Naxalism: बहुआयामी रणनीति से कमजोर हो रहा है नक्सलवाद
नक्सलवाद के खतरे से समग्र रूप से निपटने के लिए भारत सरकार ने 2015 में राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना को मंजूरी दी थी. इसमें सुरक्षा संबंधी उपायों, विकास हस्तक्षेपों, स्थानीय समुदायों के अधिकारों और हकों को सुनिश्चित करने आदि से जुड़ी बहुआयामी रणनीति को अपनाने पर जोर दिया गया.
Naxalism: केंद्र सरकार ने मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद के खात्मे का लक्ष्य रखा है. नक्सल समस्या से निपटने के लिए सरकार विकास के साथ सुरक्षा को भी प्राथमिकता दे रही है. नक्सलवाद के खतरे से समग्र रूप से निपटने के लिए भारत सरकार ने 2015 में राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना को मंजूरी दी थी. इसमें सुरक्षा संबंधी उपायों, विकास हस्तक्षेपों, स्थानीय समुदायों के अधिकारों और हकों को सुनिश्चित करने आदि से जुड़ी बहुआयामी रणनीति को अपनाने पर जोर दिया गया. इस नीति के तहत नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा को मजबूत करने के लिए केंद्र सरकार नक्सल प्रभावित राज्यों को केंद्रीय अर्धसैनिक बल का बटालियन मुहैया कराती है.
साथ ही राज्य पुलिस को मजबूत करने के लिए प्रशिक्षण, धन, उपकरण, हथियार, खुफिया जानकारी साझा करने, फोर्टिफाइड पुलिस स्टेशनों का निर्माण जैसे काम में सहायता देती है. नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के लिए विशेष अवसंरचना योजना (एसआईएस) के तहत केंद्र सरकार प्रभावित राज्यों को विशेष बलों को मजबूत बनाने, विशेष खुफिया शाखाओं को सशक्त करने, जिला पुलिस को मजबूत बनाने में भी मदद मुहैया कराती है.
स्थानीय पुलिस को सशक्त बनाने पर जोर
पिछले साल के दौरान जिला पुलिस के लिए 363.26 करोड़ रुपये केंद्रीय गृह मंत्रालय ने स्वीकृत किया है. इस योजना के तहत 2017-18 से अब तक 759.51 करोड़ रुपये की लागत से 302 फोर्टिफाइड पुलिस स्टेशनों को मंजूरी दी गयी है. विशेष अवसंरचना योजना क्रियान्वयन के लिए राशि का भुगतान 60 फीसदी केंद्र और 40 फीसदी राज्यों को खर्च करना होता है. लोकसभा में पूछे गए एक प्रश्न के लिखित प्रश्न के जवाब में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने यह जानकारी दी.
गौरतलब है कि सरकार नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सड़क, मोबाइल कनेक्टिविटी पर विशेष जोर दे रही है. इसके अलावा शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य बुनियादी सुविधा पहुंचाने का काम तेज गति से हो रहा है. सरकार के समग्र प्रयासों का नतीजा है कि देश में नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या काफी कम हो गयी है. साथ ही नक्सली हिंसा में मारे जाने वाले लोगों और सुरक्षाबलों की संख्या में भी व्यापक कमी आयी है.