NFHS-5 की रिपोर्ट में हुआ खुलासा, 82% शादीशुदा महिलाएं यौन हिंसा की शिकार
जहां पति शराब पीते हैं, वहां 70 प्रतिशत महिलाएं घरेलू हिंसा का शिकार होती हैं, जबकि जिन घरों में शराब का प्रचलन नहीं है, वहां केवल 23 फीसदी महिलाएं इसका शिकार हुई हैं.
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 (national family health survey 5) की रिपोर्ट ने देश के एक काले सच को सामने रखा है. सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, देश में 82% शादीशुदा महिलाएं ऐसी हैं, जो पति की यौन हिंसा की शिकार होती हैं. वहीं, देश में 6% शादीशुदा महिलाओं ने जीवन में कभी न कभी यौन हिंसा झेली है. यानी देश में हर तीसरी महिला इस वक्त घरेलू और यौन हिंसा का शिकार हो रही है. इन आंकड़ों में से सिर्फ 14 प्रतिशत महिलाएं ही मदद मांगने के लिए आगे आई हैं.
यौन हिंसा के पीछे शराब एक बड़ा कारण
सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, जीवन स्तर, परिवेश, शराब, उम्र आदि का हवाला दिया गया है. शराब की बात करें, तो यह महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा का एक बड़ा कारण है. जहां पति शराब पीते हैं, वहां 70 प्रतिशत महिलाएं घरेलू हिंसा का शिकार होती हैं, जबकि जिन घरों में शराब का प्रचलन नहीं है, वहां केवल 23 फीसदी महिलाएं इसका शिकार हुई हैं.
Also Read: NFHS-5 : घरेलू हिंसा झेलती हैं झारखंड की 31.5 फीसदी महिलाएं, 67.5 फीसदी बच्चियां एनीमिक
हिंसा के बाद भी महिलाएं नहीं लेती मदद
घरेलू और यौन हिंसा की शिकार होने वाली महिलाएं मदद लेने में पीछे रही हैं. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे—3 से लेकर अब तक बहुत बड़ी गिरावट दर्ज की गई है. 2005-06, में ये दर 24 फीसदी थी, 2015-2017 में ये घटकर 14 फीसदी रह गई, जबकि 2019-21 में भी आंकड़ा 14 फीसदी ही रहा.
Also Read: भारत में 19 प्रतिशत परिवारों के पास शौचालय की सुविधा नहीं, NFHS-5 की रिपोर्ट
महिलाओं की संरक्षण के लिए कानून
घर के अंदर महिलाओं को यौन शोषण से बचाने के लिए 2005 में घरेलू हिंसा कानून लगा गया था. ये कानून महिलाओं को घर में यौन शोषण से संरक्षण देता है. इसके अलावा हिंदू मैरिज एक्ट भी है, जिसमें पति और पत्नी की जिम्मेदारियां तय है. इसमें प्रावधान है कि सेक्स के लिए इंकार करना क्रूरता है और इस आधार पर तलाक लिया जा सकता है.