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Navjot Singh Sidhu: समय से पहले जेल से रिहा हो सकते हैं सिद्धू, सजा में इतनी मिल सकती है छूट

कांग्रेस नेता सिद्धू का नया ठिकाना अब पटियाला सेंट्रल जेल हो गया है. सुप्रीम कोर्ट के सजा सुनाने के बाद 1988 के रोड रेज मामले में सिद्धू को एक साल जेल की सजा मिली है. अब एक साल के लिए सिद्धू की पहचान कैदी नंबर कैदी नंबर 241383 हो गई है. उन्हें जेल में रहना है और वहां के तौर तरीकों के पालन करना है.

क्रिकेट के शानदार खिलाड़ी, बेबाक राजनेता और अब एक साल जेल की सजा. पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने शुक्रवार को पटियाला कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया. इसके बाद सिद्धू को पटियाला सेंट्रल जेल में बंद कर दिया गया. जेल में भेजने से पहले सिद्धू की मेडिकल जांच की गई. जांच के लिए उन्हें पटियाला स्थित माता कौशल्या अस्पताल ले जाया गया. बता दें, सिद्धू ने समर्पण से पहले खराब सेहत का हवाला दिया था.

कैदी नंबर 241383 बने कांग्रेस नेता सिद्धू: कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू का नया ठिकाना अब पटियाला सेंट्रल जेल हो गया है. सुप्रीम कोर्ट के सजा सुनाने के बाद 1988 के रोड रेज मामले में सिद्धू को एक साल जेल की सजा मिली है. अब एक साल के लिए सिद्धू की पहचान कैदी नंबर कैदी नंबर 241383 हो गई है. उन्हें जेल में रहना है और वहां के तौर तरीकों के पालन करना है.

जेल में सिद्धू को मिलेंगी ये चीजें: मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पटियाला सेंट्रल जेल में पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सिद्धू को एक टेबल, एक कुर्सी के साथ-साथ एक अलमारी दी गई है. इसके अलावा उन्हें दो पगड़ी, एक कंबल, तीन अंडरवियर, दो तौलिए, मच्छरदानी, पेन, नोटबुक, एक जोड़ी जूते दिए गए है. सिद्धू जेल के लिए कैदी नंबर 241383 हैं, उन्हें बैरक नंबर 7 में रखा गया है.

सिद्धू को जल्द मिल सकती है रिहाई: सिद्धू को एक साल के लिए कठोर कारावास की सजा मिली है. लेकिन सिद्धू को जल्द रिहाई भी मिल सकता है. गौरतलब है कि जेल में अगर सिद्धू का आचरण अच्छा रहता है तो उनकी सजा कम हो सकती है. जीं हां, अच्छे आचरण के चलते अगर पंजाब सरकार उन्हें विशेष छूट देती है तो सिद्धू जेल से जल्दी रिहा हो सकते हैं. सिद्धू 8 महीने पहले ही रिहा हो सकते हैं.

जेल में सिद्धू एक फैक्ट्री में काम करेंगे. इसके कारण उन्हें साल में 48 दिन की छुट्टी मिलेगी. इससे भी उनके जेल की अवधि करीब डेढ़ महीने कम हो जाएगी. इसके अलावा जेल अधीक्षक के पास कैदी को सजा से 30 दिन अतिरिक्त छूट देने का अधिकार है. ऐसे में अगर सिद्धू जेल के नियम और तौर तरीकों का पालन करते हैं और जेल के अधिकारी उनसे खुश रहते हैं तो सिद्धू को इसका भी लाभ हो सकता है.

क्या है पूरा मामला: 27 दिसंबर, 1988 को सिद्धू और उनके दोस्त रुपिंदर सिंह संधू की पटियाला में कार पार्किंग को लेकर गुरनाम सिंह नामक बुजुर्ग के साथ झगड़ा हो गया. झगड़े में गुरनाम की मौत हो गयी. सिद्धू और उनके दोस्त रुपिंदर पर गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज किया गया. हालांकि, नवजोत सिंह सिद्धू को पहले इस मामले में राहत मिल गई थी. लेकिन रोड रेज के दौरान जिस शख्स की मौत हुई थी उसके परिवार वालों ने रिव्यू पिटीशन दायर कर दिया था.

Also Read: नवजोत सिंह सिद्धू को SC ने 34 साल पुराने ‘1988 रोड रेज’ मामले में सुनाई एक साल की सजा

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