो उन्हें ‘राजनीति का भीष्म पितामह’ की संज्ञा भी दे दी.

Atal Bihari Vajpayee Birth Anniversary: श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान की बात है. उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा था. अटल जी मीराबाई मार्ग स्थित स्टेट गेस्ट हाउस में भोजन कर रहे थे. रात में उन्हें दिल्ली लौटना था. इतने में लखनऊ के जिलाधिकारी और तत्कालीन राज्यपाल के सलाहकार अचानक कमरे में आ गये. लालजी टंडन ने उन्हें बताया कि अटल जी भोजन कर रहे हैं और आप लोग यहां तक पहुंच गये. तत्कालीन जिलाधिकारी ने हाथ जोड़ते हुए कहा कि अमौसी हवाई अड्डे पर एक लड़का दिल्ली जाने वाले हवाई जहाज में चढ़ गया है. उसके हाथ में हथगोला जैसी कोई वस्तु है. कह रहा है कि अटल बिहारी वाजपेयी को बुलाओ, नहीं तो इस जहाज को उड़ा दूंगा. अटल जी खाना बीच में छोड़कर खड़े हो गये और बोले कि चलो चलते हैं. आखिर दो सौ लोगों के जीवन का सवाल है. एयरपोर्ट पहुंचकर अटल जी ने टावर पर चढ़कर लड़के से बात की, पर वह लड़का मानने को तैयार नहीं था कि अटल जी ही बोल रहे हैं. आखिरकार अटल जी ने हवाई जहाज के पास ले चलने को कहा. अटल जी को देखते ही वह उनके पैर छूने के लिए झुका कि सुरक्षा बलों ने उसे दबोच लिया. लड़के ने हाथ में ली वस्तु को फेंकते हुए कहा कि यह कुछ नहीं, सिर्फ सुतली का गोला है. अटलजी ने कहा कि इसने नादानी में इस घटना को अंजाम दे दिया. इसकी जमानत जरूर करा देना, जिससे इसका भविष्य न खराब हो.

सम्मान व पुरस्कार

  • पद्म विभूषण : 1992

  • लोकमान्य तिलक पुरस्कार : 1994

  • सर्वश्रेष्ठ सांसद : 1994

  • भारत रत्न : 2015

विदेशी मेहमानों को खुद परोसा नाश्ता

बात 1998 की है. वाजपेयी जी न्यूयॉर्क दौरे पर थे. होटल में उन्हें जिस तीन कमरों वाले सुइट में ठहराया गया था, उसका किराया उस समय 80,700 रुपये रोजाना था. इतना महंगा होटल देख कर वह असहज हो उठे. वह पूरी तरह स्वदेशी जीवनशैली के पक्षधर थे. धन के अतिव्यय और अनावश्यक व्यय उनके स्वाभाव में न था. भारत आये विदेशी मेहमानों के आतिथ्य में भी अनावश्यक व्यय के पक्ष में वह नहीं थे. लिहाजा उन्होंने अधिकारियों से विमर्श किया. विदेशी मेहमानों के लिए चाय-नाश्ते की व्यवस्था और गेस्ट हाउस में हो, वह यही चाहते थे, पर अधिकारियों की राय इससे भिन्न थी. अधिकारियों को इसमें अतिथियों के प्रति आदर प्रकट करने में चूक का भाव दिख रहा था. अलटजी ने इसका समाधान स्वयं निकाला. भारत लौट कर उन्होंने गेस्ट हाउस में ही विदेशी मेहमानों के लिए चाय-नाश्ते की व्यवस्था करायी. मेहमानों विशुद्ध भारतीय व्यंजन परोसे गये. इसमें आतिथ्य के भाव को विशिष्टता प्रदान करने के लिए उन्होंने मेहमानों को स्वयं नाश्ता परोसा.

बड़े योगदान जिनसे मजबूत हुआ भारत

  • पोखरण में भारत का परमाणु परीक्षण

  • स्वर्णिम चतुर्भुज और ग्राम सड़क योजना

  • सर्व शिक्षा अभियान

  • टेलीकॉम सेक्टर में क्रांति

  • करगिल युद्ध में विजय

अपने हों या पराये सभी थे उनके मुरीद

जवाहर लाल नेहरू के प्रधानमंत्री रहते हुए एक ब्रिटिश डेलिगेशन भारत आया था. इस दौरान नेहरू ने डेलिगेशन की एक युवा सांसद से मुलाकात करवायी. नेहरू ने कहा- इनसे मिलिए, यह युवा एक दिन देश का प्रधानमंत्री बनेगा. इस युवा सांसद का नाम अटल बिहारी वाजपेयी था, जो संसद में नेहरू के खिलाफ जमकर बोलते थे. उनकी सरकार की नीतियों की आलोचना करते थे. तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अटल बिहारी वाजपेयी को ‘राजनीति का भीष्म पितामह’ की संज्ञा दी.

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