NCRB Data: भारत में 2018-2020 के बीच 16 हजार से अधिक लोगों ने दिवालिया होने या कर्ज से दुखी होकर दी जान

देश में बेरोजगारी के मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार ने बुधवार को राज्यसभा में कुछ अहम जानकारी पेश की है. सरकार ने बुधवार को कहा कि 2018 से 2020 के बीच 16 हजार से अधिक लोगों ने दिवालिया होने या कर्ज में डूबे होने के कारण आत्महत्या कर ली.

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 9, 2022 7:49 PM
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NCRB Record देश में बेरोजगारी के मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार ने बुधवार को राज्यसभा में कुछ अहम जानकारी पेश की है. सरकार ने बुधवार को कहा कि 2018 से 2020 के बीच 16 हजार से अधिक लोगों ने दिवालिया होने या कर्ज में डूबे होने के कारण आत्महत्या कर ली, जबकि 9,140 लोगों ने बेरोजगारी के चलते अपनी जान दे दी.

राज्यसभा को दी गई ये जानकारी

गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में राज्यसभा (Rajya Sabha News) को यह जानकारी दी. नित्यानंद राय ने कहा कि 2020 में 5,213 लोगों ने दिवालियापन या कर्ज में डूबे होने के कारण आत्महत्या की. जबकि, 2019 में यह संख्या 5,908 और 2018 में 4,970 थी. उन्होंने कहा कि 2020 में 3,548 लोगों ने, जबकि 2019 में 2,851 और 2018 में 2,741 लोगों ने बेरोजगारी (Unemployment) के चलते आत्महत्या (Suicide Cases in India) की.


आंकड़े एनसीआरबी द्वारा कराए गए उपलब्ध

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि यह आंकड़े नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) द्वारा उपलब्ध कराए गए हैं. 2020 में बढ़ा बेरोजगारी का स्तर सरकार के द्वारा पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक, 2018 के मुकाबले 2020 में बेरोजागीर से होने वाली मौतों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. 2018 में बेरोजगारी के कारण जान देने वाले लोगों की संख्या 2741 थी, लेकिन 2020 में ये संख्या 3548 तक पहुंच गई. वहीं, साल 2019 में 2,851 भारतीयों ने रोजगार नहीं होने की वजह से आत्महत्या की.

विपक्षी दलों के सांसदों ने सदन में उठाया बेरोजगारी का मुद्दा

बता दें कि बजट सत्र (Budget Session 2022) में बेरोजगारी का मुद्दा छाया रहा है. विपक्षी दलों के सदस्य दोनों सदनों में इस मुद्दे को जोर शोर से उठाते रहे है. विपक्ष का आरोप है कि बजट (Union Budget 2022) में केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) ने रोजगार के लिए कुछ नहीं किया है. सरकार पर निशाना साधते हुए विपक्षी सदस्यों कहना है कि कोरोना काल में सरकार की नीतियों ने बेरोजगारी को और बढ़ाया है.

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