NCRB DATA 2019 : सुसाइड करने वालों का रहता है ड्रग्स कनेक्शन, गृहिणी और दैनिक वेतनभोगी सबसे ज्यादा गंवाते हैं जान
NCRB DATA 2019 major causes of suicides Drug connections family problem and love affairs housewives and daily salaried people commits suicide : आत्महत्या किसी व्यक्ति के द्वारा किया गया ऐसा काम है, जो ना सिर्फ उसकी जिंदगी को लील लेता है, बल्कि पूरे परिवार और समाज को भी कुछ दिनों तक सदमे में ले आता है. इस सच्चाई से आत्महत्या करने वाला हर शख्स वाकिफ होता है बावजूद इसके हमारे देश में प्रतिवर्ष एक लाख से ज्यादा लोग आत्महत्या करते हैं और समाज के माथे पर एक सवाल छोड़ जाते हैं कि आखिर क्यों?
आत्महत्या किसी व्यक्ति के द्वारा किया गया ऐसा काम है, जो ना सिर्फ उसकी जिंदगी को लील लेता है, बल्कि पूरे परिवार और समाज को भी कुछ दिनों तक सदमे में ले आता है. इस सच्चाई से आत्महत्या करने वाला हर शख्स वाकिफ होता है बावजूद इसके हमारे देश में प्रतिवर्ष एक लाख से ज्यादा लोग आत्महत्या करते हैं और समाज के माथे पर एक सवाल छोड़ जाते हैं कि आखिर क्यों?
भारत में आत्महत्या करने वालों में सबसे ज्यादा लोग वैसे हैं जो घरेलू परेशानियों से त्रस्त हैं. यह आंकड़ा एनसीआरबी ने जारी किया है. इस आंकड़े के अनुसार वर्ष 2019 में एक लाख 39 हजार 123 लोगों ने आत्महत्या की थी, जिनमें से पारिवारिक समस्या के कारण 32.4 प्रतिशत लोगों ने अपनी जान दी. जबकि 17.1 प्रतिशत लोगों ने किसी ना किसी बीमारी के कारण आत्महत्या की. यह आंकड़े आज के समय में ज्यादा जरूरी इसलिए हो जाते हैं क्योंकि देश में एक आत्महत्या पर जांच चल रही है. बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह की मौत के बाद यह सवाल बहुत अहम हो गया है कि क्या एक ऐसा इंसान जिसके पास नाम, पैसा और शोहरत सबकुछ था वह आत्महत्या कर सकता है?
सुशांत की मौत मामले में सीबीआई जांच चल रही है. लेकिन एनसीआरबी ने सुसाइड को लेकर जो आंकड़े दिये हैं, वे ना सिर्फ चौंकाने वाले हैं बल्कि डराने वाले भी हैं. देश में 10.3 प्रतिशत किस लिए अपनी जान देते हैं, इसकी कोई जानकारी पुलिस के पास नहीं है. यानी उनकी आत्महत्या के कारणों को कोई पता नहीं चलता है. ड्रग्स, शराब और अन्य नशे की लत में 5.6 लोग सुसाइड करते हैं.
वहीं शादी-विवाह की समस्याओं के कारण 5.5 प्रतिशत लोग जान देते हैं, वहीं प्रेम में पड़कर या असफल होकर 4.5 प्रतिशत लोग अपनी जान देते हैं. इसके अलावा दिवालिया होने पर 4.2 प्रतिशत, बेरोजगारी के कारण दो प्रतिशत और परीक्षा में असफल होने पर भी दो प्रतिशत लोग जान देते हैं. प्रियजन की मृत्यु, अवैध रिश्ता, गरीबी जैसे कारक भी आत्महत्या की वजह बनते हैं.
आत्महत्या करने वालों में स्त्री-पुरुष की संख्या
आत्महत्या करने वालों का अगर उम्र के अनुसार स्त्री-पुरुष के अनुसार विभाजन किया जाये तो हम पाते हैं कि 18 वर्ष से कम उम्र के जो लोग सुसाइड करते हैं उनमें 4405 पुरुष हैं, जबकि इस आयु वर्ग में महिलाएं ज्यादा सुसाइड करती हैं और उनकी संख्या 5208 है. 18 से 30 वर्ष के लोगों में पुरुषों की संख्या में इजाफा हो जाता है. इस आयु वर्ग के 30 हजार 833 लोगों ने पिछले साल आत्महत्या की, जबकि इस आयु वर्ग में 17 हजार 930 महिलाओं ने आत्महत्या की. 30 से 45 साल के लोगों में 33 हजार 518 लोगों ने आत्महत्या की जबकि 10 हजार 765 महिलाओं ने इस आयु वर्ग में जान दी. 45 से 60 वर्ष की आयु में सुसाइड करने वालों में पुरुष 20 हजार 555 हैं, जबकि महिलाएं 4881 हैं. 60 वर्ष से अधिक में सुसाइड करने वाले कम हैं इनकी संख्या पुरुषों में 8302 और महिलाओं में 2709 है.
सबसे ज्यादा सुसाइड करते हैं दैनिक वेतनभोगी और गृहिणी
आत्महत्या करने वालों के आंकड़ों पर अगर हम गौर करें तो पता चलता है कि सबसे ज्यादा आत्महत्या दैनिक वेतनभोगी करते हैं. इनका आंकड़ा 23.4 प्रतिशत का है. वहीं सुसाइड करने वालों में घरेलू महिलाएं दूसरे नंबर पर हैं. उनकी संख्या 15.4 प्रतिशत है. चूंकि घरेलू समस्याओं के कारण आत्महत्या हमारे देश में सबसे ज्यादा है इसलिए गृहिणियों की संख्या आत्महत्या करने वालों में इतनी ज्यादा है. 10.1 प्रतिशत बेरोजगार अपनी जान देते हैं, वहीं स्वरोजगार कर रहे लोगों में आत्महत्या का प्रतिशत 11.6 है. आत्महत्या करने वालों में विद्यार्थियों का प्रतिशत 7.4 है जबकि वेतन पाने वालों में यह आंकड़ा 9.1 है. पति या पत्नी की मृत्यु के बाद सुसाइड करने वालों में पुरुषों की संख्या 1378 है, जबकि महिलाओं की 1094 है. तलाक के बाद आत्महत्या करने वालों में पुरुषों की संख्या 595 और महिलाओं की 402 है.
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