नई दिल्ली : केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) घोटाला मामले में खुलासा किया है कि भारत का भगोड़ा हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी के स्वामित्व वाली कंपनियों ने तथाकथित तौर परफर्जी वचन पत्रों (लेटर्स ऑफ अंडरटेकिंग) और विदेशी साख पत्रों (फॉरेन लेटर्स ऑफ क्रेडिट) के जरिए बैंक से 6344.96 करोड़ रुपये की निकासी किया है. चोकसी पीएनबी घोटाला सामने आने से कुछ सप्ताह पहले जनवरी, 2018 में भारत से फरार हो गया था और तब से एंटीगुआ और बारबुडा में रह रहा था.
समाचर एजेंसी पीटीआई की खबर के अनुसार, पीएनबी की ब्रैडी हाउस शाखा (मुंबई) में अधिकारियों ने मार्च-अप्रैल 2017 के दौरान 165 वचन-पत्र (एलओयू) और 58 विदेशी साख पत्र (एफएलसी) जारी किये थे, जिनके आधार पर 311 बिलों में छूट दी गई. बिना किसी पाबंदी सीमा या नकदी सीमा के चोकसी की कंपनियों को ये पत्र जारी किए गए.
एलओयू बैंक द्वारा उसके ग्राहक की ओर से किसी विदेशी बैंक को दी गयी गारंटी होती है. अगर ग्राहक विदेशी बैंक को पैसा नहीं लौटाता, तो देनदारी गारंटर बैंक की होती है. इन एलओयू के आधार पर एसबीआई-मॉरीशस, इलाहाबाद बैंक-हांगकांग, एक्सिस बैंक-हांगकांग, बैंक ऑफ इंडिया-एंटवर्प, केनरा बैंक-मनामा और एसबीआई-फ्रेंकफर्ट ने पैसा दिया था.
सीबीआई की चार्जशीट में आरोप लगाया गया है कि ‘जब आरोपी कंपनियों ने तथाकथित तौर पर फर्जी एलओयू और एफएलसी के आधार पर अर्जित राशि का भुगतान नहीं किया, तो पीएनबी ने विदेशी बैंकों को बकाया ब्याज समेत 6,344.97 करोड़ रुपये का भुगतान किया. पीएनबी ने चोकसी पर उसके साथ 7,080 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया है.
जांच एजेंसी के अधिकारियों ने कहा कि मामले में अभी जांच चल रही है और बैंक को हुए नुकसान का अंतिम आंकड़ा सारे एलओयू की स्टडी और जांच पूरी होने के बाद ही पता चल सकता है. सीबीआई ने इस मामले में अपने पहले आरोपपत्र में नामजद 18 आरोपियों के अलावा पूरक आरोपपत्र में चार नये आरोपियों के नाम शामिल किए हैं. इनमें गीतांजलि समूह की कंपनियों के पूर्व अंतरराष्ट्रीय प्रमुख सुनील वर्मा, पीएनबी के दो अधिकारी सागर सावंत तथा संजय प्रसाद और समूह के तहत आने वाले ब्रांड जिली और नक्षत्र के निदेशक धनेश सेठ शामिल हैं.
Posted by : Vishwat Sen