कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में जारी लॉकडाउन के बीच कुछ खबरें सुकून देने वाली हैं, तो कुछ खबरें चिंता का कारण भी बनती हैं. लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूर जिस तरह मीलों चलकर भी अपने गांव पहुंच रहे हैं, इस दौरान उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. बात अगर महिलाओं की करें, तो उन्हें इस दौरान कई अन्य तरह की परेशानियां भी झेलनी पड़ रही है. कल ही एक खबर आयी थी जिसमें एक प्रवासी मजदूर का प्रसव सड़क पर हुआ और उसके मात्र दो घंटे बाद ही वह अपने नवजात को लेकर सैकड़ों किलोमीटर पैदल चली. यही कारण है कि राष्ट्रीय महिला आयोग प्रवासी महिलाओं और उनकी स्थिति पर गंभीरता पूर्वक विचार कर रहा है. इसी क्रम में राष्ट्रीय महिला आयोग ने 22 राज्यों के महिला आयोग की आज बैठक बुलायी और उसमें प्रवासी मजदूरों की स्थिति उनके अपना गांव-शहर छोड़ने के कारणों को जाना. आंकड़ों के अनुसार 15 करोड़ प्रवासी महिला हैं, जो आजीविका और शिक्षा के लिए अपना घर छोड़ बाहर जाती हैं. इस संबंध में जानकारी देते हुए झारखंड राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष ने बताया कि मीटिंग अभी जारी है, शाम तक प्रवासी महिलाओं के मुद्दे पर चर्चा होगी और उसके बाद आयोग इसपर निर्णय करेगा.
गौरतलब है कि लॉकडाउन के दौरान महिलाओं की स्थिति के बारे में रिपोर्ट देते हुए राष्ट्रीय महिला आयोग ने कहा था कि लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा की घटनाएं अभूतपूर्व तरीके से बढ़ी हैं. इसका कारण यह है कि घरेलू हिंसा की पीड़िता और आरोपी दोनों घर पर हैं. महिला आयोग के अनुसार फरवरी 27 से मार्च 22 तक महिलाओं के खिलाफ अपराध के 396 मामले दर्ज हुए जबकि मार्च 23 से अप्रैल 16 तक 587 मामले दर्ज हुए. इनमें सबसे ज्यादा मामले घरेलू हिंसा के हैं. घरेलू हिंसा से निपटने और त्वरित कार्रवाई के आयोग ने 72177135372 व्हाट्सएप नंबर जारी किया है.
वहीं एक खबर सुकून देने वाली है कि पूरे देश में लॉकडाउन के दौरान रेप की घटनाओं में कमी आयी है. दिल्ली पुलिस द्वारा जारी किये गये आंकड़ों के अनुसार मार्च 22 से अप्रैल 12 तारीख के बीच 2019 में 139 केस सामने आये थे, वहीं इसी अवधि में सिर्फ 23 केस सामने आये. यह मामलों में 83 प्रतिशत की गिरावट को दर्शाता है. पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि रेप की घटनाओं में कमी का कारण सड़क पर भीड़ का नहीं होना है. लोग में उत्तेजना की कमी हुई है, जिसके कारण यह आंकड़ा सामने आया है. पुरुष महिलाओं के सीधे संपर्क में नहीं आ रहे साथ ही लॉकडाउन के दौरान उनके लिए शराब पीना संभव नहीं हो रहा है, इसलिए भी महिलाएं रेप जैसी घटनाओं की शिकार होने से बच रही हैं. लेकिन घरों में होने वाले रेप पर अभी तक कोई डाटा जारी नहीं हुआ है, क्योंकि ऐसी घटनाएं सामने नहीं आतीं, क्योंकि इन घटनाओं में घरवाले ही आरोपी होते हैं.