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नवाज शरीफ की वतन वापसी से पाकिस्तान में राजनीतिक हलचल तेज, जानें क्या है इसके मायने

चुनाव आयोग द्वारा अगले वर्ष जनवरी में आम चुनाव की घोषणा करने के साथ ही पाकिस्तान की राजनीति में इन दिनों काफी गहमा-गहमी है. चार वर्ष बाद देश लौटे नवाज शरीफ रैलियां करने और शक्ति प्रदर्शन में व्यस्त हैं.

पाकिस्तान की राजनीति लंबे समय से अस्थिरता के दौर से गुजर रही है. आर्थिक बदहाली से त्रस्त इस देश में महंगाई चरम पर है और आम जन मुश्किल में. पर इसकी फिक्र किसे है. देश में आम चुनाव होना है, सो यहां की राजनीतिक बिसात पर सभी दल अपने-अपने पासे फेंकने में व्यस्त हैं. इस बीच पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ देश लौट आये हैं. उधर क्रिकेटर से राजनेता बने व देश के प्रधानमंत्री रहे इमरान खान को अदालत ने जमानत न देकर झटका दे दिया है. इसी के साथ एक बार फिर से पाकिस्तान की राजनीति ने करवट लेनी शुरू कर दी है.

नवाज शरीफ की वतन वापसी के मायने

तीन बार देश के प्रधानमंत्री रहे 73 वर्षीय नवाज शरीफ लगभग चार वर्षों बाद आखिरकार 21 अक्तूबर को देश लौट आये. शरीफ बीते चार वर्षों से लंदन में स्व-निर्वासन में रह रहे थे. विदित हो कि पाकिस्तान की एक संघीय अदालत द्वारा 19 अक्तूबर को भ्रष्टाचार के मामलों में शरीफ को गिरफ्तारी से कई दिनों की छूट दे दी गयी, जिससे उनके लिए घर लौटने का रास्ता साफ हो गया. बीते कई महीनों से इस बात को लेकर अटकलें लगायी जा रही थीं कि पूर्व प्रधानमंत्री का देश लौटना संभव हो सकेगा या नहीं. हालांकि नवाज शरीफ इससे पहले भी निर्वासन से वापसी कर चुके हैं. पर इस बार की वापसी पूर्व की तुलना में बहुत अलग है. इस बार की वापसी इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि विगत कुछ समय से पाकिस्तान की न केवल राजनीति हिचकोले खा रही है, बल्कि आर्थिक मोर्चे पर भी उसे बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. देश चरम महंगाई का दंश झेल रहा है, विदेशी मुद्रा भंडार की कमी से देश में कई आवश्यक वस्तुओं की कमी हो गयी है. कर्ज के बोझ से दबे होने के कारण पाक की हालत दिनों-दिन बदतर होती जा रही है. स्वयं नवाज शरीफ की पार्टी, पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन), भी उनकी घर वापसी को एक नयी उम्मीद के रूप में देख रही है.

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पीएमएल-एन को चुनाव में जीत की उम्मीद

नवाज शरीफ पाकिस्तान के अकेले ऐसे राजनेता हैं, जो तीन बार देश के प्रधानमंत्री रहे हैं. आम चुनाव से कुछ महीने पहले उनकी वापसी ऐसे ही नहीं हुई है, विपक्षी पार्टियां और राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि सेना के साथ उनकी पार्टी की सांठगांठ हुई है. यह सर्वविदित तथ्य है कि पाकिस्तान में सरकार उसी दल की बनती है जिसके सिर पर सेना का हाथ होता है. पीएमएल-एन को आशा है कि देश की राजनीति में नवाज की पैठ और उनके जमीन से जुड़े होने की मान्यता आम चुनाव में पार्टी की लोकप्रियता बढ़ाने के साथ ही उसे एक बार फिर सत्तारूढ़ होने का अवसर देगी. पर ऐसा करना आसान नहीं होगा. शहबाज शरीफ के कार्यकाल के दौरान, पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था, जो पहले से ही गंभीर स्थिति में थी, उच्च मुद्रास्फीति और कम विदेशी मुद्रा भंडार के कारण और भी खराब हो गयी. वर्ष 2022 की बाढ़ ने देश को अभूतपूर्व क्षति पहुंचाई, महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे नष्ट हो गये और लाखों लोग विस्थापित हुए. इन तमाम कारणों से जनता का मत शरीफ के साथ नहीं है. उधर जेल में बंद होने के बावजूद इमरान खान की लोकप्रियता बनी हुई है.

नवाज शरीफ

पूरा नाम : मियां मुहम्मद नवाज शरीफ

जन्म : 25 दिसंबर 1949, लाहौर

राजनीतिक दल : (पाकिस्तान मुस्लिम

लीग-नवाज)

प्रधानमंत्री का कार्यकाल : 6 नवंबर 1990-18 जुलाई 1993, 17 फरवरी 1997-12 अक्तूबर 1999, 5 जून 2013-28 जुलाई 2017

इमरान खान

पूरा नाम : इमरान अहमद खान नियाजी

जन्म : 5 अक्तूबर 1952, लाहौर

राजनीतिक दल : पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (1996 में स्थापना)

प्रधानमंत्री का कार्यकाल : 18 अगस्त

2018-10 अप्रैल 2022

अंतरराष्ट्रीय खेल करियर : 3 जून, 1971 से 25 मार्च, 1992 (खान की ही कप्तानी में 1992 में पाक एकदिवसीय क्रिकेट विश्वकप चैंपियन बना)

भ्रष्टाचार के मामलों में नवाज को जमानत

पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ पर भ्रष्टाचार के अनेक मामले दर्ज हैं, जिनमें तोशाखाना मामला, अल अजीजिया और एवनफील्ड भ्रष्टाचार मामले अदालत में हैं. पूर्व प्रधानमंत्री को अल अजीजिया और एवनफील्ड मामलों में दोषी ठहराया गया था और तोशाखाना मामले में उन्हें भगोड़ा घोषित किया गया था, जो इस्लामाबाद जवाबदेही अदालत में लंबित था. शरीफ की वतन वापसी के साथ ही उनके खिलाफ अदालती मामलों की सुनवाई फिर से शुरू हो जायेगी, जो उनकी अनुपस्थिति के कारण रुकी हुई थी. इसी कारण देश पहुंचने के बाद नवाज शरीफ इस्लामाबाद स्थित न्यायाधीश मुहम्मद बशीर की जवाबदेही अदालत में पेश हुए. विदित हो कि अदालत ने चार वर्ष बाद उनकी वापसी सुनिश्चित करने के लिए उनकी गिरफ्तारी के आदेश को निलंबित कर दिया था. पर अदालत में उनके पेश होने के बाद उन्हें जाने की अनुमति दे दी गयी. वहीं अल अजीजिया और एवनफिल्ड भ्रष्टाचार मामलों में इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने उनकी दोषसिद्धि के विरुद्ध दायर की गयी अपील बहाल कर दी. शरीफ फिलहाल जमानत पर हैं और आगामी चुनाव के लिए रैलियां करने और अपनी लोकप्रियता भुनाने में व्यस्त हैं.

जनवरी में होगा आम चुनाव

पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने बीते सप्ताह घोषणा की कि देश में आम चुनाव जनवरी 2024 के अंतिम सप्ताह में होगा. हालांकि आयोग की तरफ से अभी चुनाव की तिथि की घोषणा नहीं की गयी है.

3 बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने शरीफ

  • नवाज शरीफ पहली बार 1990 में प्रधानमंत्री बने, पर 1993 में पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने उन्हें पद से हटा दिया. हालांकि सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें बहाल कर दिया था, पर उन्हें अपनी पार्टी के दबाव में इस्तीफा देना पड़ा.

  • वर्ष 1997 में नवाज शरीफ दूसरी बार प्रधानमंत्री चुने गये और 1999 तक इस पद पर रहे. अपने इसी कार्यकाल में पाकिस्तान ने परमाणु हथियारों का सफलतापूर्वक परीक्षण किया. वर्ष 1999 में जनरल परवेज मुशर्रफ द्वारा 10 वर्षों के लिए निर्वासित किये जाने के बाद सितंबर 2007 में वे सऊदी अरब से पाकिस्तान लौटेे.

  • वर्ष 2013 से 2017 तक वे तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री रहे. वर्ष 2016 में पनामा पेपर लीक से सामने आया कि नवाज शरीफ व उनके परिवार ने ऑफशोर कंपनियों के माध्यम से लंदन में लक्जरी अपार्टमेंट हासिल किये थे. इस मामले में जांच व कानूनी कार्यवाही और 2017 में उन्हें पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पद के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया. वर्ष 2018 में भ्रष्टाचार के एक मामले में उन्हें सात वर्ष की सजा सुनायी गयी. नवंबर, 2019 में वे उपचार के लिए लंदन चले गये और अब जाकर वापस लौटे हैं.

इमरान खान : क्रिकेट के बाद राजनीति में सक्रिय

खेल से अवकाश के बाद इमरान खान ने अप्रैल 1996 में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी (पीटीआइ) बनायी. राजनीति में धीरे-धीरे आगे बढ़ते हुए उनकी पार्टी पीटीआइ ने 2018 के आम चुनाव में नेशनल असेंबली के लिए 149 सीटें जीतीं. इसके बाद खान ने पीएमएल-क्यू, एमक्यूएम-पी और बीएपी के साथ मिलकर गठबंधन सरकार बनायी और देश के प्रधानमंत्री बने. पर खान जिस वादे के साथ सत्ता में आये थे उन्हें पूरा करने में विफल रहे. कोविड-19 से निपटने के लिए उनकी ढुलमुल नीति से देश को काफी हानि पहुंची. इससे जनता में भी उनके खिलाफ आक्रोश बढ़ता गया. इस बीच उनके शासन चलाने के तरीके पर भी आरोप लगे. सुशासन देने में विफल रहने के कारण पाकिस्तान की राजनीति में उठापटक शुरू हो गयी. पंजाब प्रांत के बिगड़े हालातों ने तो सेना को भी सोचने पर मजबूर कर दिया, क्योंकि माना जाता है कि सेना के समर्थन से ही इमरान खान सत्ता में आये थे.

इतनी गहमागहमी के बीच अक्तूबर 2021 में आईएसआई के नये महानिदेशक की नियुक्ति को लेकर इमरान खान और पाकिस्तानी सेना के बीच मतभेद बढ़ता गया. दरअसल, इमरान चाहते थे कि लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद आइएसआइ चीफ बनें, पर सेना ने उनकी एक न सुनी और नवंबर 2021 में लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अंजुम को आइएसआइ का प्रमुख नियुक्त कर दिया गया. सेना के साथ बढ़ती तल्खी से पाकिस्तान की विदेश नीति भी प्रभावित हुई. इमरान खान जहां यूक्रेन पर रूसी आक्रमण का विरोध करने से बचते थे, वहीं पाकिस्तान सेना के तत्कालीन प्रमुख, जनरल कमर जावेद बाजवा ने रूस की निंदा की. इससे सेना और इमरान के बीच विवाद और बढ़ गया और आखिरकार अप्रैल 2022 में अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से खान को सत्ता से बेदखल कर दिया गया. हालांकि खान ने इसे रोकने की बहुत कोशिश की, पर वे असफल रहे. इमरान खान पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री थे जिन्हें इस तरह हटाया गया. सत्ता से हटाये जाने के बाद खान ने सेना के खिलाफ मोर्चा खोल दिया.

सिफर मामले में खान की मुश्किलें बढ़ीं

नवाज शरीफ के देश लौटने के साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की मुश्किलें बढ़ गयी हैं. बीते सप्ताह इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने सिफर मामले में खान को जमानत देने और संबंधित एफआइआर रद्द करने की उनकी याचिका खारिज कर दी. विदित हो कि पिछले वर्ष मार्च में वाशिंगटन में पाकिस्तान दूतावास को भेजे गये एक गुप्त राजनयिक केबल (सिफर) का खुलासा करने के कारण उन पर एफआइआर दज दर्ज हुआ और इस वर्ष अगस्त में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. खान ने आरोप लगाया था कि अमेरिका ने उनकी सरकार को गिराने के लिए पाकिस्तान की सेना पर दबाव डाला था. सत्ता से हटाये जाने के बाद इमरान खान पर 150 से अधिक मामले दर्ज हुए हैं.

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