‘पराक्रम दिवस’ के रूप में हर साल मनेगा नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती, पौत्र सीके बोस बोले- ‘देशप्रेम दिवस’ होता तो और अच्छा होता
नयी दिल्ली : भारत सरकार ने नेताजी के जन्मदिवस को 'पराक्रम दिवस' के रूप में हर साल मनाने का फैसला किया है. इस संबंध में केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने भी अधिसूचना जारी कर दी है. वहीं, नेताजी के पौत्र ने कहा है कि उनका जन्मदिन देशप्रेम के रूप में मनाया जाता रहा है. अगर देशप्रेम दिवस होता, तो और अच्छा होता.
नयी दिल्ली : भारत सरकार ने नेताजी के जन्मदिवस को ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में हर साल मनाने का फैसला किया है. इस संबंध में केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने भी अधिसूचना जारी कर दी है. वहीं, नेताजी के पौत्र ने कहा है कि उनका जन्मदिन देशप्रेम के रूप में मनाया जाता रहा है. अगर देशप्रेम दिवस होता, तो और अच्छा होता.
जानकारी के मुताबिक, केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने मंगलवार को बताया कि भारत सरकार ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्मदिन 23 जनवरी को ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय किया है.
Netaji was India's liberator. We welcome the announcement but people have been celebrating Jan 23 as 'Deshprem Diwas'. It would've been more appropriate, had Govt announced it as Deshprem Diwas but we're happy about announcement: CK Bose, BJP leader & Netaji SC Bose's grandnephew https://t.co/L6oKYlFiGm pic.twitter.com/JdLEIZCDGK
— ANI (@ANI) January 19, 2021
केंद्र सरकार के फैसले पर बीजेपी नेता व नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पौत्र सीके बोस ने कहा कि ”नेताजी भारत के मुक्तिदाता थे.” साथ ही उन्होंने कहा कि घोषणा का हम स्वागत करते हैं.”
उन्होंने कहा कि ”23 जनवरी को लोग देश प्रेम दिवस के रूप में मनाते रहे हैं. इससे ज्यादा अच्छा होता कि सरकार इस दिन को देशप्रेम दिवस के रूप में घोषित करती.” उन्होंने कहा कि ”लेकिन, हम घोषणा से खुश हैं.”
मालूम हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल दिसंबर माह में ही नेताजी सुभाष चंद्र बोस के 125वीं जयंती समारोह को भव्य तरीके से मनाने का आग्रह किया था.
नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म ओडिशा के कटक में 23 जनवरी, 1897 को हुआ था. उनके पिता का नाम जानकी नाथ बोस था. वे एक अधिवक्ता थे. बड़े होने पर उन्होंने अंग्रेजों से भारत को आजादी दिलाने के लिए आजाद हिंद फौज की स्थापना की थी.
हालांकि, आजादी मिलने के पूर्व ही नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत हो गयी थी. केंद्र सरकार ने 2017 में एक आरटीआई में पुष्टि की थी कि 18 अगस्त 1945 को ताइपे विमान हादसे में उनकी मौत हो गयी थी.