नयी दिल्ली : कोरोना की रोकथाम के लिए दूसरे चरण का वैक्सीनेशन अभियान शुरू हो चुका है. दूसरे चरण में 60 वर्ष से अधिक और गंभीर बीमारी से पीड़ित 45 साल से ऊपर के लोगों को कोरोना की वैक्सीन दी जा रही है.
वर्तमान में देश के 777 सांसदों में से 366 सांसदों की उम्र 60 वर्ष से अधिक है. ऐसे में 366 सांसद कोरोना वैक्सीन लेने के मानदंड को पूरा कर रहे हैं, जिन्हें वैक्सीन दी जा सकती है. मालूम हो कि सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में भारत बायोटेक द्वारा विकसित की गयी स्वदेशी वैक्सीन कोवाक्सिन की पहली खुराक ली थी.
संसद के आंकड़ों के मुताबिक, लोकसभा के 36 फीसदी सांसद 60 साल से अधिक आयु के हैं. जबकि, राज्यसभा में बुजुर्ग सांसदों की संख्या ज्यादा है. राज्यसभा में 62 फीसदी सांसद ऐसे हैं, जिन्हें कोरोना की वैक्सीन दी जा सकती है. गंभीर बीमारी से पीड़ित 45 साल से ऊपर के सांसद कितने हैं. ज्ञात नहीं है.
संसद के करीब आधे सांसदों को दूसरे चरण के वैक्सीनेशन अभियान के दौरान कोरोना की वैक्सीन दी जा सकती है. माना जाता है कि इन सांसदों को कम-से-कम पहली खुराक दे दी जायेगी. संभावना है कि आठ मार्च से संसद शुरू होने के पहले वैक्सीन दे दी जायेगी.
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, लोकसभा के 539 सांसदों में से 218 सांसद और राज्यसभा में 248 सांसदों में से 148 सांद 60 वर्ष की आयु से अधिक है, जिन्हें कोरोना की वैक्सीन दी जा सकती है. गंभीर रूप से बीमा 45 वर्ष से 60 साल की उम्र के बीच कितने सांसद हैं? यह ज्ञात नहीं है. लोकसभा सचिवालय के अधिकारी के मुताबिक, सांसदों या मंत्रियों के स्वास्थ्य की स्थिति का आंकड़ा नहीं रखा जाता है.
कोरोना वैक्सीन लेने का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि चार राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव होना है. चुनाव को लेकर सांसदों को जनसभा संबोधित करने के लिए जाना होता है. ऐसे में कोरोना वैक्सीन लेने के बाद सांसद या मंत्री सुरक्षित रूप से चुनाव प्रचार कर सकते हैं.