New Parliament Building: 200 करोड़ रुपये बढ़ सकता है मोदी सरकार की इस परियोजना का खर्च
New Parliament Building: इस्पात, इलेक्ट्रॉनिक्स और जरूरत के अन्य सामान व कार्यों का खर्च बढ़ जाने की वजह से ऐसा हो रहा है.
नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) बार-बार कहते रहे हैं कि कई ऐसी परियोजनाएं हैं, जो वर्षों से लंबित हैं और इसकी वजह से उनकी लागत में भारी इजाफा हुआ है. इसके लिए वह कांग्रेस को दोषी ठहराती रही है. अब मोदी सरकार के खुद की योजना का खर्च 200 करोड़ रुपये बढ़ने का अनुमान लगाया जा रहा है.
बताया जा रहा है कि नये संसद भवन (New Parliament Building) के निर्माण की अनुमानित लागत में 200 करोड़ रुपये की वृद्धि हो सकती है. इस्पात, इलेक्ट्रॉनिक्स और जरूरत के अन्य सामान व कार्यों का खर्च बढ़ जाने की वजह से ऐसा हो रहा है. लोकसभा सचिवालय इस सिलसिले में केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD) को मंजूरी दे सकता है.
सूत्रों ने बृहस्पतिवार को बताया कि इस महीने की शुरुआत में सीपीडब्ल्यूडी ने लागत में वृद्धि को सैद्धांतिक मंजूरी देने का लोकसभा सचिवालय (Lok Sabha Secretariat) से अनुरोध किया था. इस परियोजना के क्रियान्वयन का जिम्मा सीपीडब्ल्यूडी के पास है. उनके मुताबिक, इस वृद्धि के बाद परियोजना की कुल लागत 1,200 करोड़ रुपये हो जाने की उम्मीद है.
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नये संसद भवन के निर्माण (New Parliament Building Construction) का ठेका टाटा प्रोजेक्ट्स (Tata Projects) को 917 करोड़ रुपये में दिया गया था. इस भवन के निर्माण कार्य को इस साल अक्टूबर महीने तक पूरा कर लेने का लक्ष्य रखा गया है. कोशिश है कि संसद का शीतकालीन सत्र (Winter Session of Parliament) नये संसद भवन (New Parliament Building) में हो.
इस वजह से बढ़ रही है परियोजना की लागत
सूत्रों ने बताया कि सीपीडब्ल्यूडी ने निर्माण लागत में वृद्धि की वजह इस्पात की खरीद (Steel Cost) में होने वाली अत्यधिक लागत को बताया है, क्योंकि इसे भूकंप रोधी नियमों के अनुरूप बनाया जा रहा है. सूत्रों के मुताबिक, सीपीडब्ल्यूडी ने कहा है कि इलेक्ट्रॉनिक्स पर खर्च इसलिए बढ़ गया है, क्योंकि अत्याधुनिक ऑडियो-विजुअल सिस्टम लगाये जाने हैं, जिनमें दोनों सदनों में सांसदों के बैठने के स्थान पर टैबलेट रखा जाना शामिल है.
सूत्रों का कहना है कि इसी प्रकार बैठक कक्षों और मंत्रियों के कमरों में उच्च गुणवत्ता वाले प्रौद्योगिकीय उपकरण लगाये जाने पर विचार किया जा रहा है. लागत में वृद्धि का एक अन्य कारण यह भी बताया गया है कि परियोजना को क्रियान्वित करने में सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न निर्देशों का भी पालन करना पड़ रहा है.
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मसलन, परियोजना स्थल से खुदाई की गयी मिट्टी को बेचना नहीं है, बल्कि उसे बदरपुर में प्रस्तावित इको पार्क में हस्तांतरित करने का शीर्ष अदालत का निर्देश है. एक सूत्र ने कहा, ‘लोकसभा सचिवालय को इस परियोजना की लागत में वृद्धि को मंजूरी देने के अनुरोध संबंधी प्रस्ताव मिला है और इसे मंजूरी मिल सकती है.’
Posted By: Mithilesh Jha