नयी दिल्ली : कोरोना वायरस का संक्रमण देश में लगातार बढ़ता जा रहा है. अब तक 216919 लोग देश में संक्रमित हो चुके हैं और 6 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. इस बीच कोरोना वायरस को लेकर एक नयी खोज देश के वैज्ञानिकों ने की है. हैदराबाद के कोशिकीय एवं आणविक जीवविज्ञान केंद्र ने कोरोन वायरस के एक खास समूह की खोज की है. समूह का नाम clade A3i दिया गया है. वैज्ञानिकों के अनुसार भारत में 40 प्रतिशत से अधिक COVID-19 रोगी clade A3i समूह से हैं.
कोशिकीय एवं आणविक जीवविज्ञान केंद्र के डायरेक्टर राकेश मिश्रा ने बताया, एक अलग clade A3i है जो दक्षिण पूर्व एशिया में प्रमुख है. यह स्ट्रेन चीन से नहीं बल्कि अन्य दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों से आया है. अनुमान है कि यह फरवरी के मध्य में चीन या कहीं और से उत्पन्न हुआ है.
A3i has 4 different mutations. There are 4 sequences, 3 of them actually change protein in the virus. In India,more than 40% of all patients are of this clade. 1st major clade is A2a clade which is in Guj, Maharashtra&other parts,&is close to 50%: Rakesh Mishra Director,CSIR-CCMB https://t.co/Ost2VPs0p3
— ANI (@ANI) June 4, 2020
उन्होंने आगे बताया, A3i में 4 अलग-अलग म्यूटेशन हैं जिनमें से 3 असल में वायरस में प्रोटीन बदलते हैं. भारत में सभी रोगियों में से 40% से अधिक इस क्लैड के हैं. पहला प्रमुख क्लैड A2a क्लैड है, जो गुजरात, महाराष्ट्र और अन्य भागों में 50% के करीब है.
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वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस के 64 जीनोम का अध्ययन किया. उन्होंने बताया, भारत में कई राज्यों से पूरे जीनोम की उपलब्धता ने हमें भारत में जीनोम के phylogenetic समूहों का विश्लेषण करने के लिए प्रेरित किया. कोशिकीय एवं आणविक जीवविज्ञान केंद्र के ट्वीट के अनुसार यह कोरोना वायरस की हालिया जीनोम रिपोर्ट है. अब तक वायरस के इस समूह को पहचाना नहीं जा सका था, जो भारत में फैल रहा है. वायरस का यह समूह कम खतरनाक है या अधिक इसकी जानकारी अभी सामने नहीं आ पायी है.
Here is a fresh preprint on genome analysis of SARS-CoV2 spread in India. The results show that a distinct cluster of virus population, uncharacterized thus far, which is prevalent in India – called the Clade A3i. (1/2)https://t.co/zoTiBf0nVF pic.twitter.com/wnb90tYNdw
— CCMB (@ccmb_csir) June 1, 2020
कोशिकीय एवं आणविक जीवविज्ञान केंद्र के डायरेक्टर राकेश मिश्रा ने बताया, ऐसा लगता है कि इस समूह की उत्पत्ति फरवरी 2020 में चीन या कहीं और से उत्पन्न हुआ और यह भारत में फैला होगा. सार्स सीओवी2 के भारत के सभी जीनोम नमूनों के 41 प्रतिशत नमूनों में इसकी पुष्टि हुई है और दुनियाभर की बात करें तो 3.2 प्रतिशत नमूनों में यह मिला है.