NFHS-5 : परिवार में बढ़ा है महिलाओं का सम्मान, महत्वपूर्ण निर्णयों में 91 प्रतिशत की भागीदारी
2019 से 2021 के बीच की रिपोर्ट के अनुसार परिवार में होने वाले तीन महत्वपूर्ण निर्णयों में शहरी महिलाओं की भागीदारी 91 प्रतिशत है, जबकि ग्रामीण इलाकों की 87.7 प्रतिशत महिलाएं ऐसी हैं जो परिवार के महत्वपूर्ण निर्णयों में भागीदारी निभाती हैं.
एक जमाना था जब भारतीय नारी शोपीस समझी जाती थी और घर-परिवार में होने वाले निर्णयों में उसकी कोई भूमिका नहीं होती थी, लेकिन आज स्थिति बदल गयी है और परिवार में होने वाले निर्णयों में उसकी भागीदारी 90 प्रतिशत से अधिक हो गयी है. यह जानकारी राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) की रिपोर्ट से सामने आयी है.
91 प्रतिशत महिलाएं निर्णय लेने में भागीदार
2019 से 2021 के बीच की रिपोर्ट के अनुसार परिवार में होने वाले तीन महत्वपूर्ण निर्णयों में शहरी महिलाओं की भागीदारी 91 प्रतिशत है, जबकि ग्रामीण इलाकों की 87.7 प्रतिशत महिलाएं ऐसी हैं जो परिवार के महत्वपूर्ण निर्णयों में भागीदारी निभाती हैं. कुल आंकड़ों की बात करें तो यह 88.7 प्रतिशत है. एनएफएचएस-4 में यह आंकड़ा 84 प्रतिशत था.
25.4 प्रतिशत पिछले एक साल से नौकरीपेशा
इन आंकड़ों से यह पता चलता है कि परिवार में महिलाओं की भूमिका लगातार बेहतर हो रही है. वहीं पिछले एक साल तक नौकरी करने वाली महिलाओं की संख्या जहां शहरी इलाकों में 25 प्रतिशत तो है, वह ग्रामीण इलाकों में 25.6 प्रतिशत है. यानी ग्रामीण महिलाएं कमाने के मामले में शहरी महिलाओं से आगे हैं. 2015-16 से तुलना करें तो महिलाओं की स्थिति में मामूली सुधार नजर आता है, क्योंकि यह 24.6 था जबकि अभी कुल में यह 25.4 प्रतिशत है.
अमीर हुईं महिलाएं
संपत्ति की बात करें तो 38.3 प्रतिशत शहरी महिलाएं ऐसी है जिनके अपने नाम पर या फिर किसी के साथ साझा नाम पर संपत्ति है. जबकि ग्रामीण इलाकों में यह आंकड़ा 45.7 प्रतिशत का है, जबकि राष्ट्रीय औसत 43.3 प्रतिशत का है. हालांकि 2015-16 से अगर तुलना करें तो हम पायेंगे कि शहरी इलाकों में महिलाओं के नाम पर संपत्ति कम हुई है. 2015-16 में यह आंकड़ा 38.4 प्रतिशत था.
78.6 प्रतिशत महिलाओं के नाम पर अपना एकाउंट
महिलाओं की आर्थिक सबलता की बात करें तो इसमें बड़ा बदलाव नजर आता है. बैंकों में एकाउंट की बात करें तो 2015-16 में जहां 53 प्रतिशत महिलाओं के नाम पर एकाउंट था वह 2019-21 में 78.6 प्रतिशत हो गया है. जिसमें शहरी महिलाओं की भागीदारी 80.9 और ग्रामीण महिलाओं की 77.4 प्रतिशत है.
पीरियड्स में हाइजीन का ख्याल रखती हैं 77.3 प्रतिशत
वहीं माहवारी स्वच्छता की बात करें तो इसमें भी बड़ा बदलाव नजर आता है. साल 2015-16 में जहां माहवारी के दौरान 57.6 प्रतिशत महिलाएं स्वच्छता के तरीके अपनाती थी, वह 2019 में बढ़कर 77.3 प्रतिशत हो गया है. माहवारी के दौरान 89.4 प्रतिशत शहरी महिलाएं स्वच्छता का ख्याल रखती हैं, जबकि ग्रामीण इलाकों में यह संख्या 72.3 प्रतिशत है.
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