Naxalism: नक्सलवाद पर एक अंतिम प्रहार करने की जरूरत
नक्सलवाद से लड़ने के लिए सरकार ने दो रूल ऑफ लॉ तय किया है. पहला, नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्रों में कानून का राज स्थापित करना और गैरकानूनी हिंसक गतिविधियों पर पूरी तरह लगाम लगाना और दूसरा हिंसा के कारण विकास से वंचित क्षेत्र की तरक्की.
Naxalism: नक्सलवाद की मौजूदा स्थिति को लेकर सोमवार को एक केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में एक अहम बैठक हुई. बैठक में मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद के पूरी तरह खात्मे पर प्रतिबद्धता जतायी गयी. नक्सलवाद के खात्मे के लिए सुरक्षा बलों की सख्ती के साथ ही सरकार इन क्षेत्रों में विकास को भी प्राथमिकता दे रही है. बैठक में छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और तेलंगाना के मुख्यमंत्री, बिहार के उपमुख्यमंत्री और आंध्र प्रदेश की गृह मंत्री शामिल हुए. इसके अलावा केंद्रीय गृह सचिव, उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के वरिष्ठ अधिकारी, नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए.
बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि वर्ष 2019 से 2024 तक नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में बड़ी कामयाबी मिली है. नक्सलवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस और सरकारी योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों को विकसित बनाना चाहते हैं. नक्सलवाद से लड़ने के लिए सरकार ने दो रूल ऑफ लॉ तय किया है. पहला, नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्रों में कानून का राज स्थापित करना और गैरकानूनी हिंसक गतिविधियों पर पूरी तरह लगाम लगाना और दूसरा हिंसा के कारण विकास से वंचित क्षेत्र की तरक्की.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा है और हमारे 8 करोड़ आदिवासी भाइयों और बहनों की इसमें बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है. विकसित भारत का सही मतलब है देश की 140 करोड़ की जनता तक विकास पहुंचाना. दूरदराज के इलाकों और जनजातीय लोगों तक सरकारी योजना का लाभ नहीं पहुंचने में सबसे बड़ी बाधा नक्सलवाद है. नक्सलवाद के कारण गांवों में शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं, कनेक्टिविटी, बैंकिंग और डाक सेवा की सुविधा नहीं मिल सकी. अंतिम व्यक्ति तक विकास को पहुंचाने के लिए हमें नक्सलवाद को पूरी तरह खत्म करना होगा.
पिछले दस साल में नक्सली हिंसा में आयी है कमी
गृह मंत्री ने कहा कि 30 साल में पहली बार वर्ष 2022 में नक्सली हिंसा में होने वाली मौत की संख्या 100 से कम रही. यह एक बड़ी उपलब्धि है. वर्ष 2014 से 2024 के बीच नक्सलवाद की घटनाओं में काफी कमी आयी है. इस दौरान 14 शीर्ष नक्सली नेता मारे गये. वर्ष 2004 से 2014 के के दौरान 16463 नक्सली हिंसा की घटनाएं हुई थी जो लगभग 53 फीसदी कम होकर वर्ष 2014 से 2024 के दौरान 7700 तक हो गयी है. इस दौरान आम लोगों और सुरक्षाबलों की मृत्यु में 70 फीसदी की कमी आयी. हिंसा रिपोर्ट करने वाले 96 जिले अब घटकर 16 रह गए हैं. हिंसा की सूचना देने वाले पुलिस स्टेशन भी 465 से कम होकर 171 हो गए है.
नक्सली के खिलाफ लड़ाई अब अपने अंतिम चरण में है. आज बूढ़ा पहाड़ और चकरबंधा जैसे कई क्षेत्र नक्सलवाद से पूरी तरह मुक्त हो चुके हैं. छत्तीसगढ़ में नक्सलियों की 85 फीसदी कैडर को खत्म कर दिया गया है. अब नक्सलवाद पर एक अंतिम प्रहार करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2019 से मोदी सरकार ने एक बहुकोणीय रणनीति पर अमल शुरू किया जिसके तहत अर्धसैनिक बलों (CAPFs) की तैनाती के लिए वैक्यूम ढूंढे गए और एक ही साल में 194 से अधिक कैंप स्थापित किए गए.
खर्च में भी हुई है बढ़ोत्तरी
सुरक्षा संबंधी व्यय योजना में वर्ष 2004 से 2014 तक 1180 करोड़ रुपए खर्च हुए थे, जो वर्ष 2014 से 2024 के बीच 3,006 करोड़ हो गया. नक्सलवाद के प्रबंधन के लिए केंद्रीय एजेंसियों को सहायता योजना में 1055 करोड़ रुपए दिए गए. एक नयी योजना विशेष केंद्रीय सहायता के तहत पिछले 10 साल में 3590 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. अब तक कुल मिलाकर 14367 करोड़ रुपए अनुमोदित किए गए हैं, जिसमें से 12000 करोड़ रुपए खर्च हो चुके है. वर्ष 2004 से 2014 के दौरान 66 फोर्टीफाइड पुलिस स्टेशन बनाए गए थे जबकि 2014 से 2024 के दौरान ऐसे 544 पुलिस स्टेशन बनाये गये. वर्ष 2004 से 2014 के दौरान नक्सल प्रभावित क्षेत्र में 2900 किलोमीटर सड़क नेटवर्क निर्माण हुआ था, जो पिछले 10 साल में बढ़कर 14400 किलोमीटर हो गया है.
इसके साथ ही मोबाइल कनेक्टिविटी के लिए 2004 से 2014 तक कोई प्रयास नहीं हुए थे जबकि 2014 से 2024 में 6000 टावर लगा दिए गए हैं और उसमें से 3551 टावर को 4जी बनाने का काम भी समाप्त हो गया है. वर्ष 2014 से पहले मात्र 38 एकलव्य मॉडल स्वीकृत हुए थे, अब पिछले 10 साल में 216 स्कूल स्वीकृत हुए हैं जिनमें से 165 एकलव्य मॉडल स्कूल शुरू हो चुके है.
सुरक्षा वैक्यूम को भरने के लिए 2019 से अब तक हमने 280 नए कैंप बनाए हैं, 15 नए ज्वाइंट टास्क फोर्स बनाए हैं और अलग-अलग राज्यों में राज्य पुलिस की सहायता के लिए सीआरपीएफ की 6 बटालियन भेजी गयी है. इसके साथ ही एनआईए नक्सलियों के वित्तपोषण को रोकने की एक ऑफेंसिव रणनीति अपनाई है जिसके कारण उनके पास आर्थिक संसाधनों की कमी हो गयी है.