संसद का शीतकालीन सत्र चार दिसंबर यानी सोमवार से शुरू हो रहा है. इस सत्र में सबका ध्यान टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा पर होगा. इस संबंध में अंग्रेजी वेबसाइट टाइम्स ऑफ इंडिया ने खबर प्रकाशित की है जिसके अनुसार, लोकसभा की आचार समिति की वह रिपोर्ट संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन यानी सोमवार को निचले सदन में पेश करेगी जिसमें मोइत्रा को ‘रिश्वत लेकर सवाल पूछने’ के मामले में सदन से निष्कासित करने की अनुशंसा की गई है. लोकसभा की वेबसाइट पर अपलोड की गई कार्य सूची पर नजर डालें तो, आइटम नंबर 5 पर इस मामले का उल्लेख नजर आ रहा है. इसके अनुसार आचार समिति के अध्यक्ष और बीजेपी सांसद विनोद कुमार सोनकर सदन की कार्यवाही शुरू होने के कुछ मिनट बाद रिपोर्ट सदन के सामने रखेंगे.
यहां चर्चा कर दें कि आचार समिति ने गत नौ नवंबर को एक बैठक की थी जिसमें टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा को लोकसभा से निष्कासित करने की सिफारिश करते हुए अपनी रिपोर्ट स्वीकार करने का काम किया गया था. समिति के छह सदस्यों ने रिपोर्ट के पक्ष में मतदान किया था, जिसमें कांग्रेस सांसद परनीत कौर भी शामिल थीं, जिन्हें पहले ही पार्टी से निलंबित कर दिया गया था. विपक्षी दलों से संबंधित समिति के चार सदस्यों ने असहमति नोट प्रस्तुत किए. विपक्षी सदस्यों की प्रतिक्रिया इसको लेकर आई थी उनके द्वारा रिपोर्ट को ‘फिक्स्ड मैच’ बताया गया था.
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा की सदस्यता हो सकती खत्म
बीजेपी के लोकसभा सदस्य निशिकांत दुबे द्वारा की गई शिकायत के पक्ष में कुछ सबूत नहीं दिए गए थे. यदि सदन इस रिपोर्ट को अनुमोदित करने का काम करता है तो टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा की सदस्यता खत्म हो सकती है. उल्लेखनीय है कि संसद का शीतकालीन सत्र चार दिसंबर से शुरू हो रहा है जो 22 दिसंबर तक चलेगा.
क्या हो सकता है सदन में
सूत्रों के हवाले से जो खबर टाइम्स आफ इंडिया ने दी है उसके अनुसार, रिपोर्ट पटल पर रखने के बाद जूनियर संसदीय कार्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल रिपोर्ट को स्वीकार करने और समिति की सिफारिशों को अपनाने के लिए एक प्रस्ताव पेश कर सकते हैं. रिपोर्ट महुआ मोइत्रा के निष्कासन की सिफारिश की है. सूत्रों ने कहा कि विपक्ष इसपर चर्चा के लिए कह सकता है, हालांकि, यह स्पीकर के विवेक पर निर्भर है कि वह इसे अनुमति देंगे या बिना किसी बहस के प्रस्ताव को अपना लेंगे.
क्योंकि बीजेपी के पास बहुमत है, इसलिए रिपोर्ट को अपनाना एक विधायी औपचारिकता है, जिससे तृणमूल सांसद के निष्कासन का रास्ता साफ हो जाएगा. 2000 में आचार समिति अस्तित्व में आया था. इसके बाद ऐसा पहली बार है कि उसने किसी सांसद को निष्कासित करने की सिफारिश की है. विशेषाधिकार समिति ने ऐसे कदम उठाए हैं, जिनमें 2005 के कैश-फॉर-क्वेरी घोटाले में 10 सांसदों को निष्कासित करने की सिफारिश भी शामिल है.