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NCERT बच्चों को पढ़ायेगा कोरोना वायरस से बचने का तरीका, पाठयक्रम में किया शामिल

NCERT ने नौवीं व 10वीं का भी वैकल्पिक एकेडमिक कैलेंडर जारी किया है. एनसीइआरटी ने नौवीं के स्टूडेंट्स को साइंस विषय में कोरोना वायरस से बचने का तरीका पहले सप्ताह में बतायेगा

एनसीइआरटी ने नौवीं व 10वीं का भी वैकल्पिक एकेडमिक कैलेंडर जारी किया है. एनसीइआरटी ने नौवीं के स्टूडेंट्स को साइंस विषय में कोरोना वायरस से बचने का तरीका पहले सप्ताह में बतायेगा. एनसीइआरटी ने शिक्षकों को कहा है कि पहले सप्ताह में कारणों व प्रभावों के साथ प्रक्रियाओं और घटनाओं के संबंध में बताया जाये. रोगों के लक्षणों और उनके कारणों के साथ संबंध में स्टूडेंट्स को पढ़ाया जाये. प्रक्रियाओं व घटनाओं की व्याख्या की जायेगी.

बता दें कि इसके बाद स्टूडेंट्स को रोगों का प्रसार व उनकी रोकथाम के बारे में प्रोजेक्ट तैयार करना होगा. विभिन्न बीमारियों का कारण बताना होगा. उनके लक्षणों की एक तालिका बनानी होगी. इसके बाद हाथ धोने का अभ्यास करने से किस तरह की बीमारियों को रोका जा सकता है? इसके साथ स्टूडेंट्स को बताना होगा कि वायरस कैसे फैल सकता है? हाथ धोने की सही प्रक्रिया क्या है? कोरोना के लिए निवारक उपाय क्या हैं? इसके प्रसार से बचने के लिए आप एक व्यक्ति के रूप में क्या कर सकते हैं? इस प्रोजेक्ट को बना कर अपने टीचर को दिखाना होगा. स्टूडेंट्स की सहायता के लिए एनसीइआरटी ने लिंक भी जारी किया है.

एनसीइआरटी ने शिक्षकों के लिए जारी किये निर्देश 

इसमें शिक्षक गाइड करेंगे और सवालों का हल स्टूडेंट्स को करना है. जारी सिलेबस में स्टूडेंट्स को पढ़ाने का तरीका भी बताया गया है. इस कैलेंडर को साप्ताहिक आधार पर जारी किया किया है. इसमें विभिन्न गतिविधियों को शामिल किया गया है. ताकि, स्टूडेंट्स इजी से सभी सब्जेक्ट को समझ सकें. इस कैलेंडर के अनुसार अभिभावक व अध्यापक बच्चों की प्रगति पर भी नजर बनाये रखेंगे और पाठ्यपुस्तकों के अलावा भी बच्चों को नयी चीजें सीखने के लिए प्रेरित करेंगे. इसमें शिक्षकों के लिए बताया गया है कि पढ़ाने से पहले कहानी के विषय से संबंधित प्रश्न पूछ सकते हैं, विचारों व संबंधित शब्दावली उत्पन्न करने के लिए चित्र दिखाना. नयी शब्दावली या भाव सिखाना, जो कहानी में दिखायी देगा. विद्यार्थियों के लिए विषय से संबंधित कुछ सुनने की गतिविधि प्रदान करना. लंबे पाठ को भागों में विभाजित करके पढ़ाएं. इसके बाद स्टूडेंट्स के समझ की जांच करें. पढ़ाने के बाद व्याकरण के संदर्भ में, लेखन गतिविधियां, वाद-विवाद के लिए बिंदु, भूमिका निभाने के लिए संवाद लेखन, एक पैराग्राफ में वाक्यों को व्यवस्थित करना, समूह चर्चा, चिंतन-मनन, कहानी का खाका आदि तैयार करने को कहें.

योग को भी किया गया शामिल

इस कैलेंडर में अनुभव आधारित शिक्षा के लिए कला व शारीरिक शिक्षा के साथ-साथ योग को भी शामिल किया गया है. तनाव व चिंता को दूर करने के तरीके भी इस कैलेंडर में बताये गये हैं. कैलेंडर में गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, संस्कृत, उर्दू, हिंदी व अंग्रेजी को शामिल किया गया है. इस वैकल्पिक कैलेंडर में इ-पाठशाला, एनआरओइआर व दीक्षा पोर्टल पर अध्ययन के लिए उपलब्ध सामग्री को भी शामिल किया गया है. मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा है कि इस कैलेंडर के माध्यम से अध्यापक विभिन्न तकनीकों व सोशल मीडिया प्लेटफाॅर्म का प्रयोग कर घर से ही बच्चों को अभिभावकों की देखरेख में पढ़ा सकते हैं. इंटरनेट का उपयोग नहीं करने वाले इस वैकल्पिक कैलेंडर से पढ़ाई शिक्षकों से फोन पर बात करके कर सकते हैं.

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