NCERT के पाठ्यक्रम में काटछांट को लेकर राजनीति तेज हो गयी है. राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने 12वीं कक्षा की राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की किताबों में कुछ संदर्भों को हटाए जाने की खबरों को लेकर केंद्र सरकार पर तगड़ा हमला बोला है. उन्होंने इतिहास के साथ छेड़छाड़ का गंभीर आरोप लगाया.
‘आधुनिक भारतीय इतिहास 2014 से शुरू होना चाहिए’
कपिल सिब्बल ने कटाक्ष करते कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भारत के अनुरूप, आधुनिक भारतीय इतिहास 2014 से आरंभ होना चाहिए. इसको लेकर सिब्बल ने ट्वीट किया, एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तकें: हटाए गए विषय- 1) हिंदू मुस्लिम एकता के लिए गांधी के प्रयास, 2) आरएसएस पर प्रतिबंध, 3) गुजरात दंगों से जुड़े सभी संदर्भ, 4) समकालीन भारत में सामाजिक आंदोलन में तब्दील होने वाले प्रदर्शन. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, मोदी जी के भारत के अनुरूप, आधुनिक भारतीय इतिहास 2014 से शुरू होना चाहिए.
क्या है मामला
दरअसल एनसीईआरटी की नये शैक्षणिक सत्र के लिए 12वीं कक्षा की राजनीतिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में ‘महात्मा गांधी की मौत का देश में साम्पद्रायिक स्थिति पर प्रभाव, गांधी की हिन्दू मुस्लिम एकता की अवधारणा ने हिन्दू कट्टरपंथियों को उकसाया,’ और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) जैसे संगठनों पर कुछ समय के लिए प्रतिबंध सहित कई पाठ्य अंश नहीं हैं. 12वीं कक्षा की इतिहास की किताबों से मुगल बादशाह और दरबारों के अंश हटा दिये गए हैं.
NCERT textbooks:
Effaced:
1) Gandhi’s pursuit of Hindu Muslim unity
2) Banning of RSS
3) All references to Gujarat riots
4) Protests that turned into social movements in contemporary IndiaConsistent with Modiji’s Bharat modern Indian history should start from 2014… !
— Kapil Sibal (@KapilSibal) April 5, 2023
एनसीईआरटी ने इतिहास में काटछांट करने के आरोप को गलत बताया
एनसीईआरटी ने हालांकि यह दावा किया है कि इस वर्ष पाठ्यक्रम में कोई काटछांट नहीं की गई है और पाठ्यक्रम को पिछले वर्ष जून में युक्तिसंगत बनाया गया था. पिछले वर्ष पाठ्यक्रम को युक्तिसंगत बनाने और कुछ अंशों के अप्रसांगिक होने के आधार पर एनसीईआरटी ने गुजरात दंगों, मुगल दरबार, आपातकाल, शीत युद्ध, नक्सल आंदोलन आदि के कुछ अंशों को पाठ्यपुस्तक से हटा दिया था.
एनसीईआरटी निदेशक ने दी सफाई
विवाद बढ़ने के बाद एनसीईआरटी के निदेशक दिनेश सकलानी ने सफाई देते हुए कहा, कोविड-19 महामारी के मद्देनजर यह महसूस किया गया कि छात्रों पर पाठ्यसामग्री के बोझ को कम किया जाए. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में पाठ्य सामग्री के बोझ को कम करने और रचनात्मक सोच का उपयोग करके अनुभव के आधार पर सीखने पर जोर दिया गया है. इस परिप्रेक्ष्य में सभी कक्षाओं में और सभी विषयों में पाठ्यपुस्तकों को युक्ति संगत बनाने का कार्य शुरू किया गया है.