रायपुर: नक्सली नेता अक्कीराजु हरगोपाल की मौत से छत्तीसगढ़ की पुलिस ने राहत की सांस ली है. पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है कि अब छत्तीसगढ़ में नक्सली आंदोलन कमजोर होगा. पिछले दिनों माओवादियों की केंद्रीय समिति के सदस्य अक्कीराजु हरगोपाल की बीमारी से मृत्यु हो गयी.
छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों का कहना है पिछले कुछ समय से हो रही माओवादी नेताओं की मौत से बस्तर क्षेत्र में यह आंदोलन और कमजोर होगा. बस्तर क्षेत्र के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि माओवादियों के केंद्रीय समिति सदस्य अक्कीराजु हरगोपाल उर्फ रामकृष्ण उर्फ आरके की बीमारी से इस महीने की 14 तारीख को मृत्यु हो गयी.
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि पुलिस को जानकारी मिली है कि 40 लाख रुपये के इनामी माओवादी नेता की दक्षिण बस्तर के जंगलों में मौत हुई है. बस्तर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने बताया कि पुलिस को माओवादी नेता आर के की मृत्यु की जानकारी मिली है. उन्होंने कहा कि आरके की मृत्यु के साथ ही माओवादियों ने पिछले दो वर्षों में केंद्रीय समिति के तीन सदस्यों और कई अन्य वरिष्ठ नेताओं को खोया है.
सुंदरराज ने कहा कि माओवादी नेताओं की मौत के कारण निश्चित रूप से नक्सल आंदोलन की ताकत कम होगी. बस्तर क्षेत्र में माओवादी आंदोलन अब अपनी जमीन खो रहा है. क्षेत्र में तैनात सुरक्षा बल पिछले पांच दशक से चली आ रही हिंसा को समाप्त करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं.
पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस वर्ष जून और जुलाई में माओवादियों की केंद्रीय समिति के सदस्य हरिभूषण, दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (डीकेएसजेडसी) के सदस्य गंगा और शोबराय तथा कमांडर विनोद की कोविड-19 के संक्रमण के कारण मृत्यु हो गयी थी. उन्होंने बताया कि इससे पहले दिसंबर वर्ष 2019 में दक्षिण बस्तर में माओवादी आंदोलन का नेतृत्व कर रहे केंद्रीय समिति के सदस्य रमन्ना की बीमारी के कारण मौत हो गयी थी.
पुलिस महानिरीक्षक ने बताया कि बस्तर क्षेत्र में पुलिस माओवादियों के घटनाक्रम के संबंध में लगातार जानकारी ले रही है. उन्होंने कहा कि पिछले दो वर्षों के दौरान बस्तर में माओवादियों का गढ़ माने जाने वाले स्थानों में सुरक्षा बलों के 35 से अधिक शिविर स्थापित किये गये हैं और क्षेत्र में लगातार नक्सल विरोधी अभियान चलाये जा रहे हैं.
सुंदरराज ने कहा कि इसके साथ ही बस्तर क्षेत्र में तैनात सुरक्षा बलों ने माओवादियों को रसद और अन्य सामान आपूर्ति करने वालों पर भी कार्रवाई की है. उन्होंने कहा कि इसके लिए पड़ोसी राज्यों- आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उड़ीसा और महाराष्ट्र की पुलिस के साथ समन्वय किया गया है. परिणामस्वरूप दवाओं और उचित उपचार के अभाव में बड़ी संख्या में माओवादी नेताओं की मृत्यु हुई है, जबकि कई माओवादियों ने संगठन छोड़कर आत्मसमर्पण कर दिया है.
पुलिस महानिरीक्षक ने कहा कि नक्सली नेता आरके माओवादियों के आंध्र-ओड़िशा सीमा राज्य समिति के सचिव के रूप में काम कर चुका है. छत्तीसगढ़ से लगे आंध्र प्रदेश-ओड़िशा सीमा पर माओवादी गतिविधियों और वहां सुरक्षा बलों पर कई घातक हमलों का वह मास्टरमाइंड था.
बस्तर क्षेत्र में तैनात एक अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि माओवादियों ने शुक्रवार को तेलुगु में एक बयान जारी किया था, जिसमें उन्होंने 14 अक्टूबर की सुबह हरगोपाल (63) की बीमारी से मौत की पुष्टि की है. पुलिस अधिकारी ने बताया कि बयान में कहा गया है कि नक्सली नेता आरके गुर्दे से संबंधित बीमारियों से पीड़ित था.
उन्होंने बताया कि बयान के मुताबिक, आरके का जन्म आंध्रप्रदेश के गुंटूर जिले के पलनाड इलाके में वर्ष 1958 में हुआ था. वह 1970 के दशक में माओवादी आंदोलन में शामिल हुआ थ. आरके का बेटा मुन्ना उर्फ पृथ्वी भी एक माओवादी नेता था, जो वर्ष 2018 में पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारा गया था.
एजेंसी इनपुट के साथ
Posted By: Mithilesh Jha