चंडीगढ़: पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे चुके नवजोत सिंह सिद्धू गुरुवार को दोपहर बाद मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी से मिले. सिद्धू-चन्नी मुलाकात के बाद दोनों के बीच सुलह हो गयी है, लेकिन सवाल है कि क्या पंजाब कांग्रेस का घमासान थम जायेगा? इस बीच, मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने 4 अक्टूबर को कैबिनेट की बैठक बुलायी है.
कैप्टन अमरिंदर सिंह को सत्ता से बेदखल करने के लिए नवजोत सिंह सिद्धू ने मोर्चा खोला था. कैप्टन को सीएम पद से हटाये जाने के बाद चरणजीत सिंह चन्नी को पंजाब का नया मुख्यमंत्री बनाया गया. आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस आलाकमान ने चन्नी को सीएम बनाकर दलित कार्ड खेला था. इसके बाद सीएम चन्नी के कई फैसलों के खिलाफ सिद्धू ने मोर्चा खोल दिया.
नवजोत सिंह सिद्धू ने इसके बाद ही पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने कांग्रेस आलाकमान तक को अल्टीमेटम दे दिया. हालांकि, जब आलाकमान ने कड़े तेवर दिखाये, तो सिद्धू खुद नरम पड़ गये. इससे पहले मुख्यमंत्री चन्नी ने कहा था कि सिद्धू के साथ बातचीत करेंगे और मामला सुलझा लेंगे.
आखिरकार सिद्धू उनके पंजाब भवन में चन्नी से मुलाकात की और दोनों के बीच करीब दो घंटे की बातचीत के बाद सुलह हो गयी. हालांकि, सिद्धू ने ट्वीट कर कहा था कि वह मुख्यमंत्री चन्नी के बुलावे पर पंजाब भवन जा रहे हैं.
चरणजीत सिंह चन्नी और नवजोत सिंह सिद्धू की मुलाकात से पहले ही पंजाब कांग्रेस के बड़े नेता सुनील जाखड़ ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के पूर्व नेता के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. सिद्धू ने जिस तरह से चन्नी के खिलाफ सुर चढ़ाये थे, उस पर सुनील जाखड़ ने सख्त एतराज जताया. कहा कि मुख्यमंत्री को नीचा दिखाने की कोशिश खत्म होनी चाहिए.
सुनील जाखड़ ने कहा कि अटॉर्नी जनरल (एजी) या पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) की नियुक्ति पर सवाल खड़े करने का मतलब मुख्यमंत्री पर सवाल खड़े करना है. यह उचित नहीं है. इसलिए हर तरह की शंका को तत्काल दूर किया जाना चाहिए.
Posted By: Mithilesh Jha