Neet Exam: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला : अब ओपन स्कूल से पढ़ाई करनेवाले छात्र दे सकेंगे नीट परीक्षा

Neet Exam: ओपन स्कूल से 12वीं की पढ़ाई करने वाले छात्रों को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है. अब ऐसे छात्र भी डॉक्टर बनने का सपना पूरा कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सेंट्रल सेकेंडरी एजुकेशन बोर्ड (सीबीएसई) और राज्य एजुकेशन बोर्ड से मान्यता प्राप्त ओपन स्कूल अब नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस […]

By Prachi Khare | March 6, 2024 7:10 PM

Neet Exam: ओपन स्कूल से 12वीं की पढ़ाई करने वाले छात्रों को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है. अब ऐसे छात्र भी डॉक्टर बनने का सपना पूरा कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सेंट्रल सेकेंडरी एजुकेशन बोर्ड (सीबीएसई) और राज्य एजुकेशन बोर्ड से मान्यता प्राप्त ओपन स्कूल अब नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट यानी नीट के लिए नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएससी) द्वारा मान्यता प्राप्त होंगे, यानी अब मान्यता प्राप्त ओपन स्कूलों से 12वीं पास करने वाले छात्र भी नीट परीक्षा में शामिल हो सकते हैं.

लाखों छात्र पूरा कर सकेंगे डॉक्टर बनने का सपना

मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) ओपन स्कूल छात्रों को नीट एग्जाम में शामिल होने की परमिशन देने वाले दिल्ली हाईकोर्ट के एक फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गयी थी, लेकिन इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने छात्रों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए उन्हें मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम यानी नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (नीट) में शामिल होने पर मुहर लगा दी. सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला उन लाखों छात्र-छात्राओं के लिए बड़ी खबर है, जो आर्थिक तंगी या अन्य किसी परेशानी के चलते रेगुलर पढ़ाई नहीं कर पाते और उनका डॉक्टर बनने का ख्वाब, महज ख्वाब बनकर ही रह जाता है.

सालों पहले लगायी गयी थी रोक

मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) ने 1997 के रेगुलेशन ऑन ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन के खंड 4 (2) ए के प्रावधानों के मुताबिक, ऐसे उम्मीदवारों को नीट एग्जाम में शामिल होने से रोक दिया था. फिर साल 2018 में दिल्ली हाईकोर्ट ने इस प्रावधान को असंवैधानिक बताते हुए इसे रद्द कर दिया था. एमसीआई के इस प्रावधान को रद्द करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस चंद्रशेखर की पीठ ने कहा था कि मेडिकल ने इस धारणा को आगे बढ़ाया है कि जो छात्र आर्थिक तंगी और परेशानियों और अन्य सामाजिक कारणों से रेगुलर स्कूल नहीं जा पाते हैं, वे अन्य छात्रों की तुलना में हीन और कम योग्य हैं.

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